देश में नौकरियों की कमी, प्रक्रियागत चूक के आधार पर उम्मीदवार को नियुक्ति से वंचित करना अन्यायपूर्ण: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट
Shahadat
22 Oct 2025 8:15 PM IST

देश में रोज़गार के अवसरों की मौजूदा कमी पर प्रकाश डालते हुए पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने कहा कि केवल प्रक्रियागत चूक के आधार पर योग्य उम्मीदवार को नियुक्ति से वंचित करना अन्यायपूर्ण और अनुचित है।
अदालत ने ऐसे उम्मीदवार को नियुक्ति पत्र जारी करने का निर्देश दिया, जो कांस्टेबल पद पर चयन के 30 दिनों के भीतर कार्यभार ग्रहण नहीं कर सका था, क्योंकि वह पारिवारिक रंजिश के कारण दर्ज FIR के सिलसिले में न्यायिक हिरासत में था। बाद में दोनों पक्षकारों के बीच समझौते के बाद हाईकोर्ट ने FIR रद्द कर दी।
जस्टिस जगमोहन बंसल ने कहा,
"निर्देशों में निर्धारित 30 दिनों की अवधि को यंत्रवत् लागू नहीं किया जा सकता। अभ्यर्थी की कठिनाई पर समग्र और व्यावहारिक रूप से विचार किया जाना चाहिए। नियुक्ति के मूल लाभ से वंचित करने के लिए निर्देशों को पवित्र नहीं माना जा सकता। यह सर्वविदित तथ्य है कि देश में नौकरियों की कमी है। याचिकाकर्ता ने कठोर चयन प्रक्रिया उत्तीर्ण की है, इसलिए प्रक्रियागत चूक/विलंब के कारण उसे नौकरी के अवसर से वंचित करना न्यायसंगत और उचित नहीं होगा।"
अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता ने शारीरिक माप और स्क्रीनिंग परीक्षा उत्तीर्ण की और वह पद के लिए चयनित हुआ। 26 सितंबर, 2024 को उसे FIR में फंसाया गया। चयन प्रक्रिया 17 अक्टूबर, 2024 को समाप्त हुई, अर्थात परिणाम घोषित होने की तिथि। उसे 20 नवंबर, 2024 के पत्र के माध्यम से कार्यभार ग्रहण करने के लिए कहा गया। उस समय वह न्यायिक हिरासत में था।
अदालत ने आगे कहा कि उसे क्रॉस केस में फंसाया गया था और दो अलग-अलग राजनीतिक दलों के ग्रामीणों के बीच झगड़ा हुआ था।
पहली FIR याचिकाकर्ता के परिजनों के कहने पर दर्ज की गई और दो दिन बाद याचिकाकर्ता और उसके परिजनों के खिलाफ क्रॉस केस दर्ज किया गया। चूंकि यह राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता और गलतफहमी का मामला था, इसलिए मामला सौहार्दपूर्ण ढंग से सुलझ गया। याचिकाकर्ता को 1 अप्रैल, 2025 के आदेश द्वारा ज़मानत पर रिहा कर दिया गया और हाईकोर्ट ने 19 मई, 2025 के आदेश द्वारा FIR रद्द की।
जस्टिस बंसल ने इस बात पर प्रकाश डाला कि याचिकाकर्ता को केवल इस आधार पर नियुक्ति देने से मना किया गया कि उसने 2019 में जारी सरकारी निर्देश का हवाला देते हुए नियुक्ति पत्र की तारीख से 30 दिनों के भीतर कार्यभार ग्रहण नहीं किया था।
इसमें आगे कहा गया,
"प्रतिवादी ने उपरोक्त निर्देशों के आधार पर याचिकाकर्ता को सेवा में शामिल होने की अनुमति देने से इनकार कर दिया। ये निर्देश वैधानिक प्रकृति के नहीं हैं। पीपीआर (पंजाब पुलिस नियम) का नियम 12.18 किसी आपराधिक मामले में उम्मीदवार के शामिल होने से उत्पन्न स्थिति को नियंत्रित करता है। याचिकाकर्ता का मामला उक्त नियम के नकारात्मक अनुबंध के अंतर्गत नहीं आता है। यह कानून का स्थापित सिद्धांत है कि निर्देश प्राधिकारियों पर बाध्यकारी होते हैं। हालांकि, न्यायालय निर्देशों से बाध्य नहीं हैं।"
अदालत ने कहा कि पीपीआर का नियम 12.18(3) विशेष रूप से वर्तमान स्थिति से संबंधित है और कार्यभार ग्रहण करने के लिए 30 दिनों की अवधि निर्धारित नहीं करता है। वैधानिक प्रावधान के अभाव में निर्देशों को अनिवार्य के बजाय निर्देशात्मक माना जा सकता है, इसके अलावा विभागीय निर्देश कोर्ट्स पर बाध्यकारी नहीं होते हैं।
उपरोक्त के आलोक में कोर्ट ने याचिकाकर्ता की नियुक्ति अस्वीकार करने का आदेश पारित किया।
Title: HARSH RAWAL v. STATE OF HARYANA AND ORS.

