महिला से ज़बरन बात करना अपराध नहीं, सिर्फ़ परेशान करने वाला: पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट
Praveen Mishra
23 Sept 2025 12:10 AM IST

पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने कहा है कि किसी महिला से उसकी इच्छा के विरुद्ध बातचीत शुरू करने की कोशिश करना—भले ही "परेशान करने वाला" हो—अपने आप में भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 354 के तहत उसकी लज्जा भंग करने का अपराध नहीं बनता।
जस्टिस कीर्ति सिंह ने नोट किया कि अभियोजन पक्ष (प्रॉसिक्यूट्रिक्स) ने स्वयं गवाही में स्वीकार किया कि आरोपी ने सिर्फ बातचीत शुरू करने की कोशिश की थी और जब उसने इनकार किया तो आरोपी वहाँ से चला गया।
कोर्ट ने कहा कि यह आचरण अवश्य ही अनचाहा और परेशान करने वाला है, लेकिन इसे ऐसा कृत्य नहीं माना जा सकता जो किसी महिला की शालीनता को झकझोर दे। FIR और गवाही से यह भी स्पष्ट है कि आरोपी ने किसी भी प्रकार का आपराधिक बल (criminal force) प्रयोग नहीं किया। इसलिए धारा 354 IPC की आवश्यक शर्तें प्रथम दृष्टया भी पूरी नहीं होतीं।
यह टिप्पणियाँ उस समय की गईं जब कोर्ट ने एक महिला डॉक्टर की शिकायत पर दर्ज FIR (धारा 354-A और 451 IPC) रद्द की। आरोप था कि आरोपी लाइब्रेरी में आकर उसके पास बैठा और "हे" कहकर बातचीत शुरू करने की कोशिश की, लेकिन जब डॉक्टर ने बार-बार "मैं बात नहीं करना चाहती" कहा, तो आरोपी चला गया।
गवाही में यह भी सामने आया कि डॉक्टर ने स्वयं कहा कि उसे आरोपी से कोई शिकायत नहीं है। इस प्रकार, धारा 354 के तहत अपराध साबित करने के लिए आवश्यक तत्व मौजूद नहीं हैं। कोर्ट ने कहा कि इस स्थिति में कार्यवाही जारी रखना कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग होगा।
नरेश अनेजा बनाम उत्तर प्रदेश राज्य मामले पर भरोसा करते हुए कोर्ट ने दोहराया कि धारा 354 IPC तभी लागू होगी जब महिला पर आपराधिक बल का प्रयोग उसकी लज्जा भंग करने के इरादे से किया गया हो। वर्तमान मामले में ऐसा नहीं है।
नतीजतन, कोर्ट ने आरोपी के खिलाफ दर्ज FIR (पुलिस स्टेशन PGIMS रोहतक, जिला रोहतक) और चार्ज-फ्रेमिंग आदेश सहित आगे की सभी कार्यवाहियां रद्द कर दीं।

