पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने कहा, सेवा के दौरान विकलांग हुए कर्मचारी निरंतर वेतन, लाभ और रोके गए बकाया पर ब्याज के साथ अतिरिक्त पद पाने के हकदार

Avanish Pathak

11 Feb 2025 6:31 AM

  • पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने कहा, सेवा के दौरान विकलांग हुए कर्मचारी निरंतर वेतन, लाभ और रोके गए बकाया पर ब्याज के साथ अतिरिक्त पद पाने के हकदार

    पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट की जस्टिस अमन चौधरी की पीठ ने कहा किसेवा के दौरान विकलांग हुए कर्मचारी निरंतर वेतन, लाभ और रोके गए बकाया पर ब्याज के साथ अतिरिक्त पद पाने के हकदार हैं। अदालत ने कहा कि नियोक्ता को अपने कर्मचारी के दुखों के प्रति संवेदनशील होना चाहिए, जो दुर्भाग्य से दुर्घटना का शिकार हो गया। राज्य को कल्याणकारी राज्य होने के नाते इस स्थिति से बचना चाहिए था।

    प्रतिवादियों के इस तर्क के बारे में भी अदालत ने कहा कि मासिक वेतन का भुगतान किया जा रहा था, लेकिन इसके लिए कोई कारण नहीं बताया गया था।

    मामले के निर्णय देते हुए अदालत ने राम कुमार बनाम हरियाणा राज्य और अन्य के मामले पर भरोसा किया, जो इसी तरह के तथ्यों पर आधारित था, जहां एक कर्मचारी जो बहुउद्देश्यीय स्वास्थ्य कार्यकर्ता के रूप में काम कर रहा था, एक सड़क दुर्घटना का शिकार हो गया था। उसे सिर में चोट लगी और वह कोमा में चला गया। उसे 100% विकलांग घोषित कर दिया गया। लेकिन उसे कोई वेतन नहीं दिया गया।

    न्यायालय ने कहा कि प्रतिवादियों को वेतन के सभी बकाया और सभी परिणामी लाभ जारी करने चाहिए। न्यायालय ने विकलांग व्यक्ति (समान अवसर, अधिकारों का संरक्षण और पूर्ण भागीदारी) अधिनियम, 1995 की धारा 47 का हवाला दिया, जिसमें कहा गया है कि कोई भी कर्मचारी जो अपनी सेवा के दौरान विकलांग हो जाता है, उसे समान वेतनमान और समान सेवा लाभ के साथ किसी अन्य पद पर स्थानांतरित किया जाना चाहिए। यदि कर्मचारी को किसी अन्य पद पर स्थानांतरित करना संभव न हो, तो कोई अतिरिक्त पद सृजित किया जाना चाहिए, ताकि कर्मचारी को सेवानिवृत्ति की आयु तक वह वेतन मिल सके, जो उसे विकलांग होने से पहले मिल रहा था।

    न्यायालय ने जेएस चीमा बनाम हरियाणा राज्य के निर्णय पर भरोसा किया, जिसमें पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट की समन्वय पीठ ने कहा था कि यदि किसी कर्मचारी की कोई राशि विभाग द्वारा रखी गई है और उसका उपयोग किया गया है, तो कर्मचारी उस पर ब्याज पाने का हकदार होगा। न्यायालय ने पाया कि कर्मचारी का जो पैसा सही मायने में राज्य के पास था, वह राज्य सरकार के पास था और उसका उपयोग राज्य सरकार द्वारा किया जा रहा था, इसलिए कर्मचारी वेतन और सभी परिणामी लाभों के साथ-साथ ब्याज का भी हकदार होगा।

    उपर्युक्त टिप्पणियों के साथ, रिट याचिका का निपटारा कर दिया गया।

    केस टाइटल: नरिंदर कौर बनाम पंजाब राज्य और अन्य | सीडब्ल्यूपी-2543-2025 (ओ एंड एम)

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