Samsung के कर्मचारियों की हड़ताल: हाईकोर्ट ने राज्य के सूचित करने के बाद कर्मचारियों की गिरफ्तारी के खिलाफ याचिका बंद की

Shahadat

10 Oct 2024 10:04 AM IST

  • Samsung के कर्मचारियों की हड़ताल: हाईकोर्ट ने राज्य के सूचित करने के बाद कर्मचारियों की गिरफ्तारी के खिलाफ याचिका बंद की

    मद्रास हाईकोर्ट ने चेन्नई में सैमसंग इंडिया (Samsung India) इकाई में आंदोलन कर रहे कर्मचारियों की अवैध गिरफ्तारी और हिरासत के खिलाफ दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका को बंद कर दिया।

    जस्टिस पीबी बालाजी और जस्टिस जी अरुल मुरुगन की खंडपीठ ने अतिरिक्त लोक अभियोजक की दलीलों पर गौर करने के बाद याचिका को बंद कर दिया, जिन्होंने अदालत को सूचित किया कि गिरफ्तार किए गए लोगों को 8 अक्टूबर को ही छोड़ दिया गया, क्योंकि श्रीपेरंबदूर न्यायिक मजिस्ट्रेट ने रिमांड स्वीकार करने से इनकार कर दिया।

    सैमसंग इंडिया के कर्मचारी बेहतर वेतन, बेहतर कार्य घंटों और अपने ट्रेड यूनियन को मान्यता देने की मांग को लेकर श्रीपेरंबदूर में कंपनी की इकाई में हड़ताल कर रहे हैं। मंगलवार को विवाद के बाद राज्य पुलिस ने 7 कर्मचारियों को गिरफ्तार किया था। पुलिस ने उस तंबू को भी तोड़ दिया, जहां प्रदर्शनकारी एकत्र हुए थे।

    राज्य ने अदालत को बताया कि गिरफ़्तारियां कानून और व्यवस्था की स्थिति के मद्देनज़र की गई थीं। भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 191(2), 296(बी), 115(2), 132, 121(1), 351(2) और 49 के तहत अपराधों के लिए एफआईआर दर्ज की गई थी।

    एपीपी ने अदालत को बताया कि 8 अक्टूबर को शाम 5 बजे 8 लोगों को गिरफ़्तार किया गया और उन्हें न्यायिक मजिस्ट्रेट, श्रीपेरंबदूर के समक्ष पेश किया गया, जिन्होंने रिमांड स्वीकार करने से इनकार किया। इसलिए उन्हें रिहा कर दिया गया। उन्होंने बताया कि कथित बंदी जमानतें निष्पादित करने के लिए न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश हुए थे।

    एपीपी के इस कथन पर ध्यान देते हुए कि कोई अवैध हिरासत नहीं थी और व्यक्तियों को पहले ही रिहा कर दिया गया, अदालत ने कहा कि बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका में आगे किसी आदेश की आवश्यकता नहीं है।

    अदालत ने यह भी कहा कि हड़ताल के समय विचार किए जाने वाले कुछ निर्देशों को निर्धारित करते हुए हाईकोर्ट के पहले के आदेश में आवश्यक सुरक्षा उपाय पहले ही लागू किए जा चुके थे। यह याचिका सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियन्स (CITU) कांचीपुरम के जिला सचिव मुथुकुमार ने दायर की थी। मुथुकुमार ने अपनी याचिका में कहा कि कर्मचारी अपनी यूनियन को पंजीकृत कराने के लिए शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन कर रहे थे और आज तक कोई हिंसा नहीं हुई। न ही प्रबंधन और जनता को कोई परेशानी या उपद्रव हुआ।

    मुथुकुमार ने तर्क दिया कि पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को अवैध रूप से गिरफ्तार किया और उनके खिलाफ झूठा मामला दर्ज किया गया, क्योंकि उन्हें जबरन पुलिस स्टेशन ले जाया गया था। उन्होंने कहा कि प्रदर्शनकारियों को केवल शांतिपूर्ण आंदोलन को दबाने के लिए गिरफ्तार किया गया। पुलिस का कार्य कानून के अनुसार नहीं था, क्योंकि उन्होंने कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया का उल्लंघन किया था।

    जब मामले को उठाया गया तो याचिकाकर्ता की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट एनजीआर प्रसाद ने तर्क दिया कि विरोध प्रदर्शन शांतिपूर्ण तरीके से किया जा रहा था, जो भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में वर्जित नहीं है। उन्होंने बताया कि आज तक प्रदर्शनकारियों के खिलाफ किसी भी नुकसान के लिए कोई मामला दर्ज नहीं किया गया।

    इस प्रकार उन्होंने दोहराया कि पुलिस प्रदर्शनकारियों को अवैध रूप से गिरफ्तार करके और उन्हें रिहा करने की कोशिश करके उनकी आवाज को दबाने की कोशिश कर रही है।

    केस टाइटल: मुथुकुमार बनाम राज्य और अन्य

    Next Story