हाईकोर्ट मध्य प्रदेश हाईकोर्ट नियम 2008 के तहत प्रावधान की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली रिट याचिका पर जारी किया नोटिस
Shahadat
25 Jun 2025 11:23 AM IST

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट नियम 2008 के तहत प्रावधान की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली रिट याचिका पर नोटिस जारी किया है, जिसमें दोषसिद्धि आदेश को चुनौती देने के लिए दोषी व्यक्ति द्वारा पूर्व आत्मसमर्पण अनिवार्य करने की शर्त है।
याचिका में दावा किया गया कि नियम 48 भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 (BNSS) के विपरीत है, जो अपील या संशोधन दायर करने से पहले पूर्व आत्मसमर्पण की ऐसी कोई पूर्व शर्त नहीं लगाता है।
यह तर्क दिया गया कि यह नियम संविधान के अनुच्छेद 14, 19(1)(ए) और 21 के तहत दोषी व्यक्ति के अधिकारों का उल्लंघन करता है। याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि BNSS द्वारा परिकल्पित नहीं की गई अतिरिक्त शर्त लगाकर नियम 48 हाईकोर्ट की नियम बनाने की शक्ति से परे है और इस प्रकार यह मूल कानून के विपरीत है।
इस प्रकार यह मध्य प्रदेश हाईकोर्ट नियम 2008 के नियम 48 को, जहां तक यह किसी अपराधी द्वारा आपराधिक पुनर्विचार की स्थिरता के लिए पूर्व शर्त के रूप में पूर्व आत्मसमर्पण की अनिवार्य शर्त लगाता है, "अतिक्रमणीय तथा भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14, 19 (1) (ए) तथा 21 का उल्लंघन करने वाला" घोषित करने का निर्देश देने की मांग करता है।
आगे यह मांग की गई कि नियम को पूर्व शर्त की सीमा तक निरस्त किया जाए। तदनुसार, उक्त नियम को उस सीमा तक निरस्त करने की कृपा की जाए।
एक्टिंग चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा तथा जस्टिस विनय सराफ की खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा,
"नोटिस जारी करें। प्रतिवादी के वीकल द्वारा नोटिस स्वीकार किया जाता है। यद्यपि राज्य पक्षकार नहीं है, फिर भी हम एडवोकेट जनरल के माध्यम से राज्य को नोटिस जारी करना समीचीन समझते हैं। राज्य की ओर से शासकीय वकील अनुभव जैन द्वारा नोटिस स्वीकार किया जाता है। चार सप्ताह के भीतर प्रति-शपथ-पत्र दाखिल किया जाए। चार सप्ताह के बाद सूचीबद्ध किया जाए।"
बता दें, अध्याय 10 के तहत नियम 48 में कहा गया है,
"सजा के खिलाफ अपील या पुनर्विचार याचिका का ज्ञापन, उन मामलों को छोड़कर जहां सजा को निचली अदालत द्वारा निलंबित कर दिया गया, इस आशय की घोषणा शामिल होगी कि दोषी व्यक्ति हिरासत में है या सजा के बाद आत्मसमर्पण कर दिया है।"
अब इस रिट याचिका पर चार सप्ताह बाद सुनवाई होगी।
Case Title: Satish Sood v Registrar General (WP No. 20899 of 2025)

