खालिस्तानी झंडा फहराने के आरोपी को पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट से जमानत

Amir Ahmad

7 Nov 2025 1:12 PM IST

  • खालिस्तानी झंडा फहराने के आरोपी को पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट से जमानत

    पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत लगभग पांच साल से जेल में बंद एक व्यक्ति को जमानत दे दी है। इस व्यक्ति पर कथित रूप से खालिस्तानी झंडा फहराने में सहायता करने का आरोप था।

    जस्टिस दीपक सिब्बल और जस्टिस लपिता बनर्जी की खंडपीठ ने कहा कि, "अपीलकर्ता के खिलाफ आरोप था कि उसने गुरपतवंत सिंह पन्नू का वीडियो देखा और अपने चचेरे भाई इंद्रजीत सिंह (मुख्य आरोपी) को अलग राज्य 'खालिस्तान' के गठन का समर्थन करने के लिए प्रेरित किया, और उपायुक्त (DC) कार्यालय की शीर्ष मंजिल पर 'खालिस्तान' झंडा फहराने में मदद/उकसावा दिया।"

    न्यायालय ने पाया कि अपराध किए जाने से एक दिन पहले हुई एक फोन कॉल के अलावा, अपीलकर्ता को मुख्य आरोपी इंद्रजीत सिंह से जोड़ने वाला कोई और सामग्री अभियोजन पक्ष द्वारा रिकॉर्ड पर नहीं लाई गई है। कोर्ट ने कहा कि इस स्तर पर आपराधिक साजिश या मन की बैठक दिखाने वाला कोई ठोस प्रमाण पेश नहीं किया गया है।

    मामला और आरोप

    यह घटना 2020 की है जब दो आरोपियों ने कथित तौर पर मोगा स्थित उपायुक्त कार्यालय के प्रशासनिक परिसर में प्रवेश किया और सबसे ऊपर की मंजिल पर जाकर पहले से लगे एक लोहे के खंभे पर 'खालिस्तान' लिखा हुआ भगवा/पीले रंग का झंडा फहराया। उन पर यह भी आरोप था कि उन्होंने भूतल पर लगा भारतीय राष्ट्रीय ध्वज रस्सी काटकर नीचे उतार दिया था। इस घटना के बाद, भारतीय दंड संहिता (IPC), UAPA और राष्ट्रीय गौरव अपमान निवारण अधिनियम के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी।

    जांच में कथित तौर पर यह सामने आया कि यह अपराध प्रतिबंधित संगठन सिख फॉर जस्टिस (SFJ) के इशारे पर किया गया था, जिसका नेतृत्व गुरपतवंत सिंह पन्नू करते हैं। अपीलकर्ता जगविंदर को सोशल मीडिया पर एसएफजे का समर्थन करने और अपने चचेरे भाई इंद्रजीत सिंह सहित अन्य युवाओं को कट्टरपंथी बनाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।

    कोर्ट का निष्कर्ष

    अपीलकर्ता के वकील ने दलील दी कि भले ही उस पर UAPA के तहत गैरकानूनी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगाया गया हो, लेकिन उसके पास से एक मोबाइल फोन के अलावा कोई आपत्तिजनक सामग्री बरामद नहीं हुई, जो उसे किसी अपराध, खासकर UAPA के तहत किसी अपराध से जोड़ती हो।

    अदालत ने पाया कि सह-आरोपी इंद्रजीत सिंह के खुलासा बयान (disclosure statement) के अलावा, अपीलकर्ता को किसी भी अपराध से जोड़ने वाला कोई अन्य साक्ष्य अभियोजन पक्ष द्वारा एकत्र नहीं किया गया है। कोर्ट ने कहा कि युवाओं को कट्टरपंथी बनाने और प्रेरित करने के आरोप की पुष्टि करने के लिए कोई अन्य सामग्री रिकॉर्ड पर नहीं लाई गई।

    न्यायालय ने इस बात पर जोर दिया कि,

    "अपीलकर्ता के पास से उसके मोबाइल फोन के अलावा कोई बरामदगी नहीं हुई है। अपीलकर्ता 5 साल और 29 दिन की वास्तविक कैद काट चुका है और ट्रायल का अंत कहीं नजर नहीं आ रहा है।" राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) द्वारा ट्रायल पूरा होने के लिए आवश्यक समय का कोई उचित अनुमान न दे पाने पर, कोर्ट ने कहा कि उसके पास "अपीलकर्ता को जमानत पर रिहा करने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं है।"

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