Farmers Protest | किसानों द्वारा बच्चों को ढाल के रूप में इस्तेमाल करना 'शर्मनाक': पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट
Shahadat
7 March 2024 2:04 PM IST
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने पंजाब-हरियाणा सीमा पर 21 फरवरी को अपनी जान गंवाने वाले प्रदर्शनकारी किसान शुभकरण सिंह की मौत की न्यायिक जांच का आदेश दिया।
एक्टिंग चीफ जस्टिस (एसीजे) जीएस संधवालिया और जस्टिस लपीता बनर्जी ने कहा कि जांच "स्पष्ट कारणों से" पंजाब या हरियाणा को नहीं सौंपी जा सकती और तीन सदस्यीय समिति का गठन किया। उक्त समिति में रिटायर्ड हाईकोर्ट जज और हरियाणा और पंजाब से एडीजीपी रैंक के दो अधिकारी शामिल होंगे।
कोर्ट ने राज्यों को शाम 4 बजे तक एडीजीपी अधिकारी के नाम देने का निर्देश दिया।
जब हरियाणा सरकार ने विरोध स्थलों की तस्वीरें दिखाईं तो एसीजे संधावालिया ने याचिकाकर्ताओं को भी आड़े हाथों लिया।
एसीजे संधावालिया ने मौखिक टिप्पणी की,
"बच्चों को ढाल के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है, यह बिल्कुल शर्मनाक है!..यह दुखद स्थिति है, जिन बच्चों को स्कूल में पढ़ना चाहिए, उन्हें दिखाया जाता है कि उन्हें क्या नहीं करना चाहिए... यह युद्ध जैसी स्थिति है।"
खंडपीठ ने हरियाणा सरकार से यह भी सवाल किया कि हरियाणा पुलिस द्वारा प्रदर्शनकारियों पर किस तरह की गोलियों और छर्रों का इस्तेमाल किया जा रहा है।
राज्यों द्वारा दायर हलफनामे पर गौर करते हुए कोर्ट ने कहा कि मौत जाहिर तौर पर अत्यधिक पुलिस बल का मामला है। इसने प्रदर्शनकारी की मौत पर एफआईआर दर्ज करने में देरी के लिए पंजाब पुलिस की भी खिंचाई की, क्योंकि घटना 21 फरवरी को हुई थी और एफआईआर 28 फरवरी को दर्ज की गई।
एएसजी सत्यपाल जैन ने प्रस्तुत किया कि केंद्र सरकार चंडीगढ़ या दिल्ली में, जहां भी किसान नेता चाहें, उनके साथ चर्चा के लिए तैयार है और कुछ उपचारात्मक उपाय पहले ही किए जा चुके हैं।
किसान अन्य चीजों के अलावा एमएसपी की गारंटी वाले कानून की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं। अदालत सरकार की कथित अवरोधक कार्रवाइयों को चुनौती देने वाली याचिका और अन्य संबंधित जनहित याचिकाओं के साथ-साथ प्रदर्शनकारी की मौत पर न्यायिक जांच की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
इससे पहले, एसीजे जीएस संधावालिया ने मौखिक रूप से पंजाब सरकार से यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि प्रदर्शनकारी बड़ी संख्या में इकट्ठा न हों।
उन्होंने कहा,
"उन्हें विरोध करने का अधिकार है, लेकिन यह उचित प्रतिबंधों के अधीन है।"
केस टाइटल: उदय प्रताप सिंह बनाम पंजाब राज्य एवं अन्य।