शिक्षक द्वारा यौन शोषण से जनता का विश्वास खत्म हुआ: पीएंडएच हाईकोर्ट ने छात्रा को आपत्तिजनक संदेश भेजने के आरोपी व्यक्ति को प्री-अरेस्ट बेल देने से इनकार किया

LiveLaw News Network

11 Sept 2024 5:07 PM IST

  • शिक्षक द्वारा यौन शोषण से जनता का विश्वास खत्म हुआ: पीएंडएच हाईकोर्ट ने छात्रा को आपत्तिजनक संदेश भेजने के आरोपी व्यक्ति को प्री-अरेस्ट बेल देने से इनकार किया

    पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने अपने छात्र को आपत्तिजनक संदेश भेजने के आरोपी सरकारी स्कूल के शिक्षक की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी। न्यायालय ने कहा कि शिक्षक द्वारा यौन शोषण से जनता का विश्वास खत्म होता है।

    जस्टिस सुमित गोयल ने कहा,

    "शिक्षक द्वारा बच्चे का यौन शोषण विनाशकारी प्रभाव डालता है, जो व्यक्ति से कहीं आगे तक जाता है, बच्चे के मानसिक विकास और पूरे समाज दोनों को प्रभावित करता है। विश्वासघात का ऐसा कृत्य निश्चित रूप से बच्चे के मनोवैज्ञानिक और भावनात्मक विकास को बाधित करता है, जिससे गहरी मानसिक पीड़ा, विश्वास संबंधी समस्याएं और दीर्घकालिक भावनात्मक डर पैदा होता है।"

    न्यायालय ने कहा कि यह शिक्षक-छात्र संबंध में बच्चे के विश्वास को नष्ट करता है, जिसे पारंपरिक रूप से पवित्र माना जाता है, सुरक्षा और सम्मान की भावना को भय, भ्रम और शर्म से बदल देता है।

    कोर्ट ने आगे इस बात पर प्रकाश डाला कि विश्वास का उल्लंघन शिक्षकों की ईमानदारी और मार्गदर्शन के रूप में आधारभूत भूमिका को कमजोर करता है, "शैक्षणिक प्रणाली और शैक्षिक प्रणाली में इसके द्वारा बनाए गए नैतिक मूल्यों में जनता के विश्वास को कम करता है।"

    ये टिप्पणियां हरियाणा के एक सरकारी स्कूल के शिक्षक की धारा 482 भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 (बीएनएसएस) के तहत अग्रिम जमानत याचिका के जवाब में की गईं, जिस पर अपने छात्र को आपत्तिजनक संदेश भेजने का आरोप है। यह आरोप लगाया गया था कि शिक्षक ने छात्रा को स्कूल से निकालने और उसे जान से मारने की धमकी भी दी थी।

    भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 351(3), 75(2) और 78 तथा पोक्सो अधिनियम, 2012 की धारा 12 के तहत एफआईआर दर्ज की गई।

    याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया कि याचिकाकर्ता सरकारी कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में पेशे से स्कूल शिक्षक (हिंदी) है तथा आज तक उसके खिलाफ कोई भी शिकायत प्राप्त नहीं हुई है तथा उसे झूठा फंसाया गया है।

    दूसरी ओर, राज्य के वकील ने तर्क दिया कि याचिकाकर्ता शिकायतकर्ता को आपत्तिजनक संदेश भेज रहा था तथा बाद में उसे हटा दिया। इसके अलावा, सच्चाई सामने लाने के लिए याचिकाकर्ता से हिरासत में पूछताछ आवश्यक होगी तथा इसलिए अग्रिम जमानत खारिज करने की प्रार्थना की जाती है।

    प्रस्तुतियां सुनने के बाद, न्यायालय ने कहा कि "जब कोई शिक्षक अपने पद का दुरुपयोग करता है, तो यह न केवल व्यक्तिगत बच्चे की भलाई को नष्ट करता है, बल्कि शिक्षण एवं विकास के लिए सुरक्षित स्थान माने जाने वाले संस्थानों में सामाजिक विश्वास को भी कमजोर करता है।"

    जस्टिस गोयल ने इस बात पर प्रकाश डाला कि इस स्तर पर, रिकॉर्ड पर ऐसा कोई भी तथ्य नहीं है, जिससे यह माना जा सके कि याचिकाकर्ता के विरुद्ध प्रथम दृष्टया मामला नहीं बनता है या याचिकाकर्ता को मामले में झूठा फंसाया गया है।

    न्यायालय ने कहा कि पीड़िता ने स्पष्ट रूप से कहा है कि उसे याचिकाकर्ता द्वारा धमकी दी गई थी, अग्रिम जमानत देना उचित नहीं है, क्योंकि इससे प्रभावी जांच में बाधा उत्पन्न होगी।

    न्यायाधीश ने कहा कि "अपराध की प्रकृति और गंभीरता, याचिकाकर्ता को दी गई भूमिका अनिवार्य रूप से इस निष्कर्ष पर ले जाती है कि याचिकाकर्ता अग्रिम जमानत की रियायत का हकदार नहीं है।"

    न्यायालय ने यह कहते हुए याचिका खारिज कर दी कि प्रभावी जांच और सच्चाई को सामने लाने के लिए याचिकाकर्ता से हिरासत में पूछताछ जरूरी है।

    केस साइटेशनः 2024 लाइवलॉ (पीएच) 244

    केस टाइटल: XXX बनाम XXX

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