'बिहार शराब पर प्रतिबंध अधिनियम गैर-मादक पेय पदार्थों पर लागू नहीं होता': पटना हाईकोर्ट ने एनर्जी ड्रिंक निर्माता के खिलाफ FIR रद्द की
Shahadat
29 Sept 2025 1:25 PM IST

पटना हाईकोर्ट ने मेसर्स सिद्धि एंटरप्राइजेज और उसके कर्मचारियों के खिलाफ एनर्जी ड्रिंक के रूप में बीयर बेचने के आरोप में दर्ज FIR रद्द की। अदालत ने कहा कि संबंधित पेय पदार्थ भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) द्वारा निर्धारित गैर-मादक पेय पदार्थों के स्वीकार्य मानकों के अंतर्गत आते हैं।
जस्टिस आलोक कुमार पांडे ने सिद्धि एंटरप्राइजेज की मालिक कुमारी पूनम और दो अन्य लोगों द्वारा दायर रिट याचिका स्वीकार करते हुए फैसला सुनाया कि FIR में बिहार मद्य निषेध और उत्पाद शुल्क अधिनियम, 2016 के तहत किसी संज्ञेय अपराध का खुलासा नहीं हुआ।
यह मामला फरवरी 2017 में प्रकाशित मीडिया रिपोर्ट से शुरू हुआ, जिसमें आरोप लगाया गया कि एनर्जी ड्रिंक्स की आड़ में "थंडर बोल्ट" और "किंगफिशर" जैसे लोकप्रिय बीयर ब्रांडों से मिलते-जुलते नामों से बीयर बेची जा रही है। रिपोर्ट पर कार्रवाई करते हुए आबकारी विभाग ने याचिकाकर्ता के परिसर पर छापा मारा और डब्ल्यूएफएम सुपर स्ट्रॉन्ग 10000, थाउजेंड बोल्ट, कलालोन गोल्डन और किंगफर्मर ब्रांड के पेय पदार्थ जब्त किए। फर्म के सेल्स मैनेजर और अकाउंटेंट को मौके पर ही गिरफ्तार कर लिया गया और आरोप लगाया गया कि उत्पादों में 4% से 5% तक अल्कोहल था।
हालांकि, याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि उनके उत्पादों के पास खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम, 2006 के तहत वैध लाइसेंस हैं और सरकारी लैब द्वारा नियमित रूप से उनकी जांच की जाती है। इन जांच में एथिल अल्कोहल की मात्रा लगातार 0.2% से 0.4% v/v के बीच पाई गई, जो "गैर-अल्कोहलिक बियर" के लिए BIS मानक के अंतर्गत आती है, जिसमें 0.5% v/v तक की अनुमति है। उन्होंने तर्क दिया कि फोरेंसिक साइंस लैब द्वारा रिपोर्ट की गई 2.24% से 2.58% की बाद की उच्च रीडिंग समय के साथ होने वाले प्राकृतिक किण्वन का परिणाम थीं और उन्हें इसके लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता।
प्रतिद्वंदी दलीलों पर विचार करने के बाद अदालत ने माना कि बिहार मद्य निषेध एवं उत्पाद शुल्क अधिनियम मादक मादक पेय पदार्थों पर प्रतिबंध लगाता है, लेकिन BIS-अनुपालक गैर-मादक उत्पादों पर लागू नहीं होता।
आगे कहा गया,
"उपरोक्त वैधानिक प्रावधान पर सावधानीपूर्वक विचार करने पर यह स्पष्ट है कि अधिनियम धारा 2(3) के तहत "मादक" की परिभाषा के अनुसार, किसी भी मात्रा और शुद्धता वाले अल्कोहल युक्त मादक पदार्थ या शराब पर प्रतिबंध लगाता है। साथ ही यह अधिनियम की धारा 2(4)(6) के तहत निहित परिभाषा और स्पष्टीकरण के मद्देनजर BIS द्वारा निर्धारित मानक के अनुरूप गैर-मादक पदार्थों की बिक्री आदि पर प्रतिबंध नहीं लगाता। याचिकाकर्ता BIS मानक के अनुसार गैर-मादक पदार्थ बेच रहे हैं। इसलिए यह नहीं कहा जा सकता कि याचिकाकर्ताओं ने अधिनियम के तहत कोई अपराध किया है या FIR में किसी संज्ञेय अपराध का खुलासा हुआ है।"
अदालत ने यह भी कहा कि आपराधिक दायित्व का निर्धारण जब्ती की तिथि पर उत्पाद की स्थिति के आधार पर किया जाना चाहिए। चूंकि जब्त किए गए नमूनों में शुरू में स्वीकार्य अल्कोहल स्तर पाया गया, इसलिए याचिकाकर्ताओं पर बाद में आई रिपोर्टों के आधार पर मुकदमा नहीं चलाया जा सकता, जिनमें किण्वन के कारण अल्कोहल की मात्रा अधिक होने का संकेत दिया गया।
तदनुसार, अदालत ने रिट याचिका स्वीकार की और FIR यह कहते हुए रद्द की कि इसे जारी रखना कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग होगा।
Case : Kumari Punam, Proprietor of M/s Siddhi Enterprises v. The State Of Bihar

