पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने PGI हॉस्पिटल को 'गरीब रोगी कल्याण कोष' के बारे में जागरूकता के लिए साइन बोर्ड लगाने का निर्देश दिया
Shahadat
20 Jan 2025 4:10 AM

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (PGIMER) चंडीगढ़ को गरीब रोगी कल्याण कोष (PPWF) के बारे में जागरूकता के लिए अस्पताल में प्रमुख साइन बोर्ड लगाने का निर्देश दिया।
न्यायालय ने कहा कि PGIMER, चंडीगढ़ में अज्ञानता और बड़ी संख्या में आने वाले मरीजों की वजह से कई मरीज PPWF का लाभ नहीं उठा पाते हैं।
चीफ जस्टिस शील नागू और जस्टिस सुधीर सिंह ने की खंडपीठ ने कहा,
"PGIMER, चंडीगढ़ के मेडिकल अधीक्षक को निर्देश दिया कि वे PGIMER, चंडीगढ़ के सभी भवनों और पूरे परिसर में प्रमुख स्थानों पर प्रमुख साइन बोर्ड स्थापित करें, जिसमें लिफ्ट, मार्ग, सड़कें, रिसेप्शन काउंटर, ओपीडी आदि शामिल हैं, जिससे गरीब मरीज PPWF (गरीब मरीज कल्याण कोष) के तहत धन का लाभ उठा सकें।"
ये टिप्पणियां लॉ स्टूडेंट द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए की गईं, जिसने एक गरीब और बेसहारा मरीज रविंद्र कुमार की स्थिति पर प्रकाश डाला - एक मजदूर जिसे तत्काल मेडिकल देखभाल की आवश्यकता थी, क्योंकि वह हृदय की समस्याओं से पीड़ित था। उसे कई साल पहले ऑटोमेटेड इम्प्लांटेबल कार्डियोवर्टर डिफिब्रिलेटर (AICD) प्रत्यारोपित किया गया। कई साल पहले उसकी खराब स्वास्थ्य स्थिति के कारण उसकी नौकरी चली गई थी। AICD की बैटरी खत्म हो गई और इसे बदलने में 3 लाख रुपये खर्च हो रहे हैं।
याचिका में कहा गया कि मरीज मदद के लिए अधिकारियों या यहां तक कि अच्छे लोगों से भी संपर्क करने में असमर्थ था। दिसंबर में अदालत के हस्तक्षेप के बाद 2024 में AICD की बैटरी PPWF, PGIMER से खरीदी गई और रोगी के हृदय में प्रत्यारोपित की गई।
हाईकोर्ट के निर्देश के अनुपालन में PGIMER के मेडिकल अधीक्षक द्वारा हलफनामा दाखिल किया गया, जिसमें कहा गया कि 1 अप्रैल 2024 से दिसंबर 2024 तक 3,73,94,385 रुपये में से 3,50,86,171 रुपये का उपयोग किया गया।
कोर्ट ने कहा,
"ऐसा प्रतीत होता है कि PGIMER, चंडीगढ़ में अपनी अज्ञानता और बड़ी संख्या में आने वाले मरीजों के कारण कई मरीज PPWF का लाभ नहीं उठा पा रहे हैं।"
इसके परिणामस्वरूप, कोर्ट ने PPWF का लाभ उठाने की प्रक्रिया में आवश्यक बदलाव करने का निर्देश दिया, जिसे PGIMER के मेडिकल अधीक्षक द्वारा "चार सप्ताह की अवधि के भीतर" दाखिल किया जाना चाहिए।
केस टाइटल: दिव्या शर्मा बनाम भारत संघ और अन्य