'पूर्व सूचना या सहमति के बिना पेंशन से वसूली नहीं': पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने RBI को बैंकों को निर्देश जारी करने का निर्देश दिया
Shahadat
18 Nov 2025 8:58 AM IST

रिटायर सरकारी कर्मचारियों के अधिकारों की रक्षा करने वाले महत्वपूर्ण फैसले में पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) को सभी एजेंसी बैंकों को निर्देश जारी करने का निर्देश दिया कि पेंशनभोगी की जानकारी, सहमति या पूर्व सूचना के बिना अतिरिक्त पेंशन की वसूली नहीं की जा सकती। ऐसी कोई भी वसूली सेवा नियमों के अनुसार होनी चाहिए।
यह निर्देश कैथल नगर परिषद के रिटायर कार्यकारी अधिकारी द्वारा दायर रिट याचिका स्वीकार करते हुए दिया गया। उनके पेंशन खाते से पंजाब नेशनल बैंक ने बिना किसी नोटिस या सुनवाई का अवसर दिए, "अतिरिक्त पेंशन" के आधार पर ₹6,63,688 की एकतरफा कटौती कर ली थी।
जस्टिस हरप्रीत बराड़ ने कहा,
"पेंशनभोगी की जानकारी के बिना पेंशन की अचानक वसूली, भले ही प्रशासनिक रूप से उचित हो, कानूनी दायरे से परे परिणाम उत्पन्न करती है। इस तरह की कार्रवाई सेवानिवृत्त कर्मचारियों को पेंशन प्रदान करने के मूल उद्देश्य, यानी रिटायरमेंट के बाद के जीवन में आर्थिक सम्मान और भावनात्मक स्थिरता सुनिश्चित करने के उद्देश्य को कमजोर करती है। वित्तीय दृष्टिकोण से यह तत्काल कठिनाई का कारण बनता है क्योंकि पेंशन की एक निश्चित राशि की वैध अपेक्षा के आधार पर पूर्व निर्धारित योजनाएँ अचानक अव्यवहारिक हो जाती हैं।"
अचानक कटौती वित्तीय संतुलन बिगाड़ती है
कोर्ट ने आगे कहा,
इसके अलावा, पेंशनभोगी अक्सर आवश्यक घरेलू और मेडिकल खर्चों को पूरा करने के लिए पूरी तरह से अपनी मासिक पेंशन पर निर्भर रहते हैं। इसलिए अचानक की गई कटौतियां उनके वित्तीय संतुलन को बिगाड़ देती हैं और स्वास्थ्य देखभाल की ज़रूरतों या अन्य बुनियादी खर्चों को पूरा करने में असमर्थता का कारण बन सकती हैं।
कोर्ट ने कहा,
"पूर्व सूचना का अभाव लंबे समय की सेवा के बाद सदमे, चिंता और विश्वासघात की भावना पैदा करता है। प्रशासनिक स्तर पर इस तरह की कार्रवाइयां नियोक्ता या सरकारी विभाग की निष्पक्षता और विश्वसनीयता में विश्वास को कम करती हैं। ऐसा आचरण प्रक्रियात्मक असंवेदनशीलता को दर्शाता है और सेवारत और रिटायर दोनों कर्मचारियों के मनोबल को कमज़ोर करता है, जिसके परिणामस्वरूप अक्सर अच्छा प्रदर्शन करने की प्रेरणा की कमी होती है।"
इसलिए पीठ ने कहा,
"मनमाना या बिना सूचना के की गई वसूली कल्याणकारी प्रशासन की भावना के विपरीत है और मानवीय विचार की कमी को दर्शाती है। कुल मिलाकर, इस तरह की अचानक वसूली का प्रभाव प्रशासनिक त्रुटि से कहीं आगे तक जाता है; यह स्वयं शासन की संवेदनशीलता, निष्पक्षता और जवाबदेही को दर्शाता है।"
अदालत ने आगे कहा,
जहां कानूनी उपाय मौजूद हैं, वहां भी प्रशासनिक विवेक यह मांग करता है कि पेंशन से किसी भी वसूली से पहले उचित सूचना, परामर्श और सेवानिवृत्त कर्मचारी की गरिमा के अनुरूप सहानुभूतिपूर्वक व्यवहार किया जाए।
परिणामस्वरूप, न्यायालय ने भारतीय रिज़र्व बैंक को सभी एजेंसी बैंकों को उचित निर्देश जारी करने का निर्देश दिया, जिसमें स्पष्ट किया गया कि किसी सरकारी कर्मचारी की पेंशन से अतिरिक्त राशि की वसूली पेंशनभोगी की जानकारी और सहमति के बिना या पूर्व सूचना जारी किए बिना नहीं की जाएगी।
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि ऐसी कोई भी वसूली लागू सेवा नियमों और निर्णय में वर्णित सिद्धांतों के अनुरूप होनी चाहिए।
याचिकाकर्ता 29 फ़रवरी 2016 को रिटायर हुए और उन्हें 1 मार्च 2016 से पेंशन स्वीकृत करने वाला पेंशन भुगतान आदेश जारी किया गया। 2019 में अधिकारियों ने हरियाणा सिविल सेवा (संशोधित पेंशन) नियम, 2017 और उसके बाद के सरकारी ज्ञापनों के तहत स्वतः संज्ञान लेते हुए उनकी पेंशन में संशोधन किया - बिना उनके साथ गणना या कोई भी जानकारी साझा किए। 31 मार्च 2021 को पीएनबी ने कथित तौर पर "अतिरिक्त पेंशन की वसूली" के लिए उनके व्यक्तिगत खाते से ₹6,63,688 काट लिए।
व्यथित होकर याचिकाकर्ता ने अभ्यावेदन प्रस्तुत किया और बाद में हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। हालांकि, न्यायालय ने पहले प्राधिकरण को एक स्पष्ट आदेश पारित करने का निर्देश दिया, लेकिन 16 नवंबर 2022 को "लिपिकीय त्रुटि" का हवाला देते हुए और यह आरोप लगाते हुए कि याचिकाकर्ता शिक्षित होने के नाते यह जान लेना चाहिए था कि अतिरिक्त भुगतान प्राप्त किया जा रहा है, अभ्यावेदन को अस्वीकार कर दिया गया।
प्रस्तुतियों की जांच करने के बाद पंजाब सिविल सेवा नियम (हरियाणा में लागू) के नियम 2.2(ए) और हरियाणा सिविल सेवा (पेंशन) नियम, 2016 के नियम 11 का हवाला देते हुए न्यायालय ने माना कि पेंशनभोगी की स्पष्ट लिखित सहमति के बिना पेंशन से कोई वसूली नहीं की जा सकती, सिवाय इसके कि कर्मचारी ने अतिरिक्त भुगतान वापस करने का वचन दिया हो।
कोर्ट ने पंजाब राज्य बनाम बूटा सिंह, पंजाब राज्य बनाम जे.एल. गुप्ता, पंजाब राज्य बनाम रफीक मसीह और जगदेव सिंह के मामलों में सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित विधि की स्थापित स्थिति को दोहराया और कहा कि सेवा शर्तें रिटायरमेंट के समय लागू नियमों द्वारा शासित होती हैं और कर्मचारी द्वारा धोखाधड़ी या गलत बयानी न किए जाने की स्थिति में सेवानिवृत्ति के बाद के लाभों से एकतरफा वसूली अस्वीकार्य है।
कोई नोटिस नहीं, कोई सुनवाई नहीं - प्राकृतिक न्याय का उल्लंघन
कोर्ट ने प्रतिवादियों की कार्रवाई की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि एकतरफा कटौती प्राकृतिक न्याय के मूल सिद्धांतों का उल्लंघन करती है। डैफोडिल्स फार्मास्युटिकल्स बनाम उत्तर प्रदेश राज्य का हवाला देते हुए न्यायालय ने दोहराया कि सुनवाई का न्यूनतम अवसर दिए बिना कोई भी प्रतिकूल आदेश पारित नहीं किया जा सकता।
बैंक के पास पेंशनभोगी के खाते से राशि निकालने का कोई अधिकार नहीं
कोर्ट ने पेंशन वितरण के संबंध में RBI के दिनांक 01.04.2025 के मास्टर सर्कुलर की भी जांच की और पाया कि जहां अधिक भुगतान बैंक की गलती के कारण हुआ, वहां बैंकों को सरकार को अतिरिक्त भुगतान वापस करना होगा, लेकिन ऐसा कोई प्रावधान नहीं है, जो बैंकों को पेंशनभोगी के खाते से कथित अतिरिक्त राशि को सीधे एकतरफा रूप से काटने का अधिकार देता हो, जब अधिक भुगतान सरकार की गलती से हुआ हो।
कोर्ट ने बैंक के कार्यों को "पूरी तरह से मनमाना और कानूनी अधिकार के बिना" करार दिया।
एक बार अधिकृत पेंशन को अपनी इच्छा से दोबारा नहीं खोला जा सकता
पंजाब सिविल सेवा नियम, 2016 के नियम 9.15 और हरियाणा सिविल सेवा (पेंशन) नियम, 2016 के नियम 78 की जांच के बाद न्यायालय ने कहा कि एक बार अधिकृत पेंशन को पेंशनभोगी के नुकसान के लिए संशोधित नहीं किया जा सकता, सिवाय कुछ सीमित परिस्थितियों में, जैसे कि लिपिकीय त्रुटि का पता चलने पर।
न्यायालय ने स्पष्ट किया कि तब भी नोटिस और सुनवाई का अवसर देना अनिवार्य है, जहां वसूली की बात हो, वहां पेंशनभोगी की स्पष्ट सहमति आवश्यक है, जब तक कि कोई पूर्व वचनबद्धता न हो।
याचिका स्वीकार करते हुए कोर्ट ने विवादित आदेश को रद्द कर दिया और याचिकाकर्ता से वसूली गई राशि, वर्तमान रिट याचिका प्रस्तुत करने की तिथि से वास्तविक भुगतान की तिथि तक 6% प्रति वर्ष की दर से ब्याज सहित वापस करने का निर्देश दिया।
Title: Sajjan Kumar Goyal v. State of Haryana and others

