Farmers Protest: हाईकोर्ट ने पंजाब सरकार और हरियाणा सरकार को इंटरनेट निलंबित करने का निर्देश देने का आदेश दिया
Shahadat
29 Feb 2024 4:16 PM IST
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने दोनों राज्यों से चल रहे किसान विरोध प्रदर्शन के दौरान इंटरनेट सहायता को निलंबित करने के "आवश्यक आदेश" रिकॉर्ड पर रखने को कहा।
एक्टिंग चीफ जस्टिस जीएस संधवालिया और जस्टिस लपिता बनर्जी की खंडपीठ ने अनुराधा भसीन बनाम भारत संघ मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का जिक्र करते हुए कहा,
"इंटरनेट के निलंबन पर कानून बहुत स्पष्ट है और दोनों राज्यों को आवश्यक आदेश रिकॉर्ड पर रखने का निर्देश दिया, जिससे इंटरनेट निलंबित कर दिया गया।”
कोर्ट ने 21 फरवरी को प्रदर्शनकारी की मौत की न्यायिक जांच की मांग करने वाली दो जनहित याचिकाओं पर भी सुनवाई की और पंजाब सरकार से सवाल किया कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट क्यों नहीं आई।
जस्टिस संधावालिया ने मौखिक रूप से सवाल किया,
"आप (पंजाब) पोस्टमार्टम करने में एक सप्ताह का समय क्यों ले रहे हैं? आपने अब तक क्या जांच कार्यवाही की है? क्या यह प्राकृतिक मौत है?"
पंजाब सरकार के वकील ने तब अदालत को सूचित किया कि पोस्टमार्टम किया गया और रिपोर्ट का इंतजार है। उन्होंने यह भी कहा कि मामले में आईपीसी की धारा 302 के तहत "जीरो-एफआईआर" दर्ज की गई।
केंद्र सरकार ने हलफनामा भी दायर किया, जिसे न्यायालय ने रिकॉर्ड पर लिया। इसमें कहा गया कि किसानों के प्रतिनिधियों के साथ चार दौर की बैठकें हो चुकी हैं।
हलफनामे में यह भी प्रस्तुत किया गया कि केंद्र सरकार ने "किसान समुदाय की सामाजिक-आर्थिक स्थिति की बेहतरी" के लिए कदम उठाए हैं, जिसमें "बजट आवंटन और एमएसपी में उत्पादन लागत पर 50% की वृद्धि" शामिल है।
किसान अन्य चीजों के अलावा एमएसपी की गारंटी वाले कानून की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं। अदालत सरकार की कथित अवरोधक कार्रवाइयों को चुनौती देने वाली याचिका और अन्य संबंधित जनहित याचिकाओं के साथ विरोध के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की मांग करने वाली अन्य याचिका पर सुनवाई कर रही है।
इससे पहले, एसीजे जीएस संधावालिया ने मौखिक रूप से पंजाब सरकार से यह सुनिश्चित करने के लिए कहा था कि प्रदर्शनकारी बड़ी संख्या में इकट्ठा न हों।
जज ने इस संबंध में कहा,
"उन्हें विरोध करने का अधिकार है, लेकिन यह उचित प्रतिबंधों के अधीन है।"
केस टाइटल: उदय प्रताप सिंह बनाम पंजाब राज्य एवं अन्य।