गिरफ्तारी के आधार को लिखित रूप में प्रस्तुत करने का आदेश सुप्रीम कोर्ट के पंकज बंसल फैसले की तारीख से गिरफ्तारी पर लागू होगा: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट
Avanish Pathak
21 Feb 2025 1:05 PM IST

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि पंकज बंसल मामले में निर्धारित कानून भावी रूप से लागू होगा, जो 03 अक्टूबर, 2023 के बाद है, जिस दिन पंकज बंसल मामले में फैसला सुनाया गया था। पंकज बंसल बनाम यूनियन ऑफ इंडिया मामले में एक ऐतिहासिक फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि प्रवर्तन निदेशालय को अभियुक्त को गिरफ्तारी के कारणों को लिखित रूप में प्रस्तुत करना चाहिए।
जस्टिस जसजीत सिंह बेदी ने कहा,
"कानून का प्रस्ताव यह है कि गिरफ्तारी के आधार अभियुक्त को लिखित रूप में दिए जाने चाहिए, लेकिन पंकज बंसल (सुप्रा) में निर्धारित कानून के अनुसार गिरफ्तारी के आधार 03.10.2023 के बाद भावी रूप से दिए जाने हैं, अर्थात जिस दिन पंकज बंसल (सुप्रा) में फैसला सुनाया गया था।"
ये टिप्पणियां धारा 302, 34 आईपीसी, 1860 और शस्त्र अधिनियम की धारा 25 और 29 के तहत हत्या के एक मामले में जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए की गईं।
यह आरोप लगाया गया था कि आरोपी अनुराग ने याचिकाकर्ता रविंदर और संदीप उर्फ कोकी के साथ मिलकर हत्या की थी। अनुराग ने कथित तौर पर कबूल किया कि उसने मृतक पर अपनी देसी पिस्तौल से गोली चलाई थी, याचिकाकर्ता ने सुमित के सिर पर डंडा मारा था जबकि संदीप उर्फ कोकी ने पैर और मुट्ठी से वार किया था।
याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया कि याचिकाकर्ता को कोई विशेष भूमिका नहीं दी गई है। उसकी भूमिका, यदि कोई है, तो केवल उसके सह-आरोपी द्वारा दिए गए इकबालिया बयान और उसके स्वयं के इकबालिया बयान से उत्पन्न हुई है, जिसके अनुसार उसने मृतक के शरीर पर डंडे से वार किया था।
पंकज बंसल मामले पर भरोसा करते हुए उन्होंने कहा कि गिरफ्तारी के समय याचिकाकर्ता को गिरफ्तारी का कोई आधार नहीं बताया गया। प्रस्तुतियों की जांच करने के बाद न्यायालय ने पाया कि पंकज बंसल मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने गिरफ्तार व्यक्ति को गिरफ्तारी का लिखित आधार बताना अनिवार्य कर दिया था और ऐसा न करने पर आरोपी व्यक्ति को तुरंत रिहा कर दिया जाएगा।
न्यायालय ने इस बात पर प्रकाश डाला कि राम किशोर अरोड़ा बनाम प्रवर्तन निदेशालय मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने माना था कि पंकज बंसल बनाम यूनियन ऑफ इंडिया मामले में उसका निर्णय जिसमें कहा गया था कि प्रवर्तन निदेशालय को आरोपी को गिरफ्तारी का आधार लिखित रूप में देना चाहिए, पूर्वव्यापी रूप से लागू नहीं होता।
जस्टिस बेला एम त्रिवेदी और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने माना कि पंकज बंसल (3 अक्टूबर, 2023) में फैसला सुनाए जाने की तारीख तक गिरफ्तारी के आधार प्रस्तुत न करना अवैध नहीं माना जा सकता।
वर्तमान मामले में, न्यायालय ने नोट किया कि याचिकाकर्ता को 03.10.2023 यानी जिस तारीख को पंकई बंसल (सुप्रा) में फैसला सुनाया गया था, उससे बहुत पहले 23.02.2022 को गिरफ्तार किया गया था। इसलिए, उसे फैसले में निर्धारित कानून का कोई लाभ नहीं मिल सकता है।
उपरोक्त के आलोक में, याचिका खारिज कर दी गई।
केस टाइटलः रविंदर बनाम हरियाणा राज्य
साइटेशन: 2025 लाइवलॉ (पीएच) 87

