RTE Act के तहत केंद्र द्वारा राज्यों को देय धनराशि को NEP कार्यान्वयन से जोड़ने की आवश्यकता नहीं: मद्रास हाईकोर्ट
Shahadat
10 Jun 2025 5:34 PM IST

यह देखते हुए कि शिक्षा के अधिकार अधिनियम (RTE Act) के तहत केंद्र सरकार द्वारा राज्यों को देय धनराशि को राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) के कार्यान्वयन से जोड़ने की आवश्यकता नहीं है, मद्रास हाईकोर्ट ने केंद्र से तमिलनाडु सरकार को देय समग्र शिक्षा योजना के लिए धनराशि जारी करने पर विचार करने का आग्रह किया।
जस्टिस जीआर स्वामीनाथन और जस्टिस वी लक्ष्मीनारायणन की खंडपीठ शिक्षा के अधिकार अधिनियम, 2009 (RTE Act) के तहत शैक्षणिक वर्ष 2025-2026 के लिए तत्काल प्रवेश प्रक्रिया शुरू करने के लिए राज्य को निर्देश देने की मांग वाली याचिका का निपटारा कर रही थी। खंडपीठ ने अपनी अवकाशकालीन बैठक के दौरान याचिका पर आदेश सुरक्षित रख लिया था।
याचिकाओं की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने अदालत को सूचित किया कि राजनीतिक द्वेष के कारण केंद्र 2021 से धनराशि जारी नहीं कर रहा है। योजना के अनुसार, केंद्र द्वारा निधियों का बंटवारा किया जाता है और 60% हिस्सा देने के लिए केंद्र बाध्य है तथा शेष 40% का भुगतान करने के लिए राज्य बाध्य है। जब खंडपीठ द्वारा यह प्रश्न उठाया गया कि केंद्र ने निधियों को क्यों रोक रखा है तो एएसजी एआरएल सुंदरेशन ने अदालत को सूचित किया कि समग्र शिक्षा अभियान के तहत तमिलनाडु राज्य के लिए निधियां जारी नहीं की गई, क्योंकि राज्य ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करने के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं। या
याचिकाओं का निपटारा करते हुए खंडपीठ ने अब केंद्र से समग्र शिक्षा योजना से RTE घटक को अलग करने और राज्य सरकार को देय निधियों को जारी करने का आग्रह किया। खंडपीठ ने कहा कि RTE Act के प्रावधानों के अनुसार, केंद्र और राज्य सरकारों की निधियां प्रदान करने की समवर्ती जिम्मेदारी है। इस प्रकार न्यायालय ने कहा कि RTE दायित्वों के निर्वहन के लिए केंद्र सरकार के हिस्से का प्रतिनिधित्व करने वाली राज्य सरकारों को देय धनराशि को NEP 2020 से जोड़ने की आवश्यकता नहीं है।
न्यायालय ने कहा,
"यह सच है कि समग्र शिक्षा योजना का कार्यान्वयन NEP 2020 के अनुरूप है, लेकिन फिर RTE के तहत दायित्व अपने आप में स्वतंत्र है। अधिनियम की धारा 7 में कहा गया कि अधिनियम के प्रावधानों को लागू करने के लिए धन उपलब्ध कराने की केंद्र सरकार और राज्य सरकार की समवर्ती जिम्मेदारी होगी। धारा 7(3) में कहा गया कि केंद्र सरकार राज्य सरकार को राजस्व के अनुदान के रूप में उप-धारा (2) में निर्दिष्ट व्यय का ऐसा प्रतिशत प्रदान करेगी, जिसे वह समय-समय पर राज्य सरकारों के परामर्श से निर्धारित कर सकती है। इसलिए RTE दायित्वों के निर्वहन के लिए केंद्र सरकार के हिस्से का प्रतिनिधित्व करने वाली राज्य सरकारों को देय धनराशि को NEP 2020 से जोड़ने की आवश्यकता नहीं है।"
न्यायालय ने यह भी कहा कि चूंकि राज्य सरकार ने निधि रोके जाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में मुकदमा दायर किया, इसलिए वह कोई बाध्यकारी निर्देश जारी नहीं कर सकती। इस प्रकार न्यायालय ने केंद्र सरकार से RTE घटक को अलग करने पर विचार करने का आग्रह किया।
याचिका में मांगी गई राहत के संबंध में न्यायालय ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह कानून में निर्धारित समयसीमा का पालन करते हुए संवितरण करे। न्यायालय ने कहा कि राज्य सरकार का दायित्व है कि वह अधिनियम की योजना के तहत प्रवेश देने वाले निजी गैर-सहायता प्राप्त स्कूलों को प्रतिपूर्ति करे और केंद्र सरकार से निधि प्राप्त न होने को वैधानिक दायित्व से बचने का आधार नहीं बनाया जा सकता।
Case Title: V Easwaran v. Government of Tamil Nadu