नाबालिग से यौन अपराध जघन्य अपराध; एकमात्र घटना पर भी डिटेंशन संभव : मद्रास हाईकोर्ट

Praveen Mishra

9 Dec 2025 6:57 PM IST

  • नाबालिग से यौन अपराध जघन्य अपराध; एकमात्र घटना पर भी डिटेंशन संभव : मद्रास हाईकोर्ट

    मद्रास हाईकोर्ट ने हाल ही में यह स्पष्ट किया है कि नाबालिग के विरुद्ध यौन अपराध समाज के खिलाफ गंभीर और जघन्य अपराध है, और ऐसी स्थिति में केवल एक घटना के आधार पर भी तमिलनाडु गूंडास एक्ट के तहत आरोपी के खिलाफ डिटेंशन आदेश पारित किया जा सकता है।

    जस्टिस जी.के. इलंथिरैयन और जस्टिस आर. पूर्णिमा की खंडपीठ ने एक हैबियस कॉर्पस याचिका खारिज करते हुए कहा कि आरोपी द्वारा उठाया गया यह तर्क अस्वीकार्य है कि “एक घटना” से सार्वजनिक व्यवस्था बाधित नहीं होती और इसलिए डिटेंशन उचित नहीं है।

    यौन अपराध के मामले में 'एक घटना' भी पर्याप्त: अदालत

    अदालत ने कहा:

    “आरोपी ने 8 वर्षीय नाबालिग बच्ची के साथ यौन अपराध किया है। यह समाज के विरुद्ध गंभीर अपराध है। इसलिए एकमात्र घटना भी डिटेंशन आदेश पारित करने के लिए पर्याप्त है।”

    मामले की पृष्ठभूमि

    याचिकाकर्ता ने अपने भाई की हिरासत को चुनौती दी थी, जिसे POCSO Act की धाराएँ 5(l), 5(m) सहपठित धारा 6(1) और BNS Act की धारा 87 के तहत दर्ज मामले में 12 मार्च 2025 को गिरफ्तार किया गया था। बाद में उसे 17 अप्रैल 2025 को “sexual offender” के रूप में तमिलनाडु गूंडास एक्ट के तहत डिटेन किया गया।

    याचिकाकर्ता के तर्क

    याचिकाकर्ता ने कहा कि:

    गिरफ्तारी और डिटेंशन के बीच 35 दिन की देरी हुई, जिससे “proximate link” टूट गया।

    डिटेंशन के समय कोई जमानत याचिका लंबित नहीं थी, इसलिए आरोपी की जल्द रिहाई की कोई आशंका नहीं थी।

    डिटेनिंग अथॉरिटी ने “application of mind” नहीं किया।

    आरोपी को accident register की अनूदित प्रति नहीं दी गई।

    हाईकोर्ट का विश्लेषण

    अदालत ने पाया कि—

    सरकार के समक्ष रीमांड एक्सटेंशन रिपोर्ट दी गई थी, जिससे डिटेंशन तक की प्रक्रियाएँ निरंतर जारी थीं।

    सिर्फ़ देरी को आधार बनाकर डिटेंशन रद्द नहीं किया जा सकता, जब तक कि देरी का उचित स्पष्टीकरण हो।

    Accident register डिटेंशन आदेश में rely नहीं किया गया था।

    पीड़िता की चोटों से जुड़े महत्वपूर्ण विवरण अंग्रेज़ी में थे, इसलिए आरोपी को कोई हानि नहीं हुई।

    अंतिम आदेश

    सभी तथ्यों पर विचार कर अदालत ने कहा कि डिटेंशन आदेश वैध है, इसमें कोई कानूनी त्रुटि नहीं है। इसलिए हैबियस कॉर्पस याचिका खारिज कर दी गई।

    Next Story