मध्य प्रदेश न्यायिक सेवा: हाईकोर्ट ने भविष्य की भर्ती परीक्षाओं में मेधावी आरक्षित श्रेणी के उम्मीदवारों को अनारक्षित श्रेणी में स्थानांतरित करने का आदेश दिया

LiveLaw News Network

22 Nov 2024 3:33 PM IST

  • मध्य प्रदेश न्यायिक सेवा: हाईकोर्ट ने भविष्य की भर्ती परीक्षाओं में मेधावी आरक्षित श्रेणी के उम्मीदवारों को अनारक्षित श्रेणी में स्थानांतरित करने का आदेश दिया

    मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की जबलपुर पीठ ने कहा है कि अब से हाईकोर्ट के परीक्षा प्रकोष्ठ द्वारा आयोजित सभी भावी भर्ती परीक्षाओं में चयन प्रक्रिया के सभी चरणों में अनारक्षित श्रेणी में मेधावी आरक्षित श्रेणी के उम्मीदवारों को माइग्रेशन का लाभ दिया जाएगा।

    अदालत ने इस पूरी सुनवाई में एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि हाईकोर्ट सहित प्रतिवादियों को निर्देश दिया जाए कि वे हाईकोर्ट के परीक्षा प्रकोष्ठ द्वारा आयोजित प्रारंभिक और मुख्य परीक्षा सहित चयन प्रक्रिया के हर चरण में अनारक्षित पदों के विरुद्ध मेधावी आरक्षित श्रेणी के उम्मीदवारों का चयन करें, ताकि यदि उन्हें अनारक्षित श्रेणी से समान या अधिक अंक प्राप्त हुए हों तो वे अनारक्षित श्रेणी में जन्म लें।

    चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत और ज‌स्टिस विवेक जैन की खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा, "हम निर्देश देते हैं कि अब से मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के परीक्षा प्रकोष्ठ द्वारा आयोजित सभी भविष्य की भर्ती परीक्षाओं में चयन प्रक्रिया के सभी चरणों में अनारक्षित श्रेणी के मेधावी आरक्षित श्रेणी के उम्मीदवारों को माइग्रेशन का लाभ दिया जाएगा।"

    हालांकि, न्यायालय ने स्पष्ट किया कि हाईकोर्ट के परीक्षा प्रकोष्ठ द्वारा आयोजित चल रही भर्ती परीक्षा जिसमें परीक्षा (प्रारंभिक या मुख्य परीक्षा, जैसा भी मामला हो) पहले ही आयोजित की जा चुकी है, हाईकोर्ट के आदेश से प्रभावित नहीं होगी। याचिकाकर्ता, अनुसूचित जाति एवं जन जाति अधिकारी कर्मचारी संघ (अजजाक्स) ने तर्क दिया कि मौजूदा प्रणाली अनारक्षित श्रेणी के सबसे कम उम्मीदवारों के बराबर या उससे अधिक अंक प्राप्त करने के बावजूद चयन प्रक्रिया के हर चरण में मेधावी आरक्षित श्रेणी के उम्मीदवारों को माइग्रेशन का लाभ नहीं देती है।

    याचिकाकर्ता ने आगे तर्क दिया कि प्रारंभिक परीक्षा में अनारक्षित सीटों के विरुद्ध किसी भी आरक्षित श्रेणी के मेधावी छात्र को नहीं रखा गया है। ऐसा केवल मुख्य परीक्षा और साक्षात्कार के बाद अंतिम परिणाम में किया गया है, जिससे आरक्षित श्रेणी के उम्मीदवारों के साथ घोर अन्याय हुआ है। यह कार्रवाई भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 के तहत उम्मीदवारों को दिए गए अधिकारों का उल्लंघन करती है।

    यह आदेश किशोर चौधरी बनाम मध्य प्रदेश राज्य में हाईकोर्ट के निर्णय का संदर्भ देता है, जिसमें कहा गया था कि इंद्रा साहनी निर्णय में निर्धारित सिद्धांतों को तभी वास्तविकता में बदला जा सकता है, जब आरक्षित श्रेणी के उम्मीदवार ने प्रारंभिक और मुख्य परीक्षा सहित चयन के सभी चरणों में अनारक्षित श्रेणी के उम्मीदवार के बराबर या उससे अधिक अंक प्राप्त किए हों।

    हाईकोर्ट ने आगे उल्लेख किया कि दीपेंद्र यादव और अन्य बनाम मध्य प्रदेश राज्य में सर्वोच्च न्यायालय ने चयन के सभी चरणों में अनारक्षित श्रेणी में मेधावी आरक्षित श्रेणी के उम्मीदवारों को माइग्रेशन का लाभ देने की वैधता और वैधता को मंजूरी दी थी

    इसके बाद न्यायालय ने याचिका का निपटारा कर दिया।

    केस टाइटलः अनुसूचित जाति, एवं जन जाति अधिकारी कर्मचारी संघ (अजक्स) बनाम मध्य प्रदेश हाईकोर्ट और अन्य

    केस नंबर: रिट पीटिशन नंबर 32834 ऑफ़ 2024

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