नगर निगम आयुक्त विकास परियोजना के कार्यान्वयन प्राधिकरण और 'वृक्ष अधिकारी' के रूप में एक साथ काम नहीं कर सकतेः मध्य प्रदेश हाईकोर्ट
Avanish Pathak
10 Jan 2025 11:13 AM IST
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर पीठ ने हाल ही में एक निर्णय में कहा कि नगर निगम आयुक्त एक साथ 'वृक्ष अधिकारी' और ऐसी विकास परियोजना के कार्यान्वयन प्राधिकरण के रूप में कार्य नहीं कर सकते, जिसके लिए पेड़ों की कटाई की अनुमतिकी आवश्यकता हो।
कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह राजपत्रित अधिकारी के पद से नीचे के किसी भी 'वन अधिकारी' को 'वृक्ष अधिकारी' के रूप में नियुक्त करे, जिसके समक्ष आयुक्त, इंदौर नगर निगम दो विकास परियोजनाओं यानि मल्हार आश्रम और एमओजी लाइन्स में पेड़ों को काटने की अनुमति के लिए आवेदन कर सके।
जस्टिस विवेक रूसिया और जस्टिस बिनोद कुमार द्विवेदी की खंडपीठ ने कहा,
"...नगर निगम आयुक्त, जो इन दो परियोजनाओं के विकास के लिए कार्यान्वयन प्राधिकरण है, वह विशेष रूप से इंदौर नगर निगम द्वारा कार्यान्वित और शुरू की गई परियोजनाओं के लिए पेड़ों को काटने की अनुमति देने के लिए 'वृक्ष अधिकारी' के रूप में कार्य नहीं कर सकता था।"
मामला
कोर्ट के पास यह मामला इंदौर शहर में, विशेष रूप से मल्हार आश्रम और एमओजी लाइन्स क्षेत्रों में पेड़ों को काटने या गिराने में राज्य अधिकारियों की कथित मनमानी कार्रवाई के खिलाफ दायर एक जनहित याचिका में सामने आया। याचिका के अनुसार, उन क्षेत्रों में कई प्रजातियों के पेड़ हैं और 1,000 से अधिक पेड़ों के साथ यह एक महत्वपूर्ण ऑक्सीजन सेंटर है। इसलिए, इन पेड़ों को हटाने से महत्वपूर्ण पर्यावरणीय नुकसान हो सकता है, जैसे अर्बन हीट आईलैंड इफेक्ट, जैव विविधता में कमी और उच्च परिवेश तापमान जैसे नुकसान हो सकते हैं।
याचिका में उठाया गया मुख्य तर्क यह था कि इंदौर नगर निगम आयुक्त इंदौर नगर निगम की ओर से शुरू की गई परियोजनाओं के लिए खुद को अनुमति नहीं दे सकते थे क्योंकि यह प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ होगा।
याचिका में मध्य प्रदेश वृक्षों का संरक्षण (नगरीय क्षेत्र) अधिनियम, 2001 की धारा 4 (वृक्ष अधिकारी की नियुक्ति) और 6 (पेड़ों को गिराने, काटने, हटाने या निस्तारण की अनुमति प्राप्त करने की प्रक्रिया) की संवैधानिक वैधता और 2 जनवरी, 2002 की अधिसूचना को भी चुनौती दी गई है, जिसके द्वारा राज्य ने नगर निगम क्षेत्र के लिए नगर निगम आयुक्त और नगरपालिका और नगर पंचायत क्षेत्र के लिए मुख्य नगर अधिकारी को अपने संबंधित क्षेत्राधिकार में वृक्ष अधिकारी के रूप में नियुक्त किया था।
न्यायालय ने 18 दिसंबर, 2024 को मामले की सुनवाई करते हुए इस तथ्य पर ध्यान दिया कि नगर निगम, इंदौर मल्हार आश्रम और एमओजी लाइन्स के विकास परियोजनाओं को हाथ में ले रहा है और इन विकास कार्यों के लिए परिसर में कुछ पुराने पेड़ों को काटा जाना आवश्यक है, जिसके लिए आयुक्त, इंदौर नगर निगम द्वारा अधिनियम की धारा 6 के तहत अनुमति दी गई थी।
इस प्रकार, न्यायालय ने निष्कर्ष निकाला कि आयुक्त, नगर निगम इन दो परियोजनाओं के विकास के लिए कार्यान्वयन प्राधिकारी होने के नाते पेड़ों को काटने की अनुमति देने के लिए 'वृक्ष अधिकारी' के रूप में कार्य नहीं कर सकता था, खासकर इंदौर नगर निगम की ओर से शुरू की गई परियोजनाओं के लिए।
न्यायालय ने कहा,
"हम राज्य सरकार को निर्देश देते हैं कि वह राजपत्रित अधिकारी के पद से नीचे के किसी वन अधिकारी को 'वृक्ष अधिकारी' के रूप में तुरंत अधिसूचित करे, जिसके समक्ष आयुक्त, इंदौर नगर निगम पेड़ों को काटने की अनुमति के लिए आवेदन कर सके। यह भी निर्देश दिया जाता है कि जब तक यह पूरी प्रक्रिया पूरी नहीं हो जाती, तब तक आयुक्त, इंदौर नगर निगम द्वारा इन दो परियोजनाओं यानि मल्हार आश्रम और एमओजी लाइन्स में वृक्ष अधिकारी के रूप में दी गई अनुमति के आधार पर कोई पेड़ नहीं काटा जाएगा।"
केस डिटेल: डॉ. अमन शर्मा बनाम मध्य प्रदेश राज्य और अन्य, WP नंबर 17446/2024