स्थानीय बिक्री मूल्यांकन अंतर-राज्यीय बिक्री कर दावों से करदाता को छूट नहीं देता: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने नियम बनाए

Amir Ahmad

10 Sep 2024 9:17 AM GMT

  • स्थानीय बिक्री मूल्यांकन अंतर-राज्यीय बिक्री कर दावों से करदाता को छूट नहीं देता: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने नियम बनाए

    पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया कि स्थानीय बिक्री मूल्यांकन अंतर-राज्यीय बिक्री कर दावों से करदाता को छूट नहीं देता।

    जस्टिस संजीव प्रकाश शर्मा और संजय वशिष्ठ की पीठ ने कहा,

    “केवल इसलिए कि संबंधित राज्यों ने स्थानीय बिक्री के लिए करदाता/याचिकाकर्ता का मूल्यांकन किया, वे बिहार राज्य द्वारा उठाए गए दावे से खुद को मुक्त नहीं कर सकते। करदाता/याचिकाकर्ता को इसका भुगतान करना आवश्यक है।”

    केंद्रीय बिक्री कर अधिनियम 1956 की धारा 6(1) में प्रावधान है कि प्रत्येक डीलर इस अधिनियम के अंतर्गत वस्तुओं (विद्युत ऊर्जा को छोड़कर) की सभी अंतर-राज्यीय बिक्री पर टैक्स सिवाय धारा 5(3) के अनुसार भारत के बाहर निर्यात के दौरान बेची गई वस्तुओं को छोड़कर भुगतान करने के लिए उत्तरदायी है।”

    केंद्रीय बिक्री कर अधिनियम 1956 की धारा 6(1ए) में प्रावधान है कि डीलर इस अधिनियम के अंतर्गत अंतर-राज्यीय बिक्री पर कर का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी है, भले ही संबंधित राज्य के बिक्री कर कानून के तहत कोई कर लागू न होता यदि बिक्री उस राज्य के भीतर हुई होती।

    पूरा मामला

    करदाता/याचिकाकर्ता मॉडर्न फूड इंडस्ट्रीज (इंडिया) लिमिटेड (MFIL) भारत सरकार का सार्वजनिक क्षेत्र का उद्यम है, जो खाद्य उत्पादों के निर्माण में लगा हुआ है। सामाजिक कल्याण कार्यक्रमों के तहत वितरण के लिए पोषाहार (ऊर्जा खाद्य) की आपूर्ति करने के लिए उनका बिहार सरकार के साथ एक समझौता ज्ञापन (MOU) था।

    समझौते के हिस्से के रूप में MFIL को अपने मौजूदा संयंत्रों से इस खाद्य की आपूर्ति करनी थी, जिसमें फरीदाबाद हरियाणा में एक संयंत्र भी शामिल है, जब तक कि वे बिहार में नई सुविधाएं स्थापित नहीं कर लेते।

    फरीदाबाद में आबकारी एवं कराधान अधिकारी ने इस आपूर्ति को अंतर-राज्यीय व्यापार के रूप में मूल्यांकित किया जो केंद्रीय बिक्री कर अधिनियम के तहत कर योग्य है तथा कर और दंड की मांग जारी की।

    करदाता ने संयुक्त आयुक्त एवं कराधान आयुक्त (अपील), फरीदाबाद के समक्ष अपील दायर की, जिसने आबकारी एवं कराधान अधिकारी द्वारा पारित आदेश बरकरार रखा।

    व्यथित होकर करदाता ने बिक्री कर न्यायाधिकरण, हरियाणा के समक्ष अपील दायर की, जिसने संयुक्त आयुक्त एवं कराधान आयुक्त (अपील) द्वारा पारित आदेश को बरकरार रखा।

    करदाता ने बिक्री कर न्यायाधिकरण द्वारा पारित आदेश को चुनौती देते हुए पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के समक्ष रिट याचिका दायर की।

    करदाता ने प्रस्तुत किया कि करदाता/याचिकाकर्ता ने बिहार राज्य के स्तर पर ही बिक्री कर का भुगतान किया, इसलिए इसे अंतर-राज्यीय बिक्री नहीं कहा जा सकता, क्योंकि बिक्री को केवल संबंधित राज्य के स्तर पर ही माना जाना चाहिए।

    एक बार जब करदाता/याचिकाकर्ता बिहार सरकार को 4.43% की दर से बिक्री कर का भुगतान कर देते हैं तो उन पर दो बार कर नहीं लगाया जा सकता है। उनके पीछे कोई गुप्त उद्देश्य नहीं हो सकता है, क्योंकि हरियाणा में बिक्री कर केवल 4% है। एक बार जब करदाता का उत्तर प्रदेश और बिहार राज्य द्वारा पहले ही मूल्यांकन कर लिया जाता है तो हरियाणा राज्य बिक्री कर का दावा नहीं कर सकता।

    विभाग ने भारत इलेक्ट्रिक लिमिटेड बनाम भारत संघ [(1996)8 पीआरटी 424 (एससी)] के मामले का उल्लेख किया, जहां यह माना गया कि अंतरराज्यीय बिक्री कर उस राज्य में लगाया जा सकता है, जहां माल विशिष्ट उद्देश्य के लिए निर्मित किया जाता है और जहां से माल की आवाजाही होती है। चूंकि माल की आवाजाही फरीदाबाद से पटना, मद्रास और कानपुर शाखाओं में पूर्व अनुबंध और विशिष्ट फॉर्मूलेशन के अनुसरण में विशिष्ट उद्देश्य के लिए हुई थी, इसलिए यह अंतर-राज्यीय बिक्री है। इसलिए फरीदाबाद में अंतर-राज्यीय बिक्री कर लगाया जा सकता है।

    हाईकोर्ट की टिप्पणियां:

    पीठ ने कहा कि केवल इसलिए कि संबंधित राज्यों द्वारा स्थानीय बिक्री के लिए करदाता/याचिकाकर्ता का कर निर्धारण किया गया, वह बिहार राज्य द्वारा उठाए गए दावे से खुद को मुक्त नहीं कर सकता। करदाता/याचिकाकर्ता को इसका भुगतान करना आवश्यक है।

    पीठ ने टाटा मोटर्स लिमिटेड बनाम केंद्रीय बिक्री कर अपीलीय प्राधिकरण और अन्य [2022(9) टीएमआई 1000] मामले का हवाला दिया और कहा,

    "हम करदाता/याचिकाकर्ता को टाटा मोटर्स लिमिटेड में की गई टिप्पणियों के अनुसार संबंधित राज्यों को पहले से भुगतान की गई राशि की वापसी का दावा करने के लिए स्वतंत्र छोड़ते हैं।"

    उपरोक्त के मद्देनजर पीठ ने याचिका खारिज कर दी।

    केस टाइटल- मॉडर्न फूड इंडस्ट्रीज (इंडिया) लिमिटेड बनाम

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