मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने बेटी की भरण-पोषण की लड़ाई में पिता की आय के सत्यापन का आदेश दिया
Shahadat
22 Sept 2025 11:20 AM IST

इंदौर स्थित मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने एक युवती की दुर्दशा पर गहरा दुःख व्यक्त किया, जो अपने पिता से भरण-पोषण के लिए बार-बार अदालतों का दरवाजा खटखटाने को मजबूर है।
जस्टिस विवेक रूसिया और जस्टिस बिनोद कुमार द्विवेदी की खंडपीठ, मुंबई में ग्रेजुएट की पढ़ाई कर रही अपनी बेटी के खिलाफ एक पिता द्वारा दायर अपील पर सुनवाई कर रही थी।
खंडपीठ ने टिप्पणी की,
"यह हमारे लिए बेहद दुर्भाग्यपूर्ण और पीड़ादायक है कि एक बेटी अपने पिता से भरण-पोषण पाने के लिए संघर्ष कर रही है। अपीलकर्ता-पिता ने प्रतिवादी-बेटी के खिलाफ इस अदालत में चार याचिकाएं दायर कीं।"
पिता ने फैमिली कोर्ट द्वारा पारित 5 जून, 2022 से गणना किए जाने वाले 10,000 रुपये के भरण-पोषण आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी। पिता ने तीन अन्य याचिकाएं दायर की थीं, जिनमें दावा किया गया कि वह बेरोजगार होने और आय का कोई स्रोत न होने के कारण भरण-पोषण का भुगतान करने में असमर्थ हैं।
पिता ने आगे दावा किया कि उनकी बेटी अपने नाना के साथ रह रही है। हालांकि, अदालत ने इस तर्क को यह कहते हुए खारिज किया कि "प्रतिवादी के नाना वृद्ध होने चाहिए। इसलिए उनसे भविष्य में प्रतिवादी का भरण-पोषण करने की अपेक्षा नहीं की जा सकती"।
बेटी ने दावा किया कि कुल देय राशि लगभग 3.75 लाख रुपये थी। हालांकि, उसके पिता ने कोई राशि नहीं दी। उसने आरोप लगाया कि उसके पिता ने दूसरी शादी कर ली है और दूसरी शादी से उनका एक बेटा है।
अदालत ने कहा कि यदि पिता की आय संबंधी दलीलें झूठी पाई जाती हैं तो वह अदालत को गुमराह करने के लिए उत्तरदायी होंगे। इसलिए अदालत ने इंदौर के उपखंड अधिकारी और थाना प्रभारी को रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया। अदालत ने डिप्टी-एडवोकेट जनरल सुदीप भार्गव को भी संबंधित अधिकारियों को इस आदेश से अवगत कराने और रिपोर्ट प्राप्त करने का निर्देश दिया।
मामला 6 अक्टूबर, 2025 के लिए सूचीबद्ध किया गया।
Case Title: KS v KU (FA-681-2025)

