पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने आदेश की अनदेखी करने के लिए पब्लिक प्रॉसिक्यूटर एवं ट्रायल जज को अवमानना ​​नोटिस जारी किया

Shahadat

1 Aug 2024 6:00 AM GMT

  • पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने आदेश की अनदेखी करने के लिए पब्लिक प्रॉसिक्यूटर एवं ट्रायल जज को अवमानना ​​नोटिस जारी किया

    पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट जज और पब्लिक प्रॉसिक्यूटर से स्पष्टीकरण मांगा कि पहले से ही निरस्त हो चुके आपराधिक मामले को जारी रखते हुए हाईकोर्ट के आदेश की अवहेलना करने के लिए उनके खिलाफ अवमानना ​​कार्यवाही क्यों न शुरू की जाए।

    जस्टिस सुरेश्वर ठाकुर और जस्टिस सुदीप्ति शर्मा ने कहा,

    "ऐसा प्रतीत होता है कि संबंधित ट्रायल कोर्ट ने प्रथम दृष्टया उक्त निर्देशों की अवहेलना की है, बल्कि संबंधित पब्लिक प्रॉसिक्यूटर से जवाब आमंत्रित करने के लिए आगे बढ़ा है। बाद में वर्तमान आवेदक-याचिकाकर्ता द्वारा उक्त निर्देशों के कार्यान्वयन के लिए दायर आवेदन पर विचार करने का आदेश दिया है। परिणामस्वरूप, संबंधित विद्वान ट्रायल जज पर इस न्यायालय द्वारा दिए गए स्पष्ट निर्देशों (सुप्रा) की अवहेलना, इस प्रकार प्रथम दृष्टया न्यायालय की अवमानना ​​का गठन करती है। संबंधित पब्लिक प्रॉसिक्यूटर भी प्रथम दृष्टया न्यायालय की अवमानना ​​करने में (सुप्रा) के साथ सहभागी है। इसलिए उन दोनों को स्पष्टीकरण प्रस्तुत करने की आवश्यकता है कि उनके खिलाफ न्यायालय की अवमानना ​​के लिए आगे की कार्यवाही क्यों नहीं शुरू की जाए।"

    केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) द्वारा 2016 में वर्धमान लाइफ साइंसेज, इसके प्रबंध निदेशक सुयोग जैन और अन्य के खिलाफ कथित लोन चूक के आरोप में एफआईआर दर्ज की गई थी।

    हालांकि, हाईकोर्ट ने यह देखते हुए एफआईआर खारिज की कि कंपनी द्वारा 'धोखाधड़ी' किए जाने की घोषणाओं को खारिज किया जाना चाहिए और अलग रखा जाना चाहिए, क्योंकि वे प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन करते हैं।

    जैन ने हाईकोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किया कि निरस्तीकरण आदेश पारित होने के बावजूद, विशेष न्यायिक मजिस्ट्रेट, सीबीआई, चंडीगढ़ ने मामले को बंद करने से इनकार कर दिया और पब्लिक प्रॉसिक्यूटर द्वारा किए गए अनुरोध पर कार्यवाही स्थगित कर दी।

    खंडपीठ ने उल्लेख किया कि ट्रायल कोर्ट को कार्यवाही खारिज करने का निर्देश दिया गया था और कहा कि ट्रायल जज और पब्लिक प्रॉसिक्यूटर दोनों को सुनवाई की अगली तारीख पर अपने कार्यों को स्पष्ट करने की आवश्यकता है।

    केस टाइटल: सुयोग जैन बनाम भारतीय रिजर्व बैंक और अन्य

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