[S. 45 PMLA] पुलिस हिरासत से रिहाई का आदेश देते समय जमानत के लिए जुड़वां शर्तों को पूरा करना आवश्यक नहीं: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट
Shahadat
25 March 2024 11:46 AM IST
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि जब अदालत ने पुलिस हिरासत में रिहाई का आदेश दिया तो धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA Act) की धारा 45 के तहत दोहरी शर्त का पालन करना आवश्यक नहीं है।
PMLA Act की धारा 45 के अनुसार, मनी लॉन्ड्रिंग मामले में किसी आरोपी को जमानत तभी दी जा सकती है, जब दो शर्तें पूरी हों- प्रथम दृष्टया संतुष्टि होनी चाहिए कि आरोपी ने अपराध नहीं किया। जमानत पर रहते हुए उसके कोई अपराध करने की संभावना नहीं है।
जस्टिस अनूप चितकारा ने कहा,
''शर्त तभी लागू होती जब कोर्ट ने याचिकाकर्ता को जमानत पर रिहा कर दिया होता, जबकि कोर्ट ने उसे कभी भी अंतरिम जमानत पर रिहा नहीं किया, बल्कि उचित जवाब दाखिल करने के लिए उसे पुलिस हिरासत में जेल से बाहर ले जाने की व्यवस्था की। पीएमएलए 2002 की धारा 8(1) के तहत नोटिस जारी किया गया।"
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि पुलिस हिरासत में जेल से रिहाई न तो जमानत है और न ही अंतरिम जमानत है। पुलिस हिरासत में जेल से बाहर रहते हुए कैदी जेल की चारदीवारी से बाहर निकल जाता है, लेकिन लगातार हिरासत में रहता है।
इसमें कहा गया,
"इस बीच जमानत या अंतरिम जमानत पर रहते हुए आरोपी को हिरासत में नहीं लिया जाता है, बल्कि अदालत के सामने पेश होने या जेल में आत्मसमर्पण करने के लिए बांड के माध्यम से केवल वचन देना होता है। पुलिस हिरासत में कैदी की रिहाई का आदेश देते समय न्यायाधीश के लिए प्राथमिक चिंता उनके सहयोगियों द्वारा जबरन रिहा किया जाना, अभियुक्त के भागने का जोखिम होना, या अभियुक्त के जीवन को ख़तरा होने के आरोपी होते हैं।''
इस प्रकार, धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 (PMLA Act) की धारा 45 की जुड़वां शर्तें न तो पुलिस हिरासत में रिहाई का आदेश पारित करते समय लागू होती हैं और न ही इनका पालन करना आवश्यक है।
ये टिप्पणियां सीआरपीसी की धारा 482 के तहत ED द्वारा दायर याचिका के जवाब में आईं, जिसमें आरोपी को चार दिनों के लिए रिहा करने के विशेष न्यायालय के आदेश को चुनौती दी गई, जिससे वह एक्ट की धारा 8(1) के तहत न्यायनिर्णायक प्राधिकरण द्वारा जारी कारण बताओ नोटिस का जवाब दाखिल करने के लिए दस्तावेज हासिल कर सके।
ED ने आरोपी को गिरफ्तार कर विशेष अदालत में परिवाद दायर किया। इसके बाद PMLA Act की धारा 8(1) के तहत नोटिस मिलने पर आरोपी ने विशेष न्यायाधीश के समक्ष अंतरिम जमानत के लिए आवेदन किया। यह कहा गया कि आरोपी को नकदी, आभूषण, डिजिटल डिवाइस, एफडीआर आदि को अपने पास रखने के संबंध में कारण बताओ नोटिस का जवाब दाखिल करने के लिए दस्तावेज एकत्र करने की आवश्यकता है, जिसे ED ने पहले ही अपने कब्जे में ले लिया था।
अभियुक्त ने तर्क दिया कि अपना बचाव तैयार करने के लिए व्यक्तिगत रूप से बैंकों और आयकर विभाग जैसे कार्यालयों का दौरा करना और साथ ही अपने चार्टर्ड अकाउंटेंट सहित लोगों से मिलना महत्वपूर्ण है।
विशेष अदालत ने अंतरिम जमानत नहीं दी, लेकिन आरोपी को पुलिस हिरासत में विभिन्न दस्तावेज इकट्ठा करने के लिए चार दिनों के लिए बाहर भेजने की अनुमति दी। विशिष्ट निर्देश दिए गए कि अभियुक्त को विभिन्न कार्यालयों में अपनी यात्रा और विभिन्न व्यक्तियों के साथ बैठकों की तारीखों के साथ कार्यक्रम तैयार करना चाहिए। इस तरह के कार्यक्रम को अधीक्षक, केंद्रीय कारागार, अंबाला को सौंप दिया जाना चाहिए, जिन्हें उसे अनुमति देने के लिए निर्देशित किया गया। पुलिस अभिरक्षा में उक्त कार्यक्रम हेतु भ्रमण करें।
इससे दुखी होकर केंद्रीय जांच एजेंसी ने हाईकोर्ट का रुख किया।
दलीलों की जांच के बाद कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी।