मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने GST कार्यवाही में बाधा डालने पर तंबाकू कंपनी पर ₹2 लाख का जुर्माना लगाया
Shahadat
30 Oct 2025 10:29 AM IST

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने इंदौर स्थित तंबाकू कंपनी पर GST अधिकारियों द्वारा उसके खिलाफ शुरू की गई कार्यवाही में बाधा डालने का प्रयास करने पर ₹2 लाख का जुर्माना लगाया।
इंदौर में पान मसाला और तंबाकू उद्योग में बड़े पैमाने पर कर चोरी की जांच के बाद मई, 2020 में यह कंपनी जीएसटी खुफिया महानिदेशक की जांच के घेरे में आई थी।
जांच में कथित तौर पर याचिकाकर्ता एलोरा टोबैको कंपनी लिमिटेड से जुड़े ₹200 करोड़ से अधिक के कर चोरी के रैकेट का खुलासा हुआ।
याचिका में सर्वेक्षण रजिस्टर, तंबाकू स्टॉक रजिस्टर, कच्चे माल की आवक रजिस्टर, शिफ्ट-वार उत्पादन रिकॉर्ड, मशीन-वार उत्पादन रिकॉर्ड, सिगरेट की दैनिक निकासी वाले रजिस्टर, साप्ताहिक रिपोर्ट, मासिक रिपोर्ट और वार्षिक रिपोर्ट सहित सभी दस्तावेजों की प्रमाणित प्रतियां और सतर्कता निदेशालय के समक्ष पेश 76 अधिकारियों के बयान मांगे गए।
जस्टिस विवेक रूसिया और जस्टिस बिनोद कुमार द्विवेदी की खंडपीठ ने हालांकि, यह पाया कि मांगी गई राहतें हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट दोनों द्वारा पहले ही दिए जा चुके निर्णयों के समान ही हैं।
इस प्रकार, खंडपीठ ने कहा,
"हमारा विचार है कि यह याचिका पूरी तरह से गलत है। कारण बताओ नोटिस की कार्यवाही को प्रभावित करने के दुर्भावनापूर्ण इरादे से दायर की गई। ऐसा इसलिए है, क्योंकि 29.05.2025 के अंतरिम आदेश के कारण केवल याचिकाकर्ता के मामले में कोई अंतिम आदेश पारित नहीं किया जा सका, जबकि अन्य नोटिस प्राप्तकर्ताओं के मामले में अंतिम आदेश बहुत पहले ही पारित किया जा चुका है। उपरोक्त के मद्देनजर, यह रिट याचिका याचिकाकर्ता द्वारा प्रतिवादी को चार सप्ताह में देय 2,00,000/- रुपये (केवल दो लाख रुपये) की लागत के साथ खारिज की जाती है।"
GST अधिकारियों के अनुसार, याचिकाकर्ता के कारखाने में सिगरेट उत्पादन की वास्तविक मात्रा को छिपाने सहित कई विसंगतियां पाई गईं। तदनुसार, कंपनी को ₹151.64 करोड़ की कर चोरी और ₹76.68 करोड़ के उत्पाद शुल्क की मांग करते हुए नोटिस जारी किए गए।
2024 में कंपनी ने जांच के दौरान ज़ब्त किए गए मूल दस्तावेज़ों को वापस लेने की मांग करते हुए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जिनका कारण बताओ नोटिस में उल्लेख नहीं किया गया। हाईकोर्ट ने इस अनुरोध को स्वीकार कर लिया। सुप्रीम कोर्ट ने भी मामले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया।
वर्तमान याचिका खारिज करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि मामला समाप्त हो गया, क्योंकि कंपनी को GST के उचित कार्यालय के समक्ष कार्यवाही में भाग लेना था। हालांकि, कंपनी ने GST कार्यवाही को रोकने के लिए कथित तौर पर अतिरिक्त अभिलेखों की प्रमाणित प्रतियों की मांग करते हुए फिर से न्यायालय का दरवाजा खटखटाया।
अदालत ने आगे कहा,
"यह याचिका याचिकाकर्ता सहित कई नोटिस प्राप्तकर्ताओं के खिलाफ लंबित न्यायिक कार्यवाही को रोकने के लिए जानबूझकर दायर की गई। यहां यह उल्लेख करना महत्वपूर्ण है कि मेसर्स एलोरा टोबैको कंपनी लिमिटेड के मामले को छोड़कर कार्यवाही अंतिम आदेश पारित करके पूरी कर ली गई।"
खंडपीठ ने याचिकाकर्ता के इस तर्क को खारिज कर दिया कि रेंज अधिकारी रिकॉर्ड रखने के लिए बाध्य हैं। खंडपीठ ने कहा कि GST Act की धारा 35 प्रत्येक रजिस्टर्ड व्यक्ति को अपने मुख्य व्यावसायिक स्थल पर वस्तुओं के उत्पादन या निर्माण, वस्तुओं की आवक और जावक आपूर्ति, वस्तुओं के स्टॉक, प्राप्त इनपुट टैक्स क्रेडिट, देय और चुकाए गए आउटपुट टैक्स और अन्य विवरणों आदि का सही और सटीक लेखा-जोखा रखने और बनाए रखने का आदेश देती है।
अदालत ने GST Act, 2017 के नियम 56 का भी हवाला दिया, जो एक रजिस्टर्ड व्यक्ति द्वारा खातों के रखरखाव के लिए बाध्यता निर्धारित करता है।
अदालत ने आगे कहा,
"इस प्रकार, मिस्टर मल्होत्रा का यह तर्क निराधार है कि सभी वैधानिक दस्तावेज आबकारी अधिकारियों द्वारा तैयार किए गए और विभाग द्वारा याचिकाकर्ता को सौंपे/वापस किए जाने योग्य हैं।"
इस प्रकार, मामला खारिज कर दिया गया।
Case Title: Elora Tobacco Company v Union of India [WP-14694-2025]

