नौकरी से निकाले जाने पर कर्मचारी के अधिकार
Praveen Mishra
1 Sept 2025 4:35 PM IST

किसी भी कर्मचारी के लिए नौकरी खोना एक बड़ा झटका होता है। लेकिन बहुत बार ऐसा अचानक और अनुचित तरीके से भी हो सकता है। ऐसे में ज़रूरी है कि कर्मचारी अपने कानूनी अधिकारों को जाने और समझे। भारतीय श्रम कानून (Labour Laws) कर्मचारियों को कई तरह की सुरक्षा प्रदान करते हैं ताकि उन्हें मनमाने ढंग से नौकरी से न निकाला जा सके।
1. नोटिस पीरियड (Notice Period) का अधिकार
• अधिकांश रोजगार अनुबंध (Employment Contract) और श्रम कानूनों के अनुसार, कर्मचारी को नौकरी से निकालने से पहले एक नोटिस पीरियड देना ज़रूरी है।
• आमतौर पर यह अवधि 1 से 3 महीने की होती है।
• अगर कंपनी तुरंत नौकरी से निकालती है, तो उसे नोटिस पीरियड के बराबर का वेतन (Salary in lieu of notice) देना होता है।
2. कारण बताना ज़रूरी
• बिना कारण बताए किसी कर्मचारी को नौकरी से नहीं निकाला जा सकता।
• कंपनी को लिखित रूप से Termination Letter देना होगा जिसमें कारण साफ़ लिखा हो।
• अनुशासनहीनता, खराब प्रदर्शन, धोखाधड़ी या कंपनी की पॉलिसी उल्लंघन जैसे कारण ही वैध माने जाते हैं।
3. सुनवाई (Right to be Heard)
• अगर किसी गंभीर आरोप (जैसे धोखाधड़ी, ग़लत आचरण) के आधार पर कर्मचारी को हटाया जा रहा है, तो उसे अपना पक्ष रखने का मौका (Domestic Enquiry) दिया जाना चाहिए।
• बिना सुनवाई के सीधा निष्कासन अवैध माना जा सकता है।
4. फुल एंड फाइनल सेटलमेंट (Full & Final Settlement)
नौकरी से निकाले जाने पर कर्मचारी को समय पर पूरा बकाया भुगतान मिलना चाहिए, जिसमें शामिल हैं:
• लंबित वेतन (Unpaid Salary)
• नोटिस पीरियड पे (यदि लागू हो)
• ग्रेच्युटी (Gratuity, यदि 5 साल या उससे अधिक काम किया है)
• भविष्य निधि (Provident Fund - PF)
• बोनस (यदि लागू हो)
• छुट्टियों का नकद भुगतान (Encashment of Leaves)
5. अन्य कानूनी सुरक्षा
• श्रम कानून (Industrial Disputes Act, 1947): अगर कोई कर्मचारी (Workman) है और 240 दिन से अधिक काम कर चुका है, तो बिना उचित कारण निकाला जाना अवैध है। ऐसे में वह लेबर कोर्ट जा सकता है।
• मातृत्व अवकाश कानून: गर्भवती महिला कर्मचारी को गर्भावस्था के दौरान नौकरी से नहीं निकाला जा सकता।
• भेदभाव रहित बर्ताव: जाति, धर्म, लिंग या विकलांगता के आधार पर निष्कासन अवैध है।
6. न्याय पाने के रास्ते
यदि कर्मचारी को लगता है कि उसके साथ अन्याय हुआ है, तो वह:
• कंपनी के HR या ग्रिवांस रिड्रेसल सेल से शिकायत कर सकता है।
• लेबर कमिश्नर के पास आवेदन कर सकता है।
• लेबर कोर्ट/ट्रिब्यूनल में मामला दर्ज कर सकता है।
• आवश्यक होने पर सिविल कोर्ट में भी हर्जाने का दावा कर सकता है।
किसी कर्मचारी को नौकरी से निकालना केवल नियोक्ता का अधिकार नहीं है, बल्कि यह प्रक्रिया कानूनी ढंग से, न्यायसंगत कारणों और उचित नोटिस के साथ होनी चाहिए। कर्मचारी को यह जानना ज़रूरी है कि उसके पास मुआवज़े, नोटिस पीरियड और न्याय पाने का अधिकार है।
इसलिए, अगर आपको अचानक नौकरी से निकाला जाए, तो घबराएँ नहीं – अपने रोज़गार अनुबंध और श्रम कानूनों का सहारा लें और ज़रूरत पड़ने पर कानूनी मदद लें।

