'अगर आपको FIR का विवरण चाहिए तो CJI गवई पर वीडियो का लिंक सबमिट करें': पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने YouTuber अजीत भारती से कहा

Shahadat

6 Nov 2025 9:51 AM IST

  • अगर आपको FIR का विवरण चाहिए तो CJI गवई पर वीडियो का लिंक सबमिट करें: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने YouTuber अजीत भारती से कहा

    पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने YouTuber अजीत भारती को निर्देश दिया कि अगर वह अपने खिलाफ दर्ज FIR का विवरण चाहते हैं तो वह उस वीडियो का लिंक उपलब्ध कराएं, जिसमें कथित तौर पर चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) बी.आर. गवई पर जूता फेंका गया था।

    YouTuber अजीत भारती ने CJI बी.आर. गवई के खिलाफ की गई कथित आपत्तिजनक टिप्पणियों के संबंध में दंडात्मक कार्रवाई से सुरक्षा की मांग करते हुए हाईकोरर्ट का दरवाजा खटखटाया था।

    जस्टिस सुभाष मेहला ने कहा,

    "वर्तमान याचिका इस निर्देश के साथ निस्तारित की जाती है कि यदि याचिकाकर्ता/आरोपी FIR का विवरण जानना चाहता है तो वह अपने द्वारा सोशल मीडिया पर अपलोड किए गए वीडियो का विवरण सीनियर पुलिस अधीक्षक, एस.ए.एस. नगर को प्रस्तुत कर सकता है और अपने खिलाफ दर्ज FIR के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकता है।"

    कोर्ट ने कहा कि राज्य ने वीडियो का संज्ञान लिया। हालांकि, इस समय चूंकि जांच चल रही है, यह पता लगाना संभव नहीं है कि भारती को किसी मामले में आरोपी बनाया गया है या नहीं।

    इस मामले में भारती की याचिका का निपटारा इस निर्देश के साथ किया गया कि यदि वह FIR के बारे में जानना चाहते हैं तो उन्हें अपने वीडियो का विवरण प्रस्तुत करना होगा।

    मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, पंजाब पुलिस ने दक्षिणपंथी प्रभावशाली व्यक्ति सहित अन्य लोगों के खिलाफ चीफ जस्टिस गवई के बारे में सोशल मीडिया पर की गई "जातिवादी" और "भड़काऊ" टिप्पणियों के लिए एक दर्जन से अधिक FIR दर्ज की हैं।

    अदालती कार्यवाही के दौरान एक वकील द्वारा चीफ जस्टिस पर जूता फेंकने की घटना के बाद पंजाब पुलिस ने चीफ जस्टिस के खिलाफ सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक और जातिवादी टिप्पणी पोस्ट करने के आरोपी व्यक्तियों के खिलाफ कई FIR दर्ज कीं।

    पंजाब पुलिस के अनुसार, राज्य के कई जिलों में 100 से अधिक सोशल मीडिया हैंडल के खिलाफ कई शिकायतें प्राप्त हुईं, जिन्होंने चीफ जस्टिस के खिलाफ जातिवादी और घृणित सामग्री पोस्ट की थी।

    भारती ने अपनी याचिका में कहा कि उन्होंने ऐसा कोई बयान या अन्य कोई बात नहीं कही, जिससे कोई आपराधिक निहितार्थ निकलता हो, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 का उल्लंघन तो बिल्कुल नहीं, जैसा कि कई मीडिया रिपोर्टों में बताया गया।

    यह दलील दी गई कि उनके विचार हमेशा सार्वजनिक महत्व के विषय पर पत्रकारिता की राय के रूप में रहे हैं और उन अपराधों के वैधानिक तत्वों को पूरा नहीं करते, जिनका आरोप अब मीडिया के माध्यम से लगाया जा रहा है।

    उनकी याचिका में आगे कहा गया,

    "याचिकाकर्ता न्यायपालिका के प्रति अत्यधिक सम्मान रखते हैं और उनके बयान/टिप्पणियां व्यवस्था के कामकाज में सुधार लाने के उद्देश्य से हैं।"

    Title: Ajeet Bharti v State of Punjab

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