मणिपुर हाईकोर्ट ने कैबिनेट मंत्री थोंगम विश्वजीत सिंह के खिलाफ आपराधिक मामला खारिज किया

Shahadat

24 July 2024 8:13 AM GMT

  • मणिपुर हाईकोर्ट ने कैबिनेट मंत्री थोंगम विश्वजीत सिंह के खिलाफ आपराधिक मामला खारिज किया

    मणिपुर हाईकोर्ट ने मंगलवार (23 जुलाई) को कैबिनेट मंत्री थोंगम विश्वजीत सिंह के खिलाफ आपराधिक मामला खारिज किया। कोर्ट ने उक्त मामला सिंह और शिकायतकर्ता के बीच समझौता होने के बाद खारिज किया।

    सिंह मणिपुर में थोंगजू विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं। वह मणिपुर सरकार में बिजली विभाग, वन, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन विभाग, कृषि विभाग और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के विभागों को संभालते हैं।

    शिकायतकर्ता सिंह की पूर्व पत्नी थी, जिसने 31-1-2018 को समारोह (लौखटपा) में उससे शादी की थी और 26-11-2019 तक साथ रह रही थी। उन्होंने उनके खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें आरोप लगाया गया कि उन्होंने स्वेच्छा से गंभीर चोट पहुंचाई, आजीवन कारावास या अन्य दंड के साथ दंडनीय अपराध करने का प्रयास किया, जो भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 307, 313, 325, 354, 378, 498(ए), 511 और धारा 34 के तहत दंडनीय हैं, जो उनके घरेलू विवाद से उत्पन्न हुए हैं।

    मामले के लंबित रहने के दौरान, सिंह और शिकायतकर्ता के बीच समझौता हुआ, जिसमें कहा गया कि वे उचित न्यायालय के समक्ष आवश्यक आवेदन दायर करके सभी मामलों को वापस लेने में सहयोग करेंगे और उन्होंने आगे सहमति व्यक्त की कि आवश्यकता पड़ने पर वे एक-दूसरे के खिलाफ लंबित अन्य सभी गैर-समझौता योग्य मामलों को रद्द करने के लिए हाईकोर्ट का रुख करेंगे। इस तरह के समझौते के एवज में सिंह और उनकी पत्नी ने शिकायतकर्ता द्वारा उनके खिलाफ दर्ज गैर-समझौता योग्य मामला रद्द करने के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

    जस्टिस गोलमेई गैफुलशिलु की पीठ ने पक्षों के वकील की सुनवाई के बाद कहा कि हालांकि एफआईआर से उत्पन्न अपराध गैर-समझौता योग्य अपराध की श्रेणी में आता है, क्योंकि मामले में शामिल मुद्दा पक्षों के बीच वैवाहिक/पारिवारिक विवाद से संबंधित है। यह तथ्य की स्वीकृत स्थिति है कि यह मामला सिंह की पत्नी द्वारा उनके खिलाफ दायर किया गया, इसलिए अदालत ने धारा 482 सीआरपीसी के तहत निहित शक्तियों के प्रयोग में सिंह के खिलाफ लंबित आपराधिक मामला रद्द कर दिया।

    ऐसा करते हुए न्यायालय ने जितेंद्र रघुवंशी और अन्य बनाम बबीता रघुवंशी और अन्य (2013) 4 एससीसी 58 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर भरोसा किया, जिसमें न्यायालय ने कहा कि यदि पक्षकारों ने अपने विवादों को सौहार्दपूर्ण ढंग से सुलझा लिया है तो हाईकोर्ट धारा 482 सीआरपीसी के तहत गैर-समाधानीय प्रकृति के वैवाहिक विवाद में एफआईआर रद्द कर सकता है।

    तदनुसार, याचिकाकर्ता को अनुमति दी गई और सिंह के खिलाफ लंबित आपराधिक मामला रद्द कर दिया गया।

    केस टाइटल: थोंगम बिस्वजीत सिंह और अन्य बनाम मणिपुर राज्य

    Next Story