कर्मचारी द्वारा गलत बयानी के बिना गलत तरीके से वेतन तय किए जाने पर कोई वसूली नहीं की जा सकती: पटना हाईकोर्ट
Praveen Mishra
4 May 2024 8:30 PM IST
पटना हाईकोर्ट की सिंगल जज बेंच के जस्टिस राजेश कुमार वर्मा ने बिक्रम सिंह और अन्य बनाम बिहार राज्य और अन्य के मामले में एक रिट याचिका का फैसला करते हुए कहा है कि जब कोई गलत बयानी या धोखाधड़ी नहीं होती है जिसके कारण गलत वेतन निर्धारण या वेतन होता है, तो कर्मचारियों से कोई वसूली नहीं की जा सकती है।
मामले की पृष्ठभूमि:
बिक्रम सिंह (याचिकाकर्ता नंबर 1) और राजेंद्र प्रसाद सिंह (याचिकाकर्ता नंबर 2) (सामूहिक रूप से 'याचिकाकर्ता') को क्रमशः 1978 और 1972 में पत्राचार क्लर्क के पद पर नियुक्त किया गया था। याचिकाकर्ता को 1996 में हेड क्लर्क के पद पर पदोन्नत किया गया था। राम शंकर सिंह नाम के एक व्यक्ति ने 2009 में हाईकोर्ट के समक्ष एक रिट याचिका दायर की थी, जिसमें दावा किया गया था कि वह याचिकाकर्ता नंबर 1 से वरिष्ठ थे और चूंकि याचिकाकर्ता नंबर 1 को 01.01.1996 से हेड क्लर्क के पद पर पदोन्नति दी गई थी, इसलिए उन्हें भी उसी तारीख से पदोन्नति दी जानी चाहिए। हाईकोर्ट ने मुख्य अभियंता केंद्रीय डिजाइन संगठन (प्रतिवादी) को राम शंकर सिंह की शिकायत पर विचार करने का निर्देश दिया। प्रतिवादियों ने राम शंकर सिंह के मामले पर विचार किया और याचिकाकर्ता नंबर 1 की पदोन्नति की तारीख 01.01.1996 से 01.04.2008 तक और याचिकाकर्ता नंबर 2 की पदोन्नति की तारीख 01.01.1996 से 01.02.2001 कर दी। इस प्रकार, याचिकाकर्ता ने उत्तरदाताओं के इस आदेश को चुनौती देते हुए रिट याचिका दायर की।
याचिकाकर्ताओं द्वारा यह तर्क दिया गया था कि चुनौती दिए गए आदेश को पारित करने से पहले याचिकाकर्ताओं को कारण बताओ नोटिस या सुनवाई का अवसर नहीं दिया गया था। इसके अलावा, याचिकाकर्ताओं द्वारा किसी भी गलत बयानी के आधार पर याचिकाकर्ताओं की पदोन्नति नहीं दी गई थी।
कोर्ट के निष्कर्ष:
कोर्ट ने कहा कि उत्तरदाताओं ने यह आरोप नहीं लगाया था कि याचिकाकर्ताओं ने वेतन निर्धारण के लिए गलत तरीके से प्रस्तुत किया था या कोई धोखाधड़ी की थी। वास्तव में उत्तरदाताओं द्वारा यह स्वीकार किया गया है कि उनकी गलती के कारण गलत वेतन निर्धारण किया गया था। कोर्ट ने पंजाब राज्य बनाम रफीक मसीह के मामले पर भरोसा किया जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि सेवानिवृत्त कर्मचारियों या कर्मचारियों से कोई वसूली नहीं की जा सकती है, जिन्हें बिना किसी धोखाधड़ी और गलत बयानी के गलत वेतन निर्धारण के कारण अधिक भुगतान दिया गया है।
यह विचार करते हुए कि याचिकाकर्ताओं का मामला रफीक मसीह मामले द्वारा कवर किया गया था , हाईकोर्ट ने चुनौती दिए गए आदेशों को रद्द कर दिया और रिट याचिका की अनुमति दी।