भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 की धारा 413 और 414 में अपील से जुड़े विशेष प्रावधान और पीड़ित को दिए गए अतिरिक्त अधिकार

Himanshu Mishra

9 April 2025 12:49 PM

  • भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 की धारा 413 और 414 में अपील से जुड़े विशेष प्रावधान और पीड़ित को दिए गए अतिरिक्त अधिकार

    Bharatiya Nagarik Suraksha Sanhita, 2023 (BNSS) के अध्याय XXXI में 'Appeals' यानी अपीलों से जुड़े नियमों को बताया गया है। किसी भी न्यायालय (Court) के आदेश (Order) या निर्णय (Judgment) से अगर कोई व्यक्ति असंतुष्ट होता है, तो क्या वह उस निर्णय के खिलाफ अपील कर सकता है या नहीं—इसका निर्धारण इन धाराओं के माध्यम से किया गया है।

    यह लेख BNSS की धारा 413 और 414 को सरल हिंदी में समझाने का प्रयास है ताकि आम आदमी भी इन नियमों को अच्छे से समझ सके।

    धारा 413: अपील का अधिकार केवल तभी जब कानून में प्रावधान हो (No Appeal Unless Provided by Law)

    धारा 413 में साफ़-साफ़ कहा गया है कि Criminal Court (अपराध न्यायालय) के किसी भी Judgment (निर्णय) या Order (आदेश) के खिलाफ अपील नहीं की जा सकती, जब तक कि BNSS या किसी अन्य कानून में उसके लिए विशेष रूप से अनुमति न दी गई हो।

    इसका मतलब क्या है?

    अगर कोई व्यक्ति Court के फ़ैसले से नाराज़ है, तो वह अपने आप उससे ऊपर की Court में नहीं जा सकता। अपील करने का अधिकार तभी होगा, जब कोई कानून (Law) उसकी अनुमति देता हो। अगर कानून में अपील की व्यवस्था नहीं है, तो फ़ैसला अंतिम (Final) माना जाएगा, चाहे वह व्यक्ति उसे कितना भी अनुचित (Unjust) माने।

    अपवाद (Exception): पीड़ित को विशेष अधिकार

    हालांकि, इस धारा में एक विशेष प्रावधान (Proviso) भी दिया गया है, जो कि पीड़ित (Victim) के अधिकारों को मज़बूत करता है।

    इस प्रावधान के अनुसार, पीड़ित व्यक्ति को निम्नलिखित स्थितियों में अपील का अधिकार होगा—

    1. अगर Court ने आरोपी को बरी (Acquit) कर दिया हो यानी दोषी नहीं माना।

    2. अगर Court ने गंभीर अपराध (Grave Offence) की जगह हल्के अपराध (Lesser Offence) में दोषी ठहराया हो।

    3. अगर Court ने बहुत ही कम या अपर्याप्त मुआवज़ा (Inadequate Compensation) दिया हो।

    ऐसी सभी स्थितियों में पीड़ित व्यक्ति अपील कर सकता है। यह अपील उसी Court में जाएगी, जहां उस आरोपी की अपील जाती अगर उसे दोषी ठहराया गया होता।

    उदाहरण (Example) से समझिए

    मान लीजिए कि किसी व्यक्ति पर हत्या (Murder) का आरोप है, लेकिन Court उसे केवल चोट पहुंचाने (Hurt) के अपराध में दोषी मानती है और हल्की सज़ा देती है। इस स्थिति में, मृतक के परिवार को यह लग सकता है कि न्याय नहीं हुआ। ऐसे में, वे Section 413 के तहत Appeal कर सकते हैं।

    इसी तरह, अगर किसी महिला के साथ अपराध हुआ और Court ने बहुत कम मुआवज़ा तय किया, तो वह भी इस आधार पर अपील कर सकती है।

    यह प्रावधान पुराने कानून की तुलना में बड़ा बदलाव है, क्योंकि पहले पीड़ित का ज़्यादातर रोल सिर्फ़ गवाह (Witness) तक सीमित होता था। अब उन्हें न्याय पाने का एक सक्रिय अधिकार मिला है।

    धारा 414: शांति बनाए रखने या अच्छा आचरण रखने के आदेश के खिलाफ अपील (Appeal from Orders Requiring Security or Rejecting Surety)

    धारा 414 एक विशेष परिस्थिति से जुड़ी है। कभी-कभी, जब कोई व्यक्ति अपराध नहीं करता, लेकिन Magistrate को लगता है कि वह भविष्य में समाज के लिए खतरा बन सकता है या शांति भंग (Disturb Public Peace) कर सकता है, तो वह व्यक्ति से 'सिक्योरिटी (Security)' यानी एक प्रकार का वचन या ज़मानत (Bond/Surety) देने को कह सकता है कि वह भविष्य में कोई गड़बड़ी नहीं करेगा।

    किन मामलों में अपील हो सकती है?

    Section 414 दो स्थितियों में Appeal करने की अनुमति देता है—

    1. अगर किसी व्यक्ति को Section 136 के तहत शांति बनाए रखने या अच्छा आचरण (Good Behaviour) करने के लिए सिक्योरिटी देने का आदेश दिया गया हो।

    2. अगर Magistrate ने Section 140 के तहत किसी ज़मानतदार (Surety) को अस्वीकार (Reject) कर दिया हो।

    इस तरह की अपील Sessions Court में की जा सकती है।

    अब हम इन दोनों धाराओं को विस्तार से समझते हैं।

    Section 136: शांति बनाए रखने के लिए ज़मानत का आदेश (Order to Give Security for Peace or Good Behaviour)

    Section 136 के अनुसार, अगर Magistrate को Inquiry (जांच) के बाद लगता है कि किसी व्यक्ति को शांति बनाए रखने या अच्छा व्यवहार करने का वचन देना चाहिए, तो वह उस व्यक्ति से Bond या Bail Bond देने को कह सकता है।

    यह आदेश एहतियात (Preventive) के तौर पर होता है, ताकि भविष्य में कोई अपराध न हो।

    उदाहरण

    मान लीजिए कोई व्यक्ति बार-बार अपने मोहल्ले में लड़ाई-झगड़ा करता है। अब तक कोई बड़ा अपराध नहीं हुआ, लेकिन संभावना है कि आगे वह किसी को नुकसान पहुंचाएगा। Magistrate Inquiry करके उसे आदेश दे सकता है कि वह 1 साल के लिए शांति बनाए रखने का Bond दे।

    अगर वह व्यक्ति इस आदेश से असहमत है, तो वह Section 414 के तहत Appeal कर सकता है।

    Section 140: ज़मानतदार को अस्वीकार करने का आदेश (Refusal to Accept Surety)

    Section 140 में Magistrate को यह अधिकार दिया गया है कि वह किसी व्यक्ति द्वारा पेश किए गए Surety को अस्वीकार कर सकता है, अगर वह व्यक्ति ज़मानत देने योग्य नहीं है।

    उदाहरण

    अगर कोई आरोपी एक ऐसे व्यक्ति को Surety के रूप में पेश करता है, जिसके ऊपर कई आपराधिक मामले हैं, तो Magistrate उस Surety को 'Unfit Person' मानकर Reject कर सकता है।

    अगर आरोपी को लगता है कि उसका Surety गलत तरीके से Reject किया गया है, तो वह भी Section 414 के तहत Sessions Court में Appeal कर सकता है।

    Section 141: ज़मानत न देने के परिणाम (Consequences of Not Giving Security)

    Section 141 कहता है कि अगर कोई व्यक्ति Section 125 या 136 के तहत मांगी गई ज़मानत नहीं देता, तो उसे जेल भेजा जा सकता है।

    धारा 414 में एक महत्वपूर्ण Proviso भी है, जो कहता है कि अगर पहले से ही मामला Section 141(2) या 141(4) के तहत Sessions Judge के सामने रखा गया है, तो फिर Section 414 के तहत अलग से Appeal नहीं की जा सकती।

    उदाहरण

    अगर कोई व्यक्ति Magistrate के आदेश के बाद भी Bond नहीं देता, और Magistrate इस मामले को Sessions Judge को भेज देता है (Section 141 के तहत), तो वह व्यक्ति फिर Section 414 का इस्तेमाल नहीं कर सकता।

    BNSS, 2023 की धाराएं 413 और 414 Appeal से जुड़ी बुनियादी लेकिन बेहद जरूरी कानूनी बातें बताती हैं।

    Section 413 यह स्पष्ट करता है कि Appeal का अधिकार केवल तभी होता है जब कानून इसकी अनुमति देता है। साथ ही, यह पीड़ित को विशेष अधिकार देता है कि अगर आरोपी बरी हो गया हो या कम सज़ा या मुआवज़ा मिला हो, तो वह Appeal कर सके।

    Section 414 ऐसे मामलों में Appeal की सुविधा देता है, जहाँ Magistrate द्वारा शांति बनाए रखने या अच्छा व्यवहार करने के लिए Bond मांगा गया हो, या किसी Surety को Reject किया गया हो।

    इन प्रावधानों से यह सुनिश्चित होता है कि न्याय प्रक्रिया में संतुलन बना रहे — एक ओर न्यायालय को अपने फैसले देने की शक्ति है, वहीं दूसरी ओर नागरिकों को उनके खिलाफ Appeal करने का अधिकार भी सुनिश्चित किया गया है।

    अगर आपको इन धाराओं या लेख के किसी हिस्से को लेकर कोई सवाल हो, तो बेहिचक पूछ सकते हैं।

    Next Story