सर्विस लॉ में 'डीम्ड गिल्ट' का कोई कॉन्सेप्ट नहीं: पटना हाईकोर्ट ने इंटेलिजेंस इकट्ठा न कर पाने के आरोप में पुलिस वाले की सज़ा रद्द की
Shahadat
12 Dec 2025 12:51 PM IST

पटना हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि सर्विस लॉ ज्यूरिस्प्रूडेंस में 'डीम्ड गिल्ट' का कोई कॉन्सेप्ट नहीं है। एक पुलिस ऑफिसर पर लगाई गई सज़ा रद्द कर दी।
जस्टिस संदीप कुमार वाली सिंगल जज बेंच पुलिस ऑफिसर की रिट पिटीशन पर सुनवाई कर रही थी, जिसे दो साल के लिए सैलरी इंक्रीमेंट रोकने की सज़ा दी गई। यह मामला सीतामढ़ी ज़िले के सुरसंड पुलिस स्टेशन के पास से एक्साइज़ डिपार्टमेंट द्वारा लगभग 4767.22 लीटर गैर-कानूनी शराब ज़ब्त करने से जुड़ा है।
याचिकाकर्ता पर आरोप था कि वह इंटेलिजेंस इकट्ठा करने और बिहार एक्साइज़ एक्ट के नियमों को लागू करने में नाकाम रहा। पुलिस स्टेशन के पास गैर-कानूनी शराब की बरामदगी के आधार पर FIR दर्ज की गई और याचिकाकर्ता को सस्पेंड कर दिया गया। डिसिप्लिनरी अथॉरिटी ने जांच रिपोर्ट से सहमत होकर नॉन-क्यूमुलेटिव असर के साथ दो साल के लिए सैलरी इंक्रीमेंट रोकने की सज़ा दी। बाद में खुद से रिविज़नल पावर का इस्तेमाल करते हुए बिहार के DGP ने सज़ा बढ़ा दी।
हाईकोर्ट याचिकाकर्ता की बात से सहमत हुआ और माना कि सर्विस लॉ में “डीम्ड गिल्ट” का कोई कॉन्सेप्ट नहीं है।
कोर्ट ने कहा:
“20… किसी पब्लिक सर्वेंट के 'डीम्ड गिल्ट' के आधार पर स्ट्रिक्ट लायबिलिटी का कॉन्सेप्ट, जिसमें कोई ऐसा पक्का सबूत न हो जिससे सीधी मिलीभगत, मिलीभगत, लापरवाही या इन्वॉल्वमेंट साबित हो, सर्विस ज्यूरिस्प्रूडेंस से पूरी तरह अलग है। एक पब्लिक सर्वेंट को बेशक, अपने ऑफिस के काम पूरी लगन से और अपनी पूरी काबिलियत से करने होते हैं, लेकिन टेरिटोरियल ज़िम्मेदारी को रिकॉर्ड में मौजूद पक्का सबूतों के आधार पर जानबूझकर की गई लापरवाही या ढिलाई के बिना स्ट्रिक्ट लायबिलिटी या डीम्ड गिल्ट के बराबर नहीं माना जा सकता।”
कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता के खिलाफ एकमात्र आरोप यह था कि जिस पुलिस स्टेशन का वह इंचार्ज था, उसके अधिकार क्षेत्र में बड़ी मात्रा में गैर-कानूनी शराब बरामद हुई। सिर्फ इसी आधार पर ड्यूटी में लापरवाही का आरोप लगाया गया। कोर्ट ने पाया कि रिकॉर्ड में मौजूद डॉक्यूमेंट्स से याचिकाकर्ता का गुनाह साबित नहीं होता या उसकी तरफ से कोई शामिल होने या मिलीभगत का कोई संकेत नहीं मिलता।
हाईकोर्ट ने आखिरकार उसके खिलाफ सज़ा की कार्रवाई रद्द की।
Cause Title: Bhola Kumar Singh v. State of Bihar and Others

