'हत्या सामाजिक बदला नहीं थी, दोषी 60 साल से ज़्यादा उम्र का': पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने सिर काटने के मामले में मौत की सज़ा कम की

Shahadat

23 Dec 2025 9:14 AM IST

  • हत्या सामाजिक बदला नहीं थी, दोषी 60 साल से ज़्यादा उम्र का: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने सिर काटने के मामले में मौत की सज़ा कम की

    यह देखते हुए कि हत्या परिवार की संपत्ति के विवाद से पैदा हुई निजी दुश्मनी के कारण हुई थी, न कि "सामाजिक बदले" के कारण, साथ ही दोषी 60 साल से ज़्यादा उम्र का है और उसका हिंसक व्यवहार का कोई इतिहास नहीं है, पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने अपने छोटे भाई की हत्या और सिर काटने के दोषी एक व्यक्ति की मौत की सज़ा कम कर दी है।

    भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 302 और 201 के तहत दोषसिद्धि बरकरार रखते हुए कोर्ट ने पाया कि यह मामला मौत की सज़ा के लिए "दुर्लभ से दुर्लभतम" श्रेणी में नहीं आता है। इसके बजाय दोषी को बिना किसी छूट के कम-से-कम 20 साल की अनिवार्य जेल की सज़ा सुनाई। साथ ही पीड़ित के परिवार को मुआवजे के तौर पर ज़्यादा जुर्माना देने का भी आदेश दिया।

    जस्टिस अनूप चिटकारा और जस्टिस एच.एस. ग्रेवाल की डिवीजन बेंच ने कहा,

    "रिकॉर्ड पर ऐसा कोई सबूत नहीं है, जो यह बताए कि अपीलकर्ता समाज के सामंजस्यपूर्ण और शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के लिए खतरा होंगे। हमारी राय में ऐसे कई कारण हैं, जो मौत की सज़ा को सही नहीं ठहराते, जैसे कि भाई की हत्या का मकसद संपत्ति का विवाद था, और यह दोषी का निजी बदला था, न कि सामाजिक बदला। इसके अलावा, जेल में दोषी के हिंसक व्यवहार का कोई आरोप नहीं है। ये कारक, साथ ही आवेदक की उम्र 60 साल से ज़्यादा होने के कारण, मौत की सज़ा को सही नहीं ठहराते।"

    हाईकोर्ट भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS), 2023 की धारा 407 के तहत मौत के संदर्भ के साथ-साथ दोषी अशोक कुमार द्वारा दायर BNSS की धारा 415(2) के तहत आपराधिक अपील पर सुनवाई कर रहा था, जिसे सेशंस कोर्ट ने अपने छोटे भाई दीपक की क्रूर हत्या और सिर काटने के लिए मौत की सज़ा सुनाई।

    अभियोजन पक्ष ने आरोप लगाया कि दीपक शारीरिक रूप से विकलांग और तलाकशुदा था। वह व्हीलचेयर पर रहता था। उसकी हत्या अशोक ने अपनी मां के घर को सिर्फ़ दीपक के नाम करने के फैसले से उपजे लंबे समय से चले आ रहे संपत्ति विवाद के कारण की थी।

    अभियोजन पक्ष के अनुसार, मृतक का शव टोहाना में उसके घर में बिना सिर के मिला, और कटा हुआ सिर गायब था। अशोक द्वारा दीपक को जान से मारने की धमकियों के बारे में मृतक ने अपनी बहन को बताया। आरोपी पर आरोप है कि उसने CCTV DVR हटा दिए, कटा हुआ सिर, हथियार (कप्पा) और चाबियां ले गया और उन्हें एक नहर में फेंक दिया। अभियोजन पक्ष ने संपत्ति विवाद से जुड़े मकसद पर भरोसा किया। आरोपी ने रिश्तेदारों और अपने डॉक्टर को फोन कॉल के ज़रिए गैर-न्यायिक बयान दिए।

    राज्य ने बताया कि आरोपी के मोबाइल फोन से बरामद कॉल रिकॉर्डिंग, FSL वॉयस-मैचिंग रिपोर्ट और आरोपी के हाथों पर बिना बताई गई चोटें और खून के धब्बे वाले सोने के कड़े की बरामदगी से इसकी पुष्टि हुई।

    दलीलों की विस्तार से जांच करने के बाद कोर्ट ने पाया कि पोस्टमार्टम के सबूतों से यह पक्का हो गया कि दीपक की मौत सिर काटने से हुई थी, जो हत्या के बराबर गैर इरादतन हत्या है।

    लास्ट-सीन थ्योरी खारिज

    कोर्ट ने साफ तौर पर फैसला सुनाया कि लास्ट-सीन के सबूत फेल हो गए, क्योंकि एकमात्र गवाह जिसने कथित तौर पर आरोपी को मृतक के साथ देखा था, उसकी ट्रायल से पहले ही मौत हो गई। साथ ही उसका बयान CrPC की धारा 164/ BNSS की धारा 183 के तहत रिकॉर्ड नहीं किया गया। दूसरे गवाह की गवाही जिसमें बताया गया कि मृतक गवाह ने क्या कहा, उसे सिर्फ सुनी-सुनाई बात और अमान्य माना गया।

    Title: State of Haryana v. Ashok Kumar

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