माता-पिता द्वारा ट्रायल में बयान से नहीं पलटने की घोषणा के बाद हाईकोर्ट ने नाबालिग को टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी की अनुमति दी
Shahadat
21 Jun 2024 10:27 AM IST
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने हाल ही में 14 वर्षीय लड़की (बलात्कार पीड़िता) के टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी की अनुमति दी। कोर्ट ने यह अनुमति उसके माता-पिता द्वारा यह पुष्टि करने के बाद दी कि वे बलात्कार के आरोपी के खिलाफ मुकदमे के दौरान अपने बयान से पलटेंगे नहीं।
जस्टिस जीएस अहलूवालिया की पीठ ने यह भी कहा कि पीड़िता अपने माता-पिता के जोखिम और लागत पर टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी करवाएंगे और राज्य सरकार तथा टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी करने वाले डॉक्टरों की इसके लिए कोई जिम्मेदारी नहीं होगी।
न्यायालय ने यह आदेश 13 वर्षीय बलात्कार पीड़िता द्वारा दायर रिट याचिका पर विचार करते हुए पारित किया। मामले की सुनवाई के दौरान, न्यायालय ने शिकायतकर्ता और पीड़िता के माता-पिता से इस आशय का हलफनामा मांगा कि वह उस व्यक्ति द्वारा बलात्कार किए जाने के संबंध में अपने बयान से पलटेगी, जिसके खिलाफ आरोप लगाए गए हैं।
31 मई को अभियोक्ता के पिता ने ऐसा हलफनामा दाखिल किया जिसमें कहा गया कि वे अपने आरोपों पर कायम रहेंगे कि पीड़िता का न केवल अपहरण किया गया, बल्कि उसे गिरफ्तार किए गए आरोपी ने बलात्कार का शिकार बनाया।
हलफनामे को रिकॉर्ड पर लेते हुए न्यायालय ने प्रतिवादियों को पीड़िता के टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी करने का निर्देश दिया और उसके पिता को उसे सिंगरौली के जिला अस्पताल के सीएमएचओ के समक्ष पेश करने का निर्देश दिया। इसके अलावा न्यायालय ने डॉक्टरों को डीएनए टेस्ट लैब के निर्देशों के अनुसार भ्रूण को संरक्षित करने और उसे फॉर्मेलिन घोल में संरक्षित न करने का भी निर्देश दिया।
न्यायालय ने कहा,
"संरक्षित भ्रूण को तुरंत जांच एजेंसी को सौंप दिया जाएगा और जांच अधिकारी को भ्रूण को जब्त किए जाने की तारीख से दो दिनों की अवधि के भीतर डीएनए फिंगरप्रिंट लैब में भेजने का निर्देश दिया जाता है।"
केस टाइटल- पीड़िता ए बनाम मध्य प्रदेश राज्य