समरी ट्रायल : भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 के अध्याय XXII का विस्तृत विवरण
Himanshu Mishra
30 Nov 2024 7:17 PM IST
अध्याय XXII, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 का एक महत्वपूर्ण भाग है जो समरी ट्रायल (Summary Trials) की प्रक्रिया को सरल और तेज बनाने पर केंद्रित है। यह अध्याय छोटे अपराधों के लिए न्याय प्रक्रिया को तेज और सरल बनाकर न्याय सुनिश्चित करता है। इस लेख में, हम इस अध्याय की धाराओं, अंतिम प्रावधानों (धारा 287 और 288) और पूरे अध्याय का विस्तृत विश्लेषण करेंगे।
अध्याय XXII की मुख्य बातें
1. समरी ट्रायल का परिचय (Introduction to Summary Trials)
सारांश मुकदमा एक सरल न्यायिक प्रक्रिया है जिसका उपयोग छोटे अपराधों के मामलों में किया जाता है। इसमें औपचारिक प्रक्रियाओं को कम किया जाता है। इस अध्याय में यह बताया गया है कि कौन-कौन से अपराध समरी ट्रायल के तहत आते हैं, उनके लिए क्या प्रक्रिया अपनाई जाएगी और क्या सज़ा दी जा सकती है।
2. समरी ट्रायल में आने वाले अपराध (Section 283: Offenses Eligible for Summary Trials)
धारा 283 में बताया गया है कि किन अपराधों को समरी ट्रायल के तहत सुना जा सकता है। इनमें शामिल हैं:
• ऐसे अपराध जिनमें अधिकतम सज़ा दो साल की कैद हो।
• भारतीय न्याय संहिता की विभिन्न धाराओं के अंतर्गत अपराध, जैसे कि सीमित राशि तक चोरी (Theft), चोरी किए गए सामान को रखना या छिपाना (Receiving or Concealing Stolen Property), और हमला (Assault)।
• ऐसे अपराध जिनमें संपत्ति को नुकसान ₹2,000 तक सीमित हो।
ये अपराध उनकी कम गंभीरता के आधार पर चुने गए हैं ताकि न्यायिक प्रक्रिया छोटे मामलों के लिए बोझिल न हो।
3. समरी ट्रायल के लिए अधिकार (Section 284: Powers to Conduct Summary Trials)
धारा 284 के तहत, हाईकोर्ट (High Court) कुछ विशेष मजिस्ट्रेटों को समरी ट्रायल करने का अधिकार देता है।
यह अधिकार निम्नलिखित अपराधों के लिए होता है:
• केवल जुर्माने (Fine) से दंडनीय अपराध।
• छह महीने तक की कैद वाले अपराध।
• ऐसे अपराधों के प्रयास (Attempt) या उकसावा (Abetment)।
यह प्रावधान सुनिश्चित करता है कि छोटे अपराधों को उचित स्तर के न्यायालय में सुना जाए, जिससे उच्च न्यायालयों का कार्यभार कम हो।
4. सरल प्रक्रिया (Section 285: Simplified Procedure)
धारा 285 के अनुसार, समरी ट्रायल में समन (Summons) के मामलों की प्रक्रिया अपनाई जाएगी। इसमें कुछ बदलाव किए गए हैं:
• प्रक्रिया को तेज और सरल बनाया गया है।
• इस अध्याय के तहत तीन महीने से अधिक की सज़ा नहीं दी जा सकती।
इससे यह सुनिश्चित होता है कि छोटे अपराधों के लिए सज़ा न्यायसंगत और उचित हो।
5. रिकॉर्ड रखने की प्रक्रिया (Section 286: Record Keeping)
धारा 286 के तहत मजिस्ट्रेट को हर समरी ट्रायल का रिकॉर्ड रखना आवश्यक है। इसमें शामिल हैं:
• अपराध, अभियुक्त (Accused) और शिकायतकर्ता (Complainant) का विवरण।
• अभियुक्त का उत्तर (Plea), साक्ष्य (Evidence), निष्कर्ष (Finding), और अंतिम निर्णय।
• अपराध की तिथि और कार्यवाही समाप्त होने की तिथि।
सटीक रिकॉर्ड रखने से न्यायिक प्रक्रिया में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित होती है।
अंतिम धाराएं: समरी ट्रायल (Final Sections of Summary Trials)
6. सारांश मुकदमों में निर्णय (Section 287: Judgment in Summary Trials)
अगर अभियुक्त दोषी होने से इनकार करता है, तो धारा 287 के तहत मजिस्ट्रेट को:
• प्रस्तुत किए गए साक्ष्य का सारांश (Substance of Evidence) दर्ज करना होगा।
• निर्णय (Judgment) में अपने निष्कर्ष (Findings) का संक्षिप्त कारण बताना होगा।
यह सुनिश्चित करता है कि सरल मुकदमों में भी न्यायिक निर्णय का आधार स्पष्ट और प्रामाणिक हो।
7. रिकॉर्ड और निर्णय की भाषा (Section 288: Language of Records and Judgments)
धारा 288 के अनुसार:
1. सभी रिकॉर्ड और निर्णय न्यायालय की भाषा (Language of Court) में लिखे जाएंगे ताकि सभी पक्ष उन्हें समझ सकें।
2. हाईकोर्ट मजिस्ट्रेट को यह अनुमति दे सकता है कि वे रिकॉर्ड या निर्णय किसी अधिकारी की सहायता से तैयार करवाएं, जिसे मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा नियुक्त किया गया हो। हालांकि, मजिस्ट्रेट को इन दस्तावेज़ों पर हस्ताक्षर करना अनिवार्य होगा।
यह प्रावधान प्रक्रिया में एकरूपता और स्पष्टता सुनिश्चित करता है।
अध्याय XXII का संपूर्ण दृष्टिकोण
अध्याय का उद्देश्य (Purpose of the Chapter)
अध्याय XXII छोटे अपराधों के मामलों को जल्दी निपटाने के लिए एक तेज और सरल न्यायिक प्रक्रिया प्रदान करता है।
इसके प्रावधानों का उद्देश्य:
• न्यायिक प्रक्रिया को सरल बनाना।
• सज़ा को अपराध की गंभीरता के अनुरूप रखना।
• रिकॉर्ड रखने और न्यायिक निर्णयों में पारदर्शिता सुनिश्चित करना है।
प्रावधानों के आपसी संबंध (Interconnection of Provisions)
• धारा 283 छोटे अपराधों को परिभाषित करती है।
• धारा 284 मजिस्ट्रेटों को समरी ट्रायल करने का अधिकार देती है।
• धारा 285 प्रक्रिया को सरल और न्यायपूर्ण बनाती है।
• धारा 286 रिकॉर्ड-कीपिंग पर ज़ोर देती है।
• धारा 287 न्यायिक निष्कर्षों का कारण बताने पर बल देती है।
• धारा 288 रिकॉर्ड और निर्णय की भाषा को मानकीकृत (Standardized) करती है।
सभी धाराएं मिलकर छोटे अपराधों के मामलों को कुशलता और निष्पक्षता से संभालने के लिए एक सुसंगत व्यवस्था बनाती हैं।
समरी ट्रायल के लाभ (Advantages of Summary Trials)
1. तेज़ प्रक्रिया (Efficiency): मामलों का तेजी से निपटारा होता है, जिससे न्यायालयों का बोझ कम होता है।
2. पहुंच (Accessibility): सरल प्रक्रिया न्याय को अधिक सुलभ बनाती है, खासकर वंचित वर्गों के लिए।
3. न्यायसंगत सज़ा (Proportionality): सज़ा अपराध की गंभीरता के अनुरूप होती है।
4. पारदर्शिता (Transparency): रिकॉर्ड और निर्णय की प्रक्रिया जवाबदेही सुनिश्चित करती है।
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 के अध्याय XXII में न्यायिक प्रणाली की दक्षता, निष्पक्षता और पारदर्शिता के प्रति प्रतिबद्धता झलकती है।
छोटे अपराधों के लिए प्रक्रिया को सरल बनाकर यह न्यायालयों पर बोझ कम करता है और यह सुनिश्चित करता है कि न्याय सुलभ और समय पर हो। यह अध्याय आधुनिक आपराधिक न्याय सुधारों (Criminal Justice Reforms) का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है।