तालिबान शैली की सज़ा: पी एंड एच हाईकोर्ट ने 'मैं चोर हूं' की तख्तियां लेकर सार्वजनिक रूप से घुमाने वाले व्यक्ति को अग्रिम जमानत देने से इनकार किया
Amir Ahmad
13 March 2025 9:44 AM

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने एक व्यक्ति को अग्रिम जमानत देने से इनकार किया, जिस पर नाबालिग लड़कियों सहित पांच लोगों को 'मैं चोर हूं, मैं अपना अपराध स्वीकार करता हूं' लिखी तख्तियां लेकर बाज़ार में घुमाने का आरोप था।
जस्टिस नमित कुमार ने कहा,
"पीड़ित के गले में "मैं चोर हूं, मैं अपना अपराध स्वीकार करता हूं," सफेद तख्तियों पर आपत्तिजनक सामग्री लिखकर कार्डबोर्ड लटकाए गए थे पीड़ितों को खुलेआम बाज़ार में घुमाया गया और उसके बाद उनका वीडियो सोशल मीडिया पर भी वायरल किया गया, जिससे यह स्पष्ट रूप से पता चलता है कि याचिकाकर्ता सहित अभियुक्तों का कृत्य किसी भी तरह से स्वीकार्य मानवीय कृत्य नहीं था बल्कि यह कानून को अपने हाथ में लेने की तालिबान शैली की सज़ा का कृत्य था।
न्यायालय ने आगे कहा कि यह कृत्य इस बात को समझे बिना किया गया कि इससे पीड़ितों की सामाजिक छवि प्रभावित हो सकती है, जिनमें से कुछ लड़कियां और यहां तक कि नाबालिग भी हैं। यह कृत्य समाज के सामने उनकी प्रतिष्ठा और छवि को कम करके उनका भविष्य भी खराब कर सकता है, जो एक गंभीर चिंता का विषय है।
सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल हुआ, जिसमें तीन लड़कियां, एक बुजुर्ग महिला और एक लड़का दिखाई दे रहा है, जिनके चेहरे पर कालिख लगी हुई है और उनके गले में सफेद तख्तियां लटकी हुई हैं, जिस पर लिखा है 'मैं चोर हूं, मैं अपना अपराध स्वीकार करता हूं'।
पीड़ित लुधियाना में फैक्ट्री के कर्मचारी थे, जिन पर मालिक द्वारा कपड़े चोरी करने का आरोप लगाए जाने के बाद कथित तौर पर उन्हें सड़कों पर घुमाया गया। बाद में फैक्ट्री मालिक सहित आरोपियों के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 127, 356, 74, 75, 61(2) के तहत FIR दर्ज की गई। फैक्ट्री मालिक की ओर से पेश वकील ने तर्क दिया कि दो अन्य सह-आरोपियों को पहले ही लुधियाना के एडिशनस सेशन जज की अदालत द्वारा नियमित जमानत की रियायत दी जा चुकी है और वह जांच में शामिल होने और जांच एजेंसी के साथ सहयोग करने के लिए तैयार हैं।
पीड़ितों के वकील की सहायता से राज्य के वकील ने लुधियाना के सहायक पुलिस आयुक्त (उत्तर) देविंदर कुमार के हलफनामे के माध्यम से स्थिति रिपोर्ट दाखिल करते हुए याचिका का विरोध करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता मुख्य आरोपी है और उससे हिरासत में पूछताछ की जानी चाहिए। यह जरूरी है, क्योंकि उसके कारखाने में लगे मोबाइल फोन और एनवीआर/डीवीआर को बरामद किया जाना जरूरी है।
बयानों को सुनने के बाद अदालत ने कहा,
"आरोपी का मोबाइल फोन और उसके कारखाने में लगे एनवीआर/डीवीआर को बरामद किया जाना बाकी है। मामले की उचित और निष्पक्ष जांच के लिए इसकी जरूरत है।"
अदालत ने यह भी कहा कि एडिशनल सेशन जज ने अन्य सह-आरोपी को जमानत देते हुए कहा,
“यह अभी तक पता नहीं चल पाया कि किसके मोबाइल फोन से पीड़िता के चेहरे पर कालिख पोतने और गर्दन में कार्डबोर्ड डालने वाला वीडियो क्लिप वायरल हुआ और किसने पीड़िता के चेहरे पर कालिख पोत दी और गर्दन में कार्डबोर्ड डालकर आपत्तिजनक शब्द लिखे हैं।"
इसके अलावा लुधियाना के एडिशनल सेशन जज की अदालत ने याचिकाकर्ता की गिरफ्तारी से पहले जमानत खारिज करते हुए विशेष रूप से दर्ज किया कि पीड़ितों में से एक नाबालिग है। पुलिस को POCSO Act की धारा के तहत अपराध जोड़ने के लिए आवेदन दिया गया।
उपरोक्त के आलोक में न्यायालय ने याचिका खारिज करते हुए कहा,
"यदि याचिकाकर्ता आज से 10 दिनों की अवधि के भीतर ट्रायल कोर्ट के समक्ष आत्मसमर्पण करने का विकल्प चुनता है और नियमित जमानत की मांग करते हुए उचित आवेदन प्रस्तुत करता है तो ऐसी स्थिति में ट्रायल कोर्ट कानून के अनुसार यथासंभव शीघ्रता से उस पर विचार करेगा और निर्णय लेगा।"
केस टाइटल- PXXXX बनाम पंजाब राज्य