हाईकोर्ट ने अनधिकृत कोर्स में एडमिशन की अनुमति देने पर हरियाणा के अधिकारियों की खिंचाई की, जांच के निर्देश दिए

Shahadat

17 Oct 2025 6:25 PM IST

  • हाईकोर्ट ने अनधिकृत कोर्स में एडमिशन की अनुमति देने पर हरियाणा के अधिकारियों की खिंचाई की, जांच के निर्देश दिए

    पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (NCTE) से अनिवार्य अनुमोदन के बिना दो राज्य अध्यापक शिक्षा उन्नत अध्ययन संस्थानों (SIASTE) में चार वर्षीय बी.ए./बी.एड. प्रोग्राम में स्टूडेंट को एडमिशन देने के लिए हरियाणा सरकार की कड़ी आलोचना की।

    जस्टिस अश्विनी कुमार मिश्रा और जस्टिस रोहित कपूर की खंडपीठ ने कहा,

    "हमें यह हरियाणा राज्य के जिम्मेदार अधिकारियों की ओर से प्रथम दृष्टया कर्तव्यहीनता का मामला लगता है, जिन्होंने एक अनधिकृत डिग्री कोर्स शुरू करने की अनुमति दी और सैकड़ों स्टूडेंट्स के करियर से भी खिलवाड़ किया।"

    कोर्ट ने आगे कहा,

    यह ऐसा मामला है, जिसमें कोर्ट को उन लोगों की ज़िम्मेदारी का उचित निर्धारण करना होगा, जिन्होंने यह अवांछनीय स्थिति पैदा की। इसके साथ ही यह भी तय करना होगा कि स्टूडेंट्स को किस तरह से मुआवजा दिया जाना चाहिए।

    केंद्र सरकार ने दलील दी कि राज्य सरकार का 11 जुलाई, 2020 को NCTE को दिया गया आवेदन "बिल्कुल भी आवेदन नहीं था", क्योंकि इसमें प्रमुख संस्थागत विवरण का अभाव था और बाद में उन्हें उपलब्ध कराने का केवल वादा किया गया। अनुमति न मिलने के बावजूद, स्टूडेंट्स को दोनों केंद्रों में एडमिशन दिया गया।

    खंडपीठ ने कहा,

    "यह पता चला है कि NCTE से उचित अनुमति प्राप्त किए बिना भी हरियाणा राज्य ने कुरुक्षेत्र और गुरुग्राम स्थित दो नए संस्थानों में स्टूडेंट्स को एडमिशन देना शुरू कर दिया। राज्य के बाद के आवेदनों पर विचार नहीं किया गया, क्योंकि NCTE के अनुसार, ऐसे कोर्स शुरू होने पर पूर्वव्यापी प्रभाव से अनुमति देने का कोई प्रावधान नहीं है।"

    इसलिए कोर्ट ने हरियाणा सरकार के मुख्य सचिव को उचित जांच करने और अपना व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया, जिसमें स्पष्ट रूप से बताया गया हो कि इस अप्रिय स्थिति के लिए कौन लोग जिम्मेदार हैं।

    मामले को 20 नवंबर के लिए सूचीबद्ध करते हुए कोर्ट ने कहा,

    "मुख्य सचिव यह भी बताएंगे कि राज्य दोषी अधिकारियों से कैसे निपटने और इन स्टूडेंट्स को मुआवजा देने का प्रस्ताव रखता है।"

    Title: KAPIL NATH AND OTHERS v. UNION OF INDIA AND OTHERS

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