पंजाब एवं हरियाणा हाइकोर्ट ने SSC वायु सेना ग्राउंड ड्यूटी शाखा में पुरुषों के लिए 89% आरक्षण को चुनौती देने वाली याचिका पर रक्षा मंत्रालय से जवाब मांगा

Amir Ahmad

26 April 2024 7:49 AM GMT

  • पंजाब एवं हरियाणा हाइकोर्ट  ने SSC वायु सेना ग्राउंड ड्यूटी शाखा में पुरुषों के लिए 89% आरक्षण को चुनौती देने वाली याचिका पर रक्षा मंत्रालय से जवाब मांगा

    पंजाब एंड हरियाणा हाइकोर्ट ने भारतीय वायु सेना की "ग्राउंड ड्यूटी" शाखा में शॉर्ट सर्विस कमीशन (SSC) अधिकारियों में पुरुषों के लिए 89% आरक्षण को चुनौती देने वाली जनहित याचिका पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा।

    एक्टिंग चीफ जस्टिस जीएस संधावालिया और जस्टिस लपिता बनर्जी की खंडपीठ ने भारत संघ, रक्षा मंत्रालय और वायु सेना प्रमुख, कार्मिक निदेशालय (अधिकारी) के निदेशक को नोटिस जारी किया।

    भारतीय सेना की रिटायर्ड महिला शॉर्ट कमीशन अधिकारी कैप्टन सुखजीत पाल कौर सानेवाल (रिटायर्ड) ने जनवरी 2025 में शुरू होने वाले पाठ्यक्रम के लिए पिछले साल दिसंबर में संघ द्वारा जारी विज्ञापन से व्यथित होकर हाइकोर्ट का रुख किया, जिसमें "89% रिक्तियां पुरुषों के लिए आरक्षित हैं, जबकि 11% महिलाओं के लिए रखी गई।"

    याचिका में कहा गया कि 89% आरक्षण नीति संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 16 का उल्लंघन करती है और कई मामलों में संवैधानिक न्यायालयों द्वारा निर्धारित कानून का भी उल्लंघन करती है। याचिका में कहा गया कि जेंडर भेदभाव" राष्ट्रीय और व्यापक सार्वजनिक हित के लिए हानिकारक है, जिसमें बहुत अधिक योग्यता वाली महिलाओं को ग्राउंड ड्यूटी शाखाओं में नियुक्ति नहीं दी जाएगी जबकि बहुत कम योग्यता वाले पुरुषों को नियुक्त किया जाएगा।

    सचिव, रक्षा मंत्रालय बनाम बबीता पुनिया और अन्य पर भरोसा किया गया, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि सभी दस धाराओं में महिलाओं को उनकी सेवा की परवाह किए बिना सेना में स्थायी कमीशन दिया जाना चाहिए।

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा था,

    "महिलाओं के लिए मानदंड या कमांड नियुक्तियों की मांग करने पर पूर्ण प्रतिबंध अनुच्छेद 14 के तहत समानता की गारंटी के अनुरूप नहीं होगा। समानता की गारंटी में निहित है कि जहां राज्य की कार्रवाई व्यक्तियों के दो वर्गों के बीच अंतर करती है, वह उन्हें अनुचित या तर्कहीन तरीके से अलग नहीं करती।"

    याचिका में गोपिका नायर बनाम भारत संघ (2023) का भी उल्लेख किया गया, जिसमें कहा गया कि "प्रतिवादियों ने बिल्कुल इसी तरह की स्थिति में सेना डेंटल कोर के लिए चयन प्रक्रिया में पुरुषों के लिए आरक्षण में लिप्त थे, माननीय सुप्रीम कोर्ट ने प्रतिवादियों के रुख के कारण उत्पन्न विषम स्थिति को उजागर करते हुए एक आदेश में कड़ी टिप्पणियां की थीं।

    इसके अलावा न्यायालय ने पाया कि प्रथम दृष्टया चयन प्रक्रिया में भाग लेने से अत्यधिक मेधावी महिला उम्मीदवारों को वंचित करना समय को उलट दिशा में ले जा रहा है।

    याचिका में कहा गया कि मामले का निपटारा मई 2023 में पारित आदेशों के माध्यम से किया गया, जिसमें भारत संघ का बयान दर्ज किया गया कि इसके बाद चयन जेंडर-न्यूट्रल तरीके से किया जाएगा। याचिकाकर्ता ने याचिका के लंबित रहने तक विज्ञापन के परिणामस्वरूप अंतिम मेरिट सूची पर रोक लगाने की भी मांग की।

    मामला 22 मई के लिए सूचीबद्ध है।

    केस टाइटल- कैप्टन सुखजीत पाल कौर संदल (रिटायर्ड) बनाम यूओआई और अन्य।

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