भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 497: संपत्ति के अस्थायी संरक्षण और शीघ्र नष्ट हो सकने वाली संपत्ति का निपटान

Himanshu Mishra

4 Jun 2025 11:59 AM

  • भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 497: संपत्ति के अस्थायी संरक्षण और शीघ्र नष्ट हो सकने वाली संपत्ति का निपटान

    भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 (Bhartiya Nagarik Suraksha Sanhita, 2023) के अध्याय 36 में संपत्ति के निपटान (Disposal of Property) से संबंधित प्रावधानों को समाहित किया गया है। इस अध्याय की धारा 497 न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत की गई संपत्ति के उचित संरक्षण, विवरण तैयार करने, फोटोग्राफी/वीडियोग्राफी और अंतिम निपटान की प्रक्रिया को स्पष्ट करती है। यह प्रावधान विशेष रूप से तब लागू होता है जब कोई संपत्ति किसी आपराधिक न्यायालय या मजिस्ट्रेट के समक्ष जांच, पूछताछ या विचारण के दौरान प्रस्तुत की जाती है।

    धारा 497(1): संपत्ति के अस्थायी संरक्षण और शीघ्र नष्ट हो सकने वाली संपत्ति का निपटान

    धारा 497 की उपधारा (1) के अनुसार, जब कोई संपत्ति किसी भी आपराधिक न्यायालय या उस मजिस्ट्रेट के समक्ष प्रस्तुत की जाती है जिसे संहिता के तहत किसी मामले की जानकारी लेने या विचारण के लिए उसे सत्र न्यायालय को भेजने का अधिकार है, तो वह न्यायालय या मजिस्ट्रेट यह आदेश दे सकता है कि उस संपत्ति का किस प्रकार संरक्षण किया जाए। यह आदेश तब तक लागू रहेगा जब तक जांच, पूछताछ या विचारण पूर्ण नहीं हो जाता।

    यदि प्रस्तुत की गई संपत्ति जल्दी नष्ट हो जाने वाली (जैसे फल, सब्ज़ियाँ, दूध आदि) है, या किसी अन्य कारण से तत्काल निपटान आवश्यक हो, तो न्यायालय या मजिस्ट्रेट आवश्यक साक्ष्य को दर्ज करने के बाद यह आदेश दे सकता है कि ऐसी संपत्ति को बेच दिया जाए या अन्य किसी विधिसम्मत तरीके से उसका निपटान किया जाए।

    उदाहरण:

    मान लीजिए कि किसी चोरी के मामले में चोर के पास से एक थैला सेब, केले और दूध की थैलियाँ बरामद होती हैं। चूंकि ये वस्तुएँ जल्दी खराब हो सकती हैं, ऐसे में न्यायालय यह आदेश दे सकता है कि साक्ष्य के तौर पर उनकी फोटो या वीडियो लेने के बाद उन्हें स्थानीय बाजार में उचित दामों पर नीलाम कर दिया जाए या किसी संस्था को दे दिया जाए।

    स्पष्टीकरण: "संपत्ति" की परिभाषा

    इस धारा में "संपत्ति" शब्द की परिभाषा को विशेष रूप से समझाया गया है। इसके अंतर्गत दो प्रकार की संपत्ति शामिल हैं—

    पहला, वह कोई भी वस्तु या दस्तावेज जो न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया गया हो या न्यायालय की अभिरक्षा में हो।

    दूसरा, वह कोई भी संपत्ति जिसके संबंध में कोई अपराध किया गया प्रतीत हो या जो अपराध को अंजाम देने के लिए उपयोग में लाई गई हो।

    उदाहरण:

    अगर पुलिस किसी ड्रग्स के सौदे से जुड़ी कार को ज़ब्त करती है और न्यायालय में प्रस्तुत करती है, तो वह कार न केवल दस्तावेज़ी संपत्ति है, बल्कि अपराध के लिए उपयोग में लाई गई संपत्ति भी है। ऐसे में यह कार धारा 497 के तहत कवर की जाएगी।

    धारा 497(2): संपत्ति का विवरण तैयार करना

    जब संपत्ति न्यायालय या मजिस्ट्रेट के समक्ष प्रस्तुत की जाती है, तब न्यायालय या मजिस्ट्रेट को 14 दिनों की अवधि के भीतर उस संपत्ति का एक विवरण तैयार करना अनिवार्य होता है। यह विवरण राज्य सरकार द्वारा निर्धारित नियमों और स्वरूप में तैयार किया जाना चाहिए।

    इस विवरण में संपत्ति का संक्षिप्त परिचय, उसका स्वरूप, माप, संख्या, स्थिति आदि की जानकारी होती है ताकि यह साक्ष्य के रूप में भविष्य में इस्तेमाल हो सके।

    उदाहरण:

    अगर एक मोबाइल फोन अपराध स्थल से ज़ब्त कर न्यायालय में प्रस्तुत किया गया है, तो उसका मॉडल नंबर, IMEI नंबर, रंग, स्थिति आदि का विवरण तैयार किया जाएगा और न्यायालय की फाइल में सुरक्षित रखा जाएगा।

    धारा 497(3): फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी

    धारा 497 की उपधारा (3) के अनुसार, न्यायालय या मजिस्ट्रेट को प्रस्तुत की गई संपत्ति की फोटो खींचवाना और यदि आवश्यक हो, तो मोबाइल फोन या किसी भी इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से उसका वीडियो बनवाना अनिवार्य है।

    इससे यह सुनिश्चित होता है कि संपत्ति के मूल स्वरूप का प्रमाण उपलब्ध रहे, चाहे बाद में उसे किसी कारण से नष्ट, वितरित या बेच दिया गया हो।

    उदाहरण:

    यदि कोई बंदूक अपराध स्थल से ज़ब्त की जाती है और भविष्य में उसे नष्ट कर दिया जाता है, तो उसकी फोटो और वीडियो रिकॉर्डिंग न्यायिक प्रक्रिया में साक्ष्य के रूप में प्रयुक्त की जा सकती है।

    धारा 497(4): फोटो और वीडियो को साक्ष्य के रूप में उपयोग करना

    जो विवरण धारा 497(2) के अंतर्गत तैयार किया गया है और जो फोटो या वीडियो धारा 497(3) के तहत लिए गए हैं, उन्हें किसी भी पूछताछ, विचारण या अन्य न्यायिक कार्यवाही में साक्ष्य के रूप में प्रयुक्त किया जा सकता है।

    इसका उद्देश्य न्यायालय को यह सुविधा देना है कि यदि मूल संपत्ति उपलब्ध न हो, तब भी उसका रिकॉर्ड न्यायिक मूल्य रखता हो।

    उदाहरण:

    अगर नष्ट हो जाने वाली संपत्ति का फोटोग्राफ न्यायालय में प्रस्तुत किया जाता है और उसके आधार पर अपराध सिद्ध होता है, तो वह फोटो वैध साक्ष्य माना जाएगा।

    धारा 497(5): संपत्ति के अंतिम निपटान का आदेश

    धारा 497(5) के अनुसार, जब संपत्ति का विवरण तैयार कर लिया गया हो (जैसा कि उपधारा (2) में कहा गया है) और उसकी फोटो या वीडियो बना ली गई हो (जैसा कि उपधारा (3) में कहा गया है), तो न्यायालय या मजिस्ट्रेट को 30 दिनों की अवधि के भीतर उस संपत्ति के निपटान के संबंध में आदेश देना अनिवार्य है।

    यह निपटान निम्नलिखित रूपों में हो सकता है—

    • संपत्ति को नष्ट करना

    • संपत्ति को जब्त करना (कन्फिस्केट करना)

    • संपत्ति को किसी संबंधित व्यक्ति को सौंप देना

    उदाहरण:

    अगर एक चोरी की गई बाइक पुलिस द्वारा ज़ब्त की गई है और उसका मालिक प्रमाण के साथ दावा करता है, तो न्यायालय 30 दिनों के भीतर फोटो और विवरण के आधार पर बाइक को मालिक को सौंप सकता है। वहीं, अगर कोई अवैध हथियार पकड़ा गया है, तो न्यायालय उसे नष्ट करने या सरकारी कब्जे में लेने का आदेश दे सकता है।

    धारा 497 भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 के तहत एक अत्यंत महत्वपूर्ण प्रावधान है, जो न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत संपत्ति के संरक्षण, दस्तावेजीकरण, प्रमाण-संग्रह और विधिसम्मत निपटान की प्रक्रिया को पारदर्शी और व्यवस्थित बनाता है।

    इस धारा के अंतर्गत समय-सीमाओं का स्पष्ट निर्धारण (14 दिन में विवरण, 30 दिन में निपटान) किया गया है जिससे न्यायिक प्रक्रिया में अनावश्यक विलंब से बचा जा सके। इसके अलावा, फोटो और वीडियो को साक्ष्य के रूप में मान्यता देना तकनीकी प्रगति के अनुरूप न्यायिक साक्ष्य संकलन की दिशा में एक स्वागतयोग्य कदम है।

    इस तरह, धारा 497 का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत संपत्ति का सही प्रकार से दस्तावेजीकरण हो, उसका उचित उपयोग हो सके और अपराध से जुड़ी संपत्तियों का निपटान न्यायोचित तरीके से किया जा सके।

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