क्या ED राज्य पुलिस को FIR दर्ज करने का निर्देश देने की मांग कर सकती है? मद्रास हाईकोर्ट ने पूछा सवाल

Praveen Mishra

31 Oct 2025 5:24 PM IST

  • क्या ED राज्य पुलिस को FIR दर्ज करने का निर्देश देने की मांग कर सकती है? मद्रास हाईकोर्ट ने पूछा सवाल

    मद्रास हाईकोर्ट ने शुक्रवार को यह सवाल उठाया कि क्या प्रवर्तन निदेशालय (ED), जो एक जांच एजेंसी है, दूसरी जांच एजेंसी (राज्य पुलिस) को मामला दर्ज करने का निर्देश देने के लिए अदालत में याचिका दायर कर सकती है?

    चीफ़ जस्टिस मनींद्र मोहन श्रीवास्तव और जस्टिस जी. अरुलमुरुगन की खंडपीठ ED द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इस याचिका में तमिलनाडु राज्य को रेत खनन मामले की जांच में सहयोग करने और पुलिस महानिदेशक को ED के पत्र के आधार पर प्राथमिकी (FIR) दर्ज करने का निर्देश देने की मांग की गई थी।

    अदालत ने पूछा,

    “हमारा केवल यह सवाल है कि क्या आप खुद यहां आकर दूसरी एजेंसी को यह निर्देश देने की मांग कर सकते हैं? हम यह नहीं कह रहे कि आपके पास सामग्री नहीं है, लेकिन सवाल यह है कि जब तक केस दर्ज नहीं होता, क्या आप जांच कर सकते हैं?”

    ED ने तमिलनाडु में रेत खनन से संबंधित चार एफआईआर के आधार पर ईसीआईआर दर्ज किया था। इसके बाद अस्थायी जब्ती आदेश जारी किए गए, लेकिन जुलाई 2023 में मद्रास हाईकोर्ट ने इन्हें रद्द कर दिया था, यह कहते हुए कि मामला “निर्धारित अपराध” (Scheduled Offence) नहीं है, इसलिए मनी लॉन्ड्रिंग कानून (PMLA) के तहत जांच मान्य नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने भी ED की अपील खारिज कर दी थी।

    ED के विशेष लोक अभियोजक एन. रमेश ने बताया कि एजेंसी ने राज्य में बड़े पैमाने पर अवैध रेत खनन के सबूत जुटाए हैं और जानकारी राज्य सरकार को दी, लेकिन अब तक कोई एफआईआर दर्ज नहीं हुई। इसी कारण एजेंसी को अदालत का रुख करना पड़ा।

    वहीं, तमिलनाडु के एडवोकेट जनरल पी.एस. रमन ने कहा कि एफआईआर दर्ज करना ED का अधिकार नहीं है। सिर्फ जानकारी साझा कर देने से राज्य “डाकघर” की तरह काम नहीं कर सकता। उन्होंने कहा कि ED की सुप्रीम कोर्ट में याचिका हाल ही में खारिज हुई है, इसलिए राज्य ने अब तक कार्रवाई नहीं की।

    इस पर अदालत ने पूछा कि ED कैसे राज्य को एफआईआर दर्ज करने का आदेश देने की मांग कर सकता है, साथ ही राज्य से कहा कि वह ED द्वारा दी गई जानकारी पर हाथ पर हाथ रखकर नहीं बैठ सकता।

    बहस के दौरान, महाधिवक्ता ने ED पर “चुनिंदा राज्यों” में कार्रवाई करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा,

    “उत्तर प्रदेश, बिहार और गुजरात में इससे भी बड़े घोटाले हो रहे हैं, लेकिन ED को केवल तमिलनाडु ही दिखता है।”

    अदालत ने टिप्पणी की कि राज्य और ED जैसी जांच एजेंसियों को एक-दूसरे पर शक या विवाद नहीं करना चाहिए। अदालत ने यह भी कहा कि मनी लॉन्ड्रिंग अधिनियम में यह स्पष्ट नहीं है कि अगर ED द्वारा दी गई जानकारी पर कोई एफआईआर दर्ज नहीं होती, तो आगे क्या कदम उठाए जाएं।

    अंत में अदालत ने राज्य सरकार को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया और मामले की सुनवाई तीन हफ्तों के लिए स्थगित कर दी।

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