बहू को यौन संबंध बनाने के लिए मजबूर करना बेहद भ्रष्ट': पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने ससुर को अग्रिम जमानत देने से किया इनकार
Amir Ahmad
13 Nov 2024 11:33 AM IST
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने अपनी बहू का यौन उत्पीड़न करने के आरोपी व्यक्ति को अग्रिम जमानत देने से इनकार किया। न्यायालय ने कहा कि उसके खिलाफ लगाए गए आरोपों की गंभीरता को देखते हुए उसे सुरक्षात्मक आदेश देने से जांच एजेंसी की पूरी सच्चाई सामने लाने की क्षमता बाधित हो सकती है।
जस्टिस सुमीत गोयल ने कहा,
"इस बंधन की मर्यादा और गरिमा अटूट विश्वास, संरक्षकता और गंभीरता के साथ बनी रहती है, जबकि अनजाने में किए गए अनुचित कृत्य का मात्र संकेत भी ऐसे रिश्ते के लिए बेहद हानिकारक हो सकता है। इच्छा व्यक्त करना या आगे बढ़ना, या बहू को यौन संबंध बनाने के लिए मजबूर करना या इस तरह के किसी भी प्रभाव के लिए अनुचित टिप्पणी करना, ससुर की ओर से किए गए उल्लेखनीय रूप से भ्रष्ट कार्य हैं।"
न्यायालय अपनी पुत्रवधू का शील भंग करने तथा यौन उत्पीड़न करने के आरोपी व्यक्ति की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई कर रहा था। आईपीसी की धारा 323, 354-ए, 498-ए तथा 506 के तहत दंडनीय अपराधों के लिए FIR दर्ज की गई। आरोप है कि शिकायतकर्ता के पति ने नशे की हालत में उसके साथ दुर्व्यवहार किया तथा शिकायतकर्ता पर उसके परिवार से अधिक दहेज मांगने का दबाव बनाया।
उसने आगे कहा कि शिकायतकर्ता के ससुर ने भी उसके साथ जबरन शारीरिक संबंध बनाने का प्रयास किया तथा शिकायतकर्ता के पति ने इन कार्यों का समर्थन किया। विरोध करने पर तलाक की धमकी दी।
रिकॉर्ड पर उपलब्ध प्रस्तुतियों तथा सामग्री की जांच करने के पश्चात न्यायालय ने पाया कि जब याचिकाकर्ता ने कथित रूप से शिकायतकर्ता का शील भंग करने का प्रयास किया तो शिकायतकर्ता ने उस बातचीत को रिकॉर्ड कर लिया, जिसमें याचिकाकर्ता अनुचित टिप्पणी कर रहा था।
आगे कहा गया,
"अभियोजन पक्ष द्वारा अब तक एकत्रित की गई सामग्री से पता चलता है कि पीड़ित/शिकायतकर्ता और याचिकाकर्ता के बीच की वॉयस रिकॉर्डिंग वाली एक पेन-ड्राइव को कब्जे में ले लिया गया, जो याचिकाकर्ता द्वारा अपराध किए जाने का संकेत देती है।"
जस्टिस गोयल ने स्पष्ट किया कि ससुर और बहू का रिश्ता पिता और बेटी के बीच के रिश्ते जैसा है, जो आपसी सम्मान, स्नेह और उच्च सम्मान पर आधारित है।
मामले की गंभीरता को देखते हुए जज ने कहा कि राहत देने से जांच एजेंसी के स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच करने के अधिकारों में अनुचित रूप से बाधा उत्पन्न होगी।
उपर्युक्त के आलोक में याचिका खारिज कर दी गई।
केस टाइटल- XXXX बनाम हरियाणा राज्य