कुछ भी गैर-कानूनी नहीं: हाईकोर्ट ने पंजाब के AAP विधायक जसवंत सिंह की ED गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका खारिज की
Shahadat
27 May 2024 11:15 AM IST
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने आम आदमी पार्टी (AAP) के पंजाब विधायक जसवंत सिंह की प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा उनकी गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका खारिज की।
अदालत ने इस तर्क को खारिज कर दिया कि गिरफ्तारी के मेमो और गिरफ्तारी के आधार सहित उसके खिलाफ मौजूद सामग्री गिरफ्तारी के दो दिन बाद निर्णय प्राधिकारी को भेज दी गई, जबकि इसे तुरंत भेजा जाना चाहिए था।
जस्टिस अनुपिंदर सिंह ग्रेवाल और जस्टिस कीर्ति सिंह ने कहा कि PMLA Act की धारा 19 (2) के तहत यह कहीं भी निर्दिष्ट नहीं है कि सामग्री गिरफ्तारी के दिन भेजी जानी चाहिए, क्योंकि इस्तेमाल किया गया शब्द "गिरफ्तारी के तुरंत बाद" है।
पीठ ने कहा,
"यह निर्दिष्ट नहीं है कि सूचना गिरफ्तारी वाले दिन ही भेजी जानी है। इसलिए हमें इसे निर्णय प्राधिकारी को एक दिन बाद भेजे जाने में कोई अवैधता नहीं मिलती। भले ही इसे बाद में भेजा गया हो 02 दिन, यह नहीं कहा जा सकता कि PMLA Act की धारा 19(2) के प्रावधानों का अनुपालन नहीं किया गया।''
कोर्ट ने राम किशोर अरोड़ा बनाम प्रवर्तन निदेशालय (सुप्रा) मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला दिया, जहां गिरफ्तारी के आधार के संचार के संबंध में अभिव्यक्ति "जितनी जल्दी हो सके" की व्याख्या गिरफ्तारी के 24 घंटे के भीतर की गई।
हालांकि पीठ ने कहा,
"लेकिन ऐसा कोई आदेश नहीं है कि सामग्री को उसी दिन या 24 घंटे के भीतर न्यायिक प्राधिकारी को भेजना है। इसलिए इस अदालत के लिए इस निष्कर्ष पर पहुंचना मुश्किल है कि PMLA Act की धारा 19(2) के तहत एक या दो दिन के बाद न्यायिक प्राधिकारी को सामग्री भेजना धारा का पर्याप्त अनुपालन नहीं होगा।"
अदालत AAP विधायक की ED द्वारा उनकी गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी। कथित तौर पर कंपनी मेसर्स टीसीएल का निदेशक और गारंटर होने के कारण जिसने 46 करोड़ रुपये से अधिक का लोन और क्रेडिट सुविधाएं प्राप्त की थीं। इसलिए उन पर PMLA Act के तहत मामला दर्ज किया गया।
आरोप है कि लोन सुविधाएं देने के नियमों और शर्तों के विपरीत यह राशि अन्य कंपनियों को हस्तांतरित कर दी गई। यह भी कहा गया कि 3.12 करोड़ रुपये की राशि AAP नेता के व्यक्तिगत खाते में भेजी गई है।
फोरेंसिक ऑडिट रिपोर्ट के आधार पर 09.02.2018 को मेसर्स टीसीएल के खाते को धोखाधड़ी घोषित किया गया और मामला RBI को सूचित किया गया। याचिकाकर्ता को कई बार जांच में शामिल होने के लिए समन जारी किया गया लेकिन वह जांच एजेंसी के सामने पेश नहीं हुआ। सिंह को ED ने नवंबर, 2023 में गिरफ्तार किया था।
दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने इस दलील को खारिज कर दिया कि सिंह को समन जारी नहीं किया गया था।
पीठ ने इस बात पर प्रकाश डाला कि "गिरफ्तारी के लिखित आधार उन्हें दिए गए, जैसा कि उनके हस्ताक्षरों से पता चलता है और रिकॉर्ड पर उपलब्ध है। इसलिए हम संतुष्ट हैं कि PMLA Act की धारा 19 (1) का पर्याप्त अनुपालन है।"
इसमें कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट ने राम किशोर अरोड़ा बनाम प्रवर्तन निदेशालय (सुप्रा), पंकज बंसल बनाम भारत संघ और अन्य (सुप्रा) और वी. सेंथिल बलाई बनाम राज्य और अन्य (सुप्रा) के मामलों में निर्णयों पर विचार करते हुए राय दी थी कि यदि गिरफ्तारी के लिखित आधार आरोपी को सूचित कर दिए गए और उसके द्वारा हस्ताक्षर किए गए तो यह PMLA Act की धारा 19(1) और संविधान के अनुच्छेद 22(1) का पर्याप्त अनुपालन होगा।
उपरोक्त के आलोक में न्यायालय ने माना कि "याचिकाकर्ता की गिरफ्तारी PMLA Act की धारा 19 (1) के अनुरूप है। हमें रिमांड के आदेशों और उसके बाद की कार्यवाही में कोई स्पष्ट अवैधता नहीं मिली है।"
परिणामस्वरूप याचिका खारिज कर दी गई।
केस टाइटल: जसवन्त सिंह बनाम भारत संघ और अन्य।