विभागीय मानदंडों का उल्लंघन, बिना बेईमानी से आर्थिक लाभ प्राप्त करने का इरादा, आपराधिक कदाचार नहीं: जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट

Shahadat

7 Feb 2025 9:53 AM IST

  • विभागीय मानदंडों का उल्लंघन, बिना बेईमानी से आर्थिक लाभ प्राप्त करने का इरादा, आपराधिक कदाचार नहीं: जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट

    भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत याचिकाकर्ताओं के खिलाफ आरोप तय करने का आदेश रद्द करते हुए जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने कहा कि आरोपपत्र में ऐसी कोई बात नहीं है और आरोपपत्र के साथ संलग्न अभिलेखों में ऐसी कोई सामग्री नहीं है, जिससे यह संकेत मिलता हो कि याचिकाकर्ता ने अपने लिए या किसी अन्य व्यक्ति के लिए कोई आर्थिक लाभ या कोई मूल्यवान वस्तु प्राप्त की थी, भले ही इससे राज्य के खजाने को नुकसान हुआ हो।

    अदालत ने आगे कहा कि अभिलेखों में मौजूद सामग्री से यह पता चलता है कि याचिकाकर्ताओं ने परियोजना को क्रियान्वित करते समय विभागीय मानदंडों और तकनीकी दिशा-निर्देशों का पालन नहीं किया है। अदालत ने कहा कि ये उल्लंघन तब तक पर्याप्त नहीं हैं, जब तक कि इसके साथ खुद के लिए और दूसरों के लिए कुछ आर्थिक लाभ प्राप्त करने का बेईमान इरादा न हो।

    जस्टिस संजय धर की पीठ ने यह भी कहा कि प्रतिवादियों का यह मामला नहीं है कि याचिकाकर्ताओं ने कोई भौतिक लाभ प्राप्त किया है और न ही प्रतिवादी ने निजी ठेकेदारों को पक्षकार बनाया है, जो ऐसी परिस्थिति में याचिकाओं द्वारा किए गए दुराचार के मद्देनजर कोई आर्थिक लाभ प्राप्त कर सकते थे। इन तथ्यों के मद्देनजर, आपराधिक कदाचार के लिए जम्मू-कश्मीर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 5(1)(डी) के तहत आरोप नहीं लगाए जा सकते।

    मामले की पृष्ठभूमि:

    याचिकाकर्ताओं के खिलाफ मामला यह है कि उत्तर बेहानी में आरसीसी पुल के निर्माण से संबंधित परियोजना को क्रियान्वित करते समय उन्होंने कुछ तकनीकी पहलुओं पर पूर्व जांच नहीं की और परियोजना को डिजाइन निदेशालय द्वारा जांचा जाना आवश्यक था। इन प्रक्रियाओं का पालन न करने के परिणामस्वरूप पुल ढह गया और परिणामस्वरूप राज्य के खजाने को नुकसान हुआ।

    न्यायालय ने कहा कि यदि याचिकाकर्ताओं के विरुद्ध एकत्रित सभी सामग्री को प्रथम दृष्टया सत्य मान लिया जाए तथा उसमें शामिल आरोपों को भी स्वीकार कर लिया जाए, तब भी धारा 5(1)(डी) के अंतर्गत आरोप या उस मामले के लिए कोई अन्य आरोप नहीं बनता। अनुपालन न किए जाने पर अधिक से अधिक विभागीय जांच की आवश्यकता हो सकती है, लेकिन आपराधिक मुकदमा नहीं चलाया जा सकता।

    न्यायालय ने अपील खारिज की और तदनुसार याचिकाकर्ताओं के विरुद्ध आरोप तय करने का आदेश रद्द कर दिया।

    केस टाइटल: दलीप थुसू एवं अन्य बनाम केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर, 2024

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