पत्नी को असुविधा में न रहने दें: पटना हाईकोर्ट ने पति को दिया ₹90 लाख स्थायी भरण-पोषण देने का आदेश

Praveen Mishra

15 Oct 2025 8:50 PM IST

  • पत्नी को असुविधा में न रहने दें: पटना हाईकोर्ट ने पति को दिया ₹90 लाख स्थायी भरण-पोषण देने का आदेश

    पटना हाईकोर्ट ने मंगलवार को एक मर्चेंट नेवी अधिकारी और उनकी पत्नी के बीच 15 साल पुराने विवाह को तलाक देते हुए पति को ₹90 लाख स्थायी भरण-पोषण (permanent alimony) का भुगतान करने का निर्देश दिया।

    चीफ़ जस्टिस पी बी बाजंठरी और जस्टिस एस बी पी डी सिंह की बेंच ने कहा कि पत्नी का जीवन भले ही शानदार न हो, लेकिन उसे असुविधा में नहीं रहना चाहिए। अदालत ने मूल फैमिली कोर्ट, मुजफ्फरपुर के फैसले को रद्द किया, जिसमें पति की तलाक याचिका को खारिज किया गया था।

    मामले की पृष्ठभूमि:

    • जोड़ा दिसंबर 2010 में शादी के बंधन में बंधा, लेकिन जल्दी ही उनके संबंध बिगड़ गए।

    • पति का दावा था कि पत्नी ने शादी के दो महीने बाद ही घर छोड़ दिया और फिर लौटकर नहीं आई। उन्होंने तर्क दिया कि वैवाहिक संबंध अब अपरिवर्तनीय रूप से टूट चुके हैं।

    • पत्नी ने आरोप लगाया कि उसके ससुराल वालों ने उसे क्रूरता और दहेज के लिए परेशान किया। उसके पिता को दहेज पूरा करने के लिए संपत्ति बेचनी पड़ी। उसने यह भी कहा कि पति ने उसकी देखभाल नहीं की और उसकी अतिरिक्त संबंध की प्रवृत्ति थी।

    • पति ने फैमिली कोर्ट में ₹10,000/- प्रति माह भरण-पोषण देने की बात मानी।

    पति ने स्थायी भरण-पोषण के लिए ₹50 लाख का प्रस्ताव रखा, जिसे पत्नी ने अस्वीकार कर ₹90 लाख और आवास की मांग की।

    कोर्ट का निर्णय:

    • विवाह अपरिवर्तनीय रूप से टूट चुका था, इसलिए उन्हें विवाह को जारी रखने के लिए मजबूर करना कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग होगा।

    • हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 25 के तहत स्थायी भरण-पोषण तय किया गया।

    • निर्णय में पति की मासिक आय ₹5-6 लाख और उनकी संपत्ति को ध्यान में रखा गया।

    • पत्नी के पास कोई स्वतंत्र आय नहीं थी और वह अपने वृद्ध माता-पिता पर निर्भर थी।

    अदालत ने कहा,"पत्नी का जीवन गरिमा और आराम के साथ होना चाहिए, असुविधा में नहीं। जीवन भले ही शानदार न हो, लेकिन उसे कठिनाई में नहीं रहना चाहिए। अदालत को इस मामले में व्यावहारिक संवेदनशीलता के साथ काम करना चाहिए ताकि पत्नी किसी प्रकार की कृत्रिम कठिनाई का सामना न करे।"

    अतः अदालत ने पति को छह महीनों में ₹90 लाख भुगतान करने का निर्देश दिया। यदि भुगतान में देरी होती है, तो इस पर 6% वार्षिक साधारण ब्याज लगेगा।

    साथ ही अदालत ने स्पष्ट किया कि पत्नी भविष्य में धारा 25 के तहत स्वतंत्र आवेदन कर सकती है और अदालत तलाक के आदेश के बाद भी स्थायी भरण-पोषण के मामले में फैसला सुनाने में सक्षम रहेगी।

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