2017 गुरुग्राम स्कूल हत्याकांड | हाईकोर्ट ने साक्ष्यों से छेड़छाड़ के आरोप में गिरफ्तार पुलिसकर्मी के खिलाफ समन रद्द करने की याचिका पर CBI से मांगा जवाब
Shahadat
15 July 2025 7:13 PM IST

2017 गुरुग्राम स्कूल हत्याकांड से जुड़े घटनाक्रम में पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने निचली अदालत के समन आदेश के खिलाफ साक्ष्यों से छेड़छाड़ के आरोपी पुलिस अधिकारी द्वारा दायर याचिका पर केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) और हरियाणा सरकार से जवाब मांगा है।
जस्टिस मंजरी नेहरू कौल ने हरियाणा सरकार और CBI को नोटिस जारी किया और प्रतिवादी वकीलों द्वारा जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगे जाने पर सुनवाई 28 जुलाई तक के लिए स्थगित की।
यह याचिका पुलिस अधिकारी द्वारा भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 (BNSS) की धारा 528 के तहत दायर की गई, जिसमें CBI के मामले में पंचकूला स्थित CBI हरियाणा के स्पेशल ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट द्वारा पारित विवादित आदेश रद्द करने की मांग की गई थी। इस आदेश में पुलिस अधिकारियों पर साक्ष्यों से छेड़छाड़ का आरोप है।
बता दें, 2017 में गुरुग्राम स्कूल हत्याकांड में एक बस कंडक्टर को शुरू में आरोपी बनाया गया, जिसे बाद में निर्दोष पाया गया और यह पता चला कि उसे फंसाने के लिए चार पुलिस अधिकारियों पर आरोप लगाए गए।
वर्तमान याचिका में यह आरोप लगाया गया कि पुलिस अधिकारी को सीआरपीसी की धारा 197 के तहत आवश्यक अनुमति के बिना ही तलब किया गया।
याचिकाकर्ता के सीनियर वकील ने दलील दी कि निचली अदालत ने CrPC की धारा 197 के तहत अनिवार्य आवश्यकता का पालन किए बिना मामले का संज्ञान लेने में गंभीर गलती की है।
यह दलील दी गई कि पहले भी एक अवसर पर स्पेशल न्यायिक मजिस्ट्रेट ने CrPC की धारा 197 के तहत अनुमति के अभाव में याचिकाकर्ता के खिलाफ संज्ञान लेने से इनकार कर दिया था।
हालांकि, बाद में कोई अनुमति प्राप्त नहीं होने और केवल शिकायतकर्ता द्वारा दायर आवेदन के आधार पर स्पेशल कोर्ट ने याचिकाकर्ता के खिलाफ संज्ञान लेने की कार्यवाही शुरू कर दी। सीनियर एडवोकेट ने आगे कहा कि यह तर्क दिया गया कि यह पहले के आदेश पर पुनर्विचार के समान है, जो कानूनन अस्वीकार्य है और इस आदेश को अवैध और अस्थिर बनाता है।
सीनियर एडवोकेट ने आगे इस बात पर प्रकाश डाला कि यह आदेश स्पष्ट रूप से अनियमित है, क्योंकि याचिकाकर्ता और हरियाणा पुलिस सेवा के सहायक पुलिस आयुक्त के खिलाफ लगाए गए आरोप उनके आधिकारिक कर्तव्यों के निर्वहन में किए गए कार्यों से संबंधित हैं। इसलिए याचिकाकर्ता CrPC की धारा 197 के तहत प्रदत्त सुरक्षा का हकदार है। इसके अलावा, पूर्व अनुमति के अभाव में संज्ञान नहीं लिया जा सकता था।
Title: BIREM SINGH v. CENTRAL BUREAU OF INVESTIGATION AND ANOTHER

