पब्लिक सर्वेंट को धमकी देना: भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 के धाराएं 224-226 का विश्लेषण

Himanshu Mishra

1 Oct 2024 6:10 PM IST

  • पब्लिक सर्वेंट को धमकी देना: भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 के धाराएं 224-226 का विश्लेषण

    भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 (Bhartiya Nagarik Suraksha Sanhita, 2023) ने 1 जुलाई 2024 से आपराधिक प्रक्रिया संहिता (Criminal Procedure Code) को बदल दिया है। इस संहिता में न्यायिक प्रक्रिया (legal processes) और पब्लिक सर्वेंट (public servants) की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए कई प्रावधान दिए गए हैं, ताकि वे बिना किसी बाधा के अपने कर्तव्यों का पालन कर सकें।

    धाराएं 224 से 226 विशेष रूप से उन स्थितियों पर ध्यान देती हैं, जब किसी व्यक्ति द्वारा पब्लिक सर्वेंट को धमकाया जाता है, या उन व्यक्तियों को डराया जाता है जो किसी चोट या नुकसान से बचाव के लिए कानूनी मदद (legal protection) लेना चाहते हैं।

    इस लेख में, हम इन धाराओं का विश्लेषण करेंगे और उदाहरणों के माध्यम से समझेंगे कि ये प्रावधान कैसे काम करते हैं।

    पब्लिक सर्वेंट को धमकी देना (धारा 224)

    धारा 224 उन स्थितियों को कवर करती है जहाँ कोई व्यक्ति किसी पब्लिक सर्वेंट (Public Servant) या उससे जुड़े किसी व्यक्ति को धमकी देकर उसे कोई काम करने या किसी काम को रोकने के लिए मजबूर करता है। इस धारा का मुख्य उद्देश्य यह है कि कोई भी व्यक्ति पब्लिक सर्वेंट के कर्तव्यों में हस्तक्षेप (interference) न कर सके। यह किसी प्रकार की धमकी, चाहे वह शारीरिक नुकसान की हो या अन्य प्रकार की, को अपराध घोषित करती है।

    धारा 224 के तहत सजा में दो साल तक की कैद, जुर्माना या दोनों हो सकते हैं।

    उदाहरण: मान लीजिए कि ठेकेदार A, एक सरकारी प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है और B, एक सरकारी अधिकारी, उसकी देखरेख कर रहा है। A, B के परिवार के सदस्य को नुकसान पहुंचाने की धमकी देता है ताकि B खराब निर्माण कार्य को मंजूरी दे दे। इस स्थिति में, A ने धारा 224 का उल्लंघन किया है क्योंकि उसने B के कर्तव्यों पर धमकी के माध्यम से प्रभाव डालने की कोशिश की।

    व्याख्या (Explanation): यह धारा पब्लिक सर्वेंट को सुरक्षा प्रदान करती है ताकि वे बिना डर या धमकी के अपने कर्तव्यों का पालन कर सकें। यह सुनिश्चित करता है कि सरकारी कार्यों की गरिमा बनी रहे और न्यायिक प्रक्रिया को बाधित करने वाले लोगों को दंडित किया जाए।

    कानूनी संरक्षण पाने से रोकने के लिए धमकी देना (धारा 225)

    धारा 225 का संबंध उन लोगों से है जो किसी अन्य व्यक्ति को कानूनी संरक्षण (legal protection) प्राप्त करने से रोकने के लिए धमकी देते हैं। यह प्रावधान यह सुनिश्चित करता है कि लोग अपनी सुरक्षा के लिए न्यायालय का सहारा लेने से डरें नहीं, खासकर जब उन्हें किसी पब्लिक सर्वेंट से सुरक्षा प्राप्त करने का अधिकार हो।

    धारा 225 के तहत सजा में एक साल तक की कैद, जुर्माना या दोनों हो सकते हैं।

    उदाहरण: C, एक व्यवसायी, D, जो एक दुकानदार है, को धमकी देता है कि वह पुलिस अधिकारी के खिलाफ कानूनी शिकायत दर्ज न करे। पुलिस अधिकारी के पास D की सुरक्षा सुनिश्चित करने का कानूनी अधिकार है, लेकिन C, D को धमकी देकर इसे रोकने की कोशिश करता है। इस मामले में, C ने धारा 225 का उल्लंघन किया है क्योंकि उसने एक कानूनी प्रक्रिया को बाधित करने की कोशिश की।

    व्याख्या (Explanation): यह धारा सुनिश्चित करती है कि लोग बिना डर के न्यायिक प्रणाली (justice system) तक पहुंच सकें। यह कानूनी संरक्षण प्राप्त करने के अधिकार की रक्षा करती है और धमकी या दबाव डालने वालों को दंडित करती है।

    आत्महत्या करने का प्रयास करके पब्लिक सर्वेंट को रोकने का प्रयास (धारा 226)

    धारा 226 उन मामलों को कवर करती है, जहां कोई व्यक्ति आत्महत्या (suicide) का प्रयास करके किसी पब्लिक सर्वेंट को उसके कर्तव्यों को निभाने से रोकने की कोशिश करता है। यह धारा इस प्रकार के चरम कदम उठाने को अपराध मानती है, जिससे पब्लिक सर्वेंट पर मानसिक दबाव डाला जाता है।

    धारा 226 के तहत सजा में एक साल तक की साधारण कैद, जुर्माना, दोनों, या सामुदायिक सेवा (community service) शामिल हो सकते हैं। सामुदायिक सेवा का प्रावधान इस धारा को विशिष्ट बनाता है।

    उदाहरण: मान लीजिए कि E, एक निवासी, सरकारी जमीन पर अवैध निर्माण कर रहा है। जब नगर निगम के अधिकारी इसे हटाने आते हैं, तो E आत्महत्या करने की धमकी देकर उन्हें रोकने की कोशिश करता है। E की यह हरकत धारा 226 के अंतर्गत आती है क्योंकि उसने आत्महत्या का प्रयास करके कानूनी प्रक्रिया को बाधित करने का प्रयास किया।

    व्याख्या (Explanation): यह धारा स्पष्ट रूप से बताती है कि आत्महत्या के प्रयासों का उपयोग करके पब्लिक सर्वेंट को गलत रूप से प्रभावित करना भी अपराध है। यह प्रावधान सुनिश्चित करता है कि पब्लिक सर्वेंट दबाव में आकर अपने कर्तव्यों का उल्लंघन न करें।

    पूर्व की धाराओं से संबंध

    इन धाराओं को अच्छी तरह से समझने के लिए, पाठकों को धारा 221 से 223 की भी जानकारी लेनी चाहिए, जो पब्लिक सर्वेंट के कार्यों में बाधा डालने और कानूनी आदेशों की अवहेलना से संबंधित हैं। इन प्रावधानों पर विस्तृत जानकारी के लिए पाठक Live Law Hindi पर उपलब्ध पिछले लेखों को देख सकते हैं।

    भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धाराएं 224 से 226 पब्लिक सर्वेंट और न्यायिक प्रक्रियाओं को धमकियों और बाधाओं से सुरक्षित रखने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। ये प्रावधान सुनिश्चित करते हैं कि कोई भी व्यक्ति सरकारी अधिकारियों को उनके कर्तव्यों से विचलित या बाधित नहीं कर सके। चाहे वह धमकियों के माध्यम से हो, कानूनी प्रक्रिया को रोकने के लिए हो, या आत्महत्या के प्रयास से, इन सभी क्रियाओं को अपराध घोषित किया गया है।

    इन धाराओं के माध्यम से कानून न केवल पब्लिक सर्वेंट की सुरक्षा करता है, बल्कि यह सुनिश्चित करता है कि न्याय प्रणाली (judicial system) भी बिना बाधाओं के काम कर सके।

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