पंजाब पुलिस द्वारा अदालत द्वारा नियुक्त वारंट अधिकारी पर हमला: हाईकोर्ट ने डीजीपी से जवाब मांगा, कहा- अराजकता को सख्ती से रोकने की जरूरत

Shahadat

25 March 2024 11:36 AM IST

  • पंजाब पुलिस द्वारा अदालत द्वारा नियुक्त वारंट अधिकारी पर हमला: हाईकोर्ट ने डीजीपी से जवाब मांगा, कहा- अराजकता को सख्ती से रोकने की जरूरत

    पुलिस अधिकारियों द्वारा वारंट अधिकारी के साथ मारपीट के आरोप पर पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने पंजाब के डीजीपी से जवाब मांगा। बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका में तलाशी लेने के लिए न्यायालय द्वारा वारंट अधिकारी नियुक्त किया गया।

    वारंट अधिकारी द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट पर गौर करते हुए जस्टिस एनएस शेखावत ने कहा,

    "रिपोर्ट से यह स्पष्ट है कि वहां मौजूद कुछ पुलिस अधिकारियों ने इस न्यायालय द्वारा नियुक्त वारंट अधिकारी के साथ दुर्व्यवहार और हमला किया।"

    न्यायालय ने राय दी,

    "वास्तव में पुलिस अधिकारियों के ऐसे अमानवीय, अपमानजनक और आपराधिक आचरण को हल्के में नहीं लिया जा सकता। इस तरह की अराजकता को सख्ती से रोकने की जरूरत है। इस न्यायालय द्वारा नियुक्त वारंट अधिकारी पर न केवल ऑपरेशन ग्रुप के विशेष कमांडो द्वारा हमला किया गया, लेकिन व्यक्ति द्वारा भी, जिसने दावा किया कि वह इंस्पेक्टर शिव कुमार है। यहां तक कि यह आचरण न केवल आपराधिक अपराध है, क्योंकि इस न्यायालय द्वारा नियुक्त अधिकारी को अपने आधिकारिक कर्तव्यों का पालन करने की अनुमति नहीं दी गई। उसके साथ मारपीट की गई, बल्कि यह अपमानजनक भी है।"

    ये टिप्पणियां ईमेल के जवाब में आईं, जिसे उस व्यक्ति द्वारा दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका के रूप में माना गया, जिसमें आरोप लगाया गया कि उसके परिवार के सदस्यों को पंजाब पुलिस होने का दावा करने वाले कुछ अधिकारियों द्वारा अवैध रूप से हिरासत में लिया गया।

    आरोपों पर विचार करते हुए अदालत ने याचिका में उल्लिखित सभी स्थानों पर तलाशी लेने के लिए मनोज कश्यप को वारंट अधिकारी नियुक्त किया।

    वारंट अधिकारी ने कहा कि जब वह तलाशी लेने के लिए मोहाली की स्पेशल सेल में पहुंचे तो उन्हें एक कांस्टेबल ने रोका और कहा कि कार्यालय के अंदर कोई पुलिस अधिकारी नहीं है।

    उन्होंने कोर्ट को बताया कि कांस्टेबल को यह बताने के बाद भी कि कश्यप अदालत अधिकारी हैं और उन्हें पुलिस स्टेशन परिसर में कथित बंदियों की तलाशी लेने की जरूरत है, कांस्टेबल ने उन्हें अंदर जाने की अनुमति नहीं दी और एसएसपी से संपर्क करने के लिए कहा।

    हालांकि, एसएसपी ने उनके कॉल का जवाब नहीं दिया। इसके बाद व्यक्ति इंस्पेक्टर होने का दावा करते हुए स्पेशल सेल में दाखिल हुआ, उसे बाहर जाने के लिए चिल्लाया और उसे अंदर नहीं जाने दिया गया।

    कश्यप ने कहा कि वह कथित बंदियों की तलाश के लिए मटौर पुलिस स्टेशन भी गए, जहां पुलिस अधिकारी ने बताया कि ऐसे किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तार नहीं किया गया।

    दलीलों पर विचार करते हुए कोर्ट ने कहा कि पुलिस अधिकारियों के ऐसे अमानवीय, अपमानजनक और आपराधिक आचरण को हल्के में नहीं लिया जा सकता। इस तरह की अराजकता पर सख्ती से अंकुश लगाने की जरूरत है।

    कोर्ट ने पंजाब सरकार को नोटिस जारी करते हुए पुलिस डायरेक्टर जनरल के व्यक्तिगत हलफनामे के जरिए जवाब मांगा।

    कोर्ट ने हलफनामे में निम्नलिखित विवरण का जवाब देने का निर्देश दिया:

    (I) उस अधिकारी(ओं) का नाम, जो स्पेशल सेल, पंजाब पुलिस, मटौर का प्रमुख है, जो पुराने पुलिस स्टेशन परिसर, मटौर (मोहाली) में स्थित है।

    (II) उन सभी अधिकारियों के नाम और पदनाम, जो स्पेशल सेल में तैनात हैं और उस समय ड्यूटी पर थे, जब इस न्यायालय द्वारा नियुक्त वारंट अधिकारी ने स्पेशल सेल का दौरा किया।

    (III) उन अधिकारियों के नाम और पदनाम, जो विशेष सेल के बाहर और अंदर वारंट अधिकारी से मिले।

    (IV) क्या वर्तमान मामले में कोई एफआईआर दर्ज की गई? यदि हां, तो एफआईआर की कॉपी संलग्न करें।

    (V) क्या वर्तमान मामले में दोषी पाए गए सभी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई की गई?

    (VI) क्या दोषी पुलिस अधिकारी(कर्मचारियों) के विरुद्ध कोई अनुशासनात्मक कार्रवाई की गई/लेने का प्रस्ताव है।

    (VII) उस अधिकारी का नाम, जिसने एसएसपी कार्यालय, मोहाली से सहयोग नहीं किया और ऐसे अधिकारी के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई?

    अदालत ने आगे निर्देश दिया कि चूंकि एसएसपी, मोहाली के अधिकारियों ने वारंट अधिकारी के साथ सहयोग नहीं किया, इसलिए उनकी भूमिका की जांच की जानी चाहिए। पुलिस डायरेक्टर जनरल को पुलिस डायरेक्टर जनरल रैंक के अधिकारी को तैनात करने का निर्देश दिया गया, जो मामले को देखेगा।

    यदि पुलिस को पता चलता है कि किसी भी पुलिस अधिकारी द्वारा संज्ञेय अपराध किया गया तो वे जांच के दौरान उसे लिखित रूप में नोटिस जारी करके वर्तमान मामले में इस न्यायालय द्वारा नियुक्त वारंट अधिकारी के साथ शामिल होने के लिए स्वतंत्र होंगे।

    मामले को 01 अप्रैल के लिए सूचीबद्ध करते हुए अदालत ने एसएसपी को कथित अवैध हिरासत में शामिल याचिकाकर्ता द्वारा उल्लिखित सभी व्यक्तियों को पेश करने का निर्देश दिया।

    केस टाइटल: धर्मेंद्र सिंह बनाम राज्य

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