पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने दुर्घटना पीड़ितों के लिए आपातकालीन मेडिकल देखभाल की मांग वाली याचिका पर नोटिस जारी किया

Shahadat

28 Oct 2025 9:39 AM IST

  • पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने दुर्घटना पीड़ितों के लिए आपातकालीन मेडिकल देखभाल की मांग वाली याचिका पर नोटिस जारी किया

    पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने जनहित याचिका (PIL) पर भारत संघ, पंजाब और हरियाणा राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ से जवाब मांगा, जिसमें दुर्घटना पीड़ितों को प्रारंभिक और आपातकालीन मेडिकल देखभाल की उपलब्धता सुनिश्चित करने के निर्देश देने की मांग की गई।

    यह याचिका लॉयर्स फॉर ह्यूमन राइट्स इंटरनेशनल द्वारा प्रसिद्ध पंजाबी गायक राजवीर सिंह जवंदा की दुखद मृत्यु के मद्देनजर दायर की गई, जिनकी 8 अक्टूबर, 2025 को एक सड़क दुर्घटना में लगी चोटों के कारण मृत्यु हो गई।

    चीफ जस्टिस शील नागू और जस्टिस संजीव बेरी की खंडपीठ ने केंद्र सरकार, पंजाब, हरियाणा और अन्य अधिकारियों को नोटिस जारी किया और मामले की सुनवाई 18 दिसंबर के लिए सूचीबद्ध की।

    याचिका के अनुसार, गायक 27 सितंबर, 2025 को दुर्घटना का शिकार हुए, जब उनकी मोटरसाइकिल सड़क पर अचानक आए आवारा मवेशियों से टकरा गई। उन्हें सिर और रीढ़ की हड्डी में गंभीर चोटें आईं और उन्हें पहले दुर्घटनास्थल के पास स्थित जेएम शोरी मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल, पिंजौर ले जाया गया।

    हालांकि, पिंजौर पुलिस स्टेशन में दर्ज 28.09.2025 की डीडीआर के अनुसार, जेएम शोरी अस्पताल के डॉक्टर ने कथित तौर पर प्रारंभिक मेडिकल प्रदान करने से इनकार किया। इसके बाद जवंदा को पंचकूला के सिविल अस्पताल ले जाया गया, जहां उन्हें प्रारंभिक मेडिकल प्रदान की गई, उसके बाद उन्हें पंचकूला के पारस अस्पताल और बाद में मोहाली के फोर्टिस अस्पताल रेफर कर दिया गया, जहां 8 अक्टूबर, 2025 को इलाज के दौरान उनका निधन हो गया।

    याचिकाकर्ता ने मृतक गायक के संपूर्ण मेडिकल इतिहास की समीक्षा करने और यह निर्धारित करने के लिए पीजीआई, चंडीगढ़ के डॉक्टरों के बोर्ड द्वारा एक स्वतंत्र जांच की मांग की कि क्या जेएम शोरी मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल की ओर से कोई लापरवाही हुई।

    यह याचिका जैकब मैथ्यू बनाम पंजाब राज्य (2005) में सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित मेडिकल देखभाल के मानकों पर आधारित है। यह सुनिश्चित करने के लिए कोर्ट के हस्तक्षेप की मांग करती है कि दुर्घटना पीड़ितों का इलाज करने वाले अस्पतालों और चिकित्सकों द्वारा इन मानकों का पालन किया जाए।

    जनहित याचिका में पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ में तत्काल मेडिकल प्रतिक्रिया सुविधाओं की कमी पर प्रकाश डाला गया। इसमें कहा गया कि राष्ट्रीय राजमार्गों पर उपलब्ध कुछ एम्बुलेंसों को छोड़कर, दुर्घटना पीड़ितों को शीघ्र चिकित्सा सहायता सुनिश्चित करने के लिए कोई व्यापक व्यवस्था मौजूद नहीं है।

    परमानंद कटारा बनाम भारत संघ (1989 एआईआर एससी 2039) में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट से अधिकारियों को एक मजबूत ट्रॉमा केयर नेटवर्क स्थापित करने का निर्देश देने का आग्रह किया, जिसमें एम्बुलेंस में डॉक्टर और मेडिकल कर्मचारी हों जो मौके पर ही आपातकालीन उपचार प्रदान करने में सक्षम हों।

    Title: LAWYERS FOR HUMAN RIGHTS INTERNATIONAL V/S UNION OF INDIA AND ORS

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