मद्रास हाईकोर्ट ने YouTuber सवुक्कु शंकर की स्वास्थ्य स्थिति पर रिपोर्ट मांगी, हिरासत में यातना के हैं आरोप

Shahadat

9 May 2024 11:11 AM IST

  • मद्रास हाईकोर्ट ने YouTuber सवुक्कु शंकर की स्वास्थ्य स्थिति पर रिपोर्ट मांगी, हिरासत में यातना के हैं आरोप

    हिरासत में यातना के आरोपों के बीच मद्रास हाईकोर्ट ने YouTuber सवुक्कू शंकर की स्वास्थ्य स्थिति के बारे में जिला कानूनी सेवा प्राधिकरण, कोयंबटूर से रिपोर्ट मांगी है।

    यह सूचित किए जाने के बाद कि डीएलएसए ने शंकर के स्वास्थ्य की जांच के लिए पैनल में शामिल तीन वकीलों और एक्सपर्ट डॉक्टर को नियुक्त किया, जस्टिस एडी जगदीश चंदिरा और जस्टिस आर कलाईमथी की अवकाश पीठ ने प्राधिकरण को 9 मई 2024 तक एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।

    खंडपीठ ने शंकर की मां ए कमला द्वारा दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर यह निर्देश दिया, जिसमें शंकर को हिरासत में दी गई कथित यातना की न्यायिक जांच करने और उसे सरकारी अस्पताल में पर्याप्त मेडिकल उपचार देने की मांग की गई।

    शंकर को महिला पुलिस अधिकारियों के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने के लिए महिला पत्रकार की शिकायत के आधार पर 4 मई को कोयंबटूर पुलिस ने गिरफ्तार किया था और 17 मई तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था।

    शंकर पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 294 (बी), 509, तमिलनाडु महिला उत्पीड़न (रोकथाम) अधिनियम की धारा 354डी और 506 और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 4 सपठित धारा 67 के तहत मामला दर्ज किया गया।

    शंकर की मां ने दावा किया कि हिरासत में रहने के दौरान पुलिस ने शंकर पर बेरहमी से हमला किया, जिससे उसे गंभीर चोटें आईं। इससे उसका दाहिना हाथ टूट गया। उन्होंने आगे आरोप लगाया कि जेल अधिकारी पर्याप्त उपचार प्रदान करने में भी विफल रहे, जो उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।

    जब इस मामले को अवकाश पीठ ने उठाया तो शंकर की ओर से पेश सीनियर वकील जॉन सथियन ने तर्क दिया कि हिरासत में लिए जाने के दौरान उन्हें कोई चोट नहीं आई, लेकिन अब उनके दाहिने हाथ में फ्रैक्चर हो गया, जो स्पष्ट रूप से हिरासत में यातना/हिंसा की ओर इशारा करता है।

    हालांकि उन्होंने अदालत से अधिकारियों को यह निर्देश देने का भी आग्रह किया कि शंकर को उसकी चोटों की जांच के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अदालत में पेश किया जाए, लेकिन अदालत सहमत नहीं थी और राय दी कि इसका मतलब बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका का दायरा बढ़ाना होगा।

    हालांकि, अदालत ने डीएलएसए को शंकर की स्वास्थ्य स्थिति के संबंध में अपनी रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया।

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