सीनियर वकीलों द्वारा जूनियर वकीलों से बिना वेतन के काम लेना मौलिक अधिकारों का उल्लंघन: मद्रास हाईकोर्ट ने बार काउंसिल को न्यूनतम स्टाइपेंड तय करने का सुझाव दिया

Shahadat

7 Jun 2024 5:18 AM GMT

  • सीनियर वकीलों द्वारा जूनियर वकीलों से बिना वेतन के काम लेना मौलिक अधिकारों का उल्लंघन: मद्रास हाईकोर्ट ने बार काउंसिल को न्यूनतम स्टाइपेंड तय करने का सुझाव दिया

    मद्रास हाईकोर्ट ने तमिलनाडु और पुडुचेरी की बार काउंसिल को जूनियर वकीलों को नियुक्त करने के लिए न्यूनतम स्टाइपेंड (Stipend) तय करने का सुझाव दिया, जिससे उनकी आजीविका की रक्षा हो सके।

    जस्टिस एसएम सुब्रमण्यम और जस्टिस सी कुमारप्पन ने कहा कि अक्सर युवा वकील अपने सीनियर वकीलों से कम भुगतान के कारण अपना जीवन यापन करने में असमर्थ होते हैं। न्यायालय ने कहा कि सीनियर वकील, जो जूनियर वकीलों को न्यूनतम स्टाइपेंड दिए बिना उनसे काम लेते हैं, वास्तव में युवा वकीलों का शोषण कर रहे हैं और सीधे तौर पर उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन कर रहे हैं, जिसकी न्यायालय अनुमति नहीं दे सकता।

    न्यायालय ने कहा,

    "बिना भुगतान के काम लेना शोषण है और सीधे तौर पर संविधान के तहत निहित मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है। इन युवा प्रतिभाशाली वकीलों की आजीविका, जिन्होंने उम्मीद के साथ अपनी प्रैक्टिस शुरू की है, उसको सीनियर वकीलों, कानूनी बिरादरी और न्यायालयों द्वारा प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।"

    न्यायालय ने कहा कि राज्य बार काउंसिल का कार्य उन वकीलों के अधिकारों, विशेषाधिकारों, हितों और आजीविका की रक्षा करना है, जिन्होंने बड़ी महत्वाकांक्षाओं के साथ नामांकन कराया है। न्यायालय ने कहा कि वह किसी भी परिस्थिति में युवा वकीलों के शोषण की अनुमति नहीं दे सकता। इसलिए राज्य को न्यूनतम वजीफा तय करने का निर्देश दिया।

    न्यायालय पुडुचेरी संघ में अधिवक्ता कल्याण निधि अधिनियम, 2001 के कार्यान्वयन और प्रवर्तन की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई कर रहा था। सुनवाई के दौरान, न्यायालय को सूचित किया गया कि तमिलनाडु अधिवक्ता कल्याण निधि के तहत लाभ के लिए लगभग 200 आवेदन लंबित हैं।

    आवेदनों के लंबित रहने पर विचार करते हुए न्यायालय ने सरकार के वित्त विभाग के प्रधान सचिव और तमिलनाडु सरकार के विधि विभाग के सचिव को स्वतः संज्ञान लेते हुए इस मामले में पक्ष बनाया। उनसे यह स्पष्ट करने को कहा कि लंबे समय से लंबित आवेदनों के लिए धनराशि क्यों जारी नहीं की गई।

    पुडुचेरी के संबंध में न्यायालय ने पाया कि पुडुचेरी में प्रैक्टिस करने वाले वकील भी तमिलनाडु और पुडुचेरी की बार काउंसिल में नामांकित वकील हैं। इस प्रकार बार के सदस्यों के बीच कोई भेदभाव नहीं हो सकता। न्यायालय ने कहा कि पुडुचेरी में वकालत कर रहे वकीलों की शिकायतों के निवारण के लिए एकरूपता बनाए रखना आवश्यक है।

    अदालत ने अतिरिक्त सरकारी वकील को निर्देश दिया कि वे सरकार के समक्ष सभी तथ्य प्रस्तुत करें तथा बार काउंसिल को कानून के अनुसार कल्याणकारी योजना संचालित करने में सक्षम बनाने के लिए वित्तीय योगदान बढ़ाने के लिए आवश्यक निर्देश प्राप्त करें।

    केस टाइटल: फरीदा बेगम बनाम पुडुचेरी सरकार

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