सीमा पार से मादक पदार्थ-आतंकवाद के गंभीर आरोप: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने 500 किलोग्राम हेरोइन तस्करी मामले में जमानत रद्द करने की NIA की याचिका स्वीकार की
Amir Ahmad
10 April 2025 6:50 AM

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने पाकिस्तान से 500 किलोग्राम हेरोइन की तस्करी से जुड़े एक मामले में यह देखते हुए आरोपी व्यक्ति की जमानत रद्द की कि हवाला चैनलों को जानने के लिए उसे कस्टडी में लेकर पूछताछ की आवश्यकता होगी।
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने अवैध हथियारों और हेरोइन की तस्करी भारी मात्रा में प्रतिबंधित पदार्थों की तस्करी सहित कई मामलों में आरोपी अंकुश विपन कपूर की जमानत रद्द करने की मांग करते हुए हाईकोर्ट का रुख किया था।
उन पर 2020 में नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट, 1985 (NDPS Act) की धारा 21, 25, 27-ए, 29, 85 और आर्म्स एक्ट की धारा 30, 53, 59 के तहत मामला दर्ज किया गया।
उन्हें 2021 में नियमित जमानत दी गई थी।
उन्हें पाकिस्तान से गुजरात में 500 किलोग्राम हेरोइन की तस्करी से जुड़े एक मामले में भी आरोपी बनाया गया। मामले की गंभीरता को देखते हुए गुजरात सरकार ने मामले को NIA को सौंप दिया था।
NIA ने उनके खिलाफ UAPA की धारा 17 और 18 को जोड़ा।
जस्टिस मंजरी नेहरू कौल ने कहा,
"यह अब कोई रहस्य नहीं है और यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि ड्रग्स का खतरा दीमक की तरह फैल गया है। धीरे-धीरे अपने जाल फैला रहा है। इस ड्रग खतरे की खतरनाक वृद्धि से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए इन ड्रग्स और साइकोट्रोपिक पदार्थों के स्रोत को लक्षित करके आपूर्ति श्रृंखला को बाधित करना आवश्यक होगा।"
न्यायालय ने कहा कि वर्तमान मामला ऐसा ही एक मामला है, जिसमें प्रतिवादी से हिरासत में पूछताछ आवश्यक होगी ताकि याचिकाकर्ता मामले की जड़ तक पहुंच सके और यह पता लगा सके कि ड्रग्स कहां से आ रहे हैं। साथ ही हवाला चैनल भी।
जस्टिस कौल ने कहा कि वर्तमान मामले में सीमा पार से नार्को-आतंकवाद के गंभीर आरोप हैं, जिसमें 500 किलोग्राम हेरोइन की भारी मात्रा में बरामदगी शामिल है, जिसे गुजरात के माध्यम से भारत में और फिर पंजाब में सुनियोजित तरीके से तस्करी करके लाया जा रहा था।
प्रदीप राम बनाम झारखंड राज्य मामले पर भरोसा किया गया, जिसमें यह माना गया,
जहां किसी अभियुक्त को जमानत दिए जाने के बाद आगे संज्ञेय और गैर-जमानती अपराध जोड़े जाते हैं:-
(i) अभियुक्त आत्मसमर्पण कर सकता है और नए जोड़े गए संज्ञेय और गैर-जमानती अपराधों के लिए जमानत के लिए आवेदन कर सकता है। जमानत से इनकार किए जाने की स्थिति में अभियुक्त को निश्चित रूप से गिरफ्तार किया जा सकता है।
(ii) जांच एजेंसी अभियुक्त की गिरफ्तारी और उसकी हिरासत के लिए CrPC की धारा 437(5) या 439(2) के तहत अदालत से आदेश मांग सकती है।
अदालत ने अभियुक्त के वकील की इस दलील को खारिज कर दिया कि निराधार दावों के अलावा ऐसी कोई सामग्री नहीं है, जो उसे गुजरात में की गई हेरोइन की भारी बरामदगी या कथित रूप से संचालित ड्रग कार्टेल से दूर से भी जोड़ती हो।
जस्टिस कौल ने कहा कि आरोपों की प्रकृति और गंभीरता तथा इसमें शामिल दांवों को देखते हुए,
"यह न्यायालय याचिकाकर्ता के वकील द्वारा प्रतिवादी द्वारा कानून की प्रक्रिया से बचने की संभावना के बारे में दिए गए तर्कों से सहमत है।"
न्यायालय ने कहा कि मामले के तथ्यों और परिस्थितियों में जांच को तार्किक निष्कर्ष पर ले जाना होगा, जिसके लिए प्रतिवादी से पूछताछ महत्वपूर्ण होगी, जिस पर भारत से बाहर स्थित इसके सरगना की ओर से पंजाब में ड्रग सिंडिकेट के संचालन को चलाने का आरोप है।
उपर्युक्त के आलोक में याचिका को स्वीकार कर लिया गया और परिणामस्वरूप न्यायालय ने आरोपी की जमानत रद्द कर दी।
टाइटल: राष्ट्रीय जांच एजेंसी बनाम अंकुश विपन कपूर