भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 480: गैर-जमानती अपराधों में जमानत कब ली जा सकती है?
Himanshu Mishra
27 May 2025 12:34 PM

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 (Bharatiya Nagarik Suraksha Sanhita, 2023) की धारा 480 गैर-जमानती अपराधों (Non-Bailable Offences) में जमानत (Bail) से संबंधित प्रावधानों को स्पष्ट करती है। यह धारा न्यायालयों को यह निर्धारित करने का अधिकार देती है कि किन परिस्थितियों में ऐसे अपराधों के आरोपियों को जमानत दी जा सकती है।
धारा 480(1): गैर-जमानती अपराधों में जमानत का प्रावधान (Section 480(1): Provision for Bail in Non-Bailable Offences)
यदि कोई व्यक्ति, जिसे किसी गैर-जमानती अपराध के लिए गिरफ्तार किया गया है या उस पर संदेह है, और वह पुलिस अधिकारी के समक्ष या किसी न्यायालय (उच्च न्यायालय या सत्र न्यायालय को छोड़कर) में प्रस्तुत होता है, तो उसे जमानत पर रिहा किया जा सकता है।
धारा 480(1)(i): मृत्युदंड या आजीवन कारावास वाले अपराधों में जमानत का निषेध (Section 480(1)(i): Prohibition of Bail in Offences Punishable with Death or Life Imprisonment)
यदि यह प्रतीत होता है कि आरोपी ने ऐसा अपराध किया है जिसके लिए मृत्युदंड या आजीवन कारावास की सजा है, तो उसे जमानत नहीं दी जाएगी।
धारा 480(1)(ii): पूर्व में गंभीर अपराधों के दोषी व्यक्तियों के लिए जमानत का निषेध (Section 480(1)(ii): Prohibition of Bail for Persons Previously Convicted of Serious Offences)
यदि आरोपी ने पहले ऐसे अपराध के लिए सजा पाई है जो मृत्युदंड, आजीवन कारावास या सात वर्ष या उससे अधिक की सजा से दंडनीय है, या दो या अधिक बार ऐसे संज्ञेय अपराधों के लिए सजा पाई है जो तीन वर्ष या उससे अधिक लेकिन सात वर्ष से कम की सजा से दंडनीय हैं, तो उसे जमानत नहीं दी जाएगी।
प्रथम अपवाद: बच्चों, महिलाओं, बीमार या दुर्बल व्यक्तियों के लिए जमानत (First Exception: Bail for Children, Women, Sick or Infirm Persons)
यदि आरोपी बच्चा, महिला, बीमार या दुर्बल है, तो न्यायालय उसे जमानत पर रिहा कर सकता है, भले ही वह उपरोक्त श्रेणियों में आता हो।
द्वितीय अपवाद: विशेष कारणों से जमानत (Second Exception: Bail for Special Reasons)
यदि न्यायालय को यह उचित और उचित प्रतीत होता है कि विशेष कारणों से आरोपी को जमानत दी जानी चाहिए, तो वह ऐसा कर सकता है, भले ही आरोपी उपरोक्त श्रेणियों में आता हो।
तृतीय अपवाद: पहचान या पुलिस हिरासत के लिए जमानत का निषेध नहीं (Third Exception: Bail Not Denied for Identification or Police Custody)
यदि आरोपी की पहचान गवाहों द्वारा की जानी है या उसे पुलिस हिरासत में रखा जाना है, तो यह अकेला कारण जमानत देने से इनकार करने के लिए पर्याप्त नहीं होगा, यदि आरोपी अन्यथा जमानत के लिए पात्र है और न्यायालय द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन करने का वचन देता है।
चतुर्थ अपवाद: लोक अभियोजक को सुनवाई का अवसर (Fourth Exception: Opportunity of Hearing to Public Prosecutor)
यदि आरोपी पर ऐसा अपराध करने का आरोप है जो मृत्युदंड, आजीवन कारावास या सात वर्ष या उससे अधिक की सजा से दंडनीय है, तो न्यायालय उसे जमानत पर रिहा करने से पहले लोक अभियोजक को सुनवाई का अवसर देगा।
धारा 480(2): पर्याप्त कारणों की अनुपस्थिति में जमानत (Section 480(2): Bail in Absence of Reasonable Grounds)
यदि जांच, पूछताछ या मुकदमे के किसी भी चरण में यह प्रतीत होता है कि आरोपी ने गैर-जमानती अपराध नहीं किया है, लेकिन उसके अपराध में संलिप्तता की जांच के लिए पर्याप्त कारण हैं, तो आरोपी को जमानत पर रिहा किया जाएगा, या न्यायालय के विवेकानुसार।
धारा 480(3): जमानत पर रिहा किए गए व्यक्तियों पर शर्तें (Section 480(3): Conditions on Persons Released on Bail)
यदि कोई व्यक्ति ऐसे अपराध के लिए जमानत पर रिहा किया जाता है जिसकी सजा सात वर्ष या उससे अधिक है, या भारतीय न्याय संहिता, 2023 के अध्याय VI, VII या XVII के अंतर्गत आने वाले अपराधों के लिए, या ऐसे अपराधों के उकसावे, षड्यंत्र या प्रयास के लिए, तो न्यायालय निम्नलिखित शर्तें लगाएगा:
1. वह व्यक्ति बांड की शर्तों के अनुसार उपस्थित रहेगा।
2. वह व्यक्ति ऐसा कोई अपराध नहीं करेगा जो उस अपराध के समान हो जिसके लिए वह आरोपी है।
3. वह व्यक्ति किसी भी व्यक्ति को, जो मामले के तथ्यों से परिचित है, धमकी, प्रलोभन या वादा नहीं करेगा ताकि वह न्यायालय या पुलिस अधिकारी को ऐसे तथ्य प्रकट करने से रोक सके या साक्ष्य से छेड़छाड़ कर सके।
न्यायालय, न्याय के हित में, अन्य आवश्यक शर्तें भी लगा सकता है।
धारा 480(4): जमानत देने के कारणों का लेखा-जोखा (Section 480(4): Recording Reasons for Granting Bail)
यदि कोई अधिकारी या न्यायालय उपधारा (1) या (2) के अंतर्गत किसी व्यक्ति को जमानत पर रिहा करता है, तो वह अपने निर्णय के कारणों या विशेष कारणों को लिखित रूप में दर्ज करेगा।
धारा 480(5): जमानत रद्द करने का अधिकार (Section 480(5): Power to Cancel Bail)
कोई भी न्यायालय जिसने उपधारा (1) या (2) के अंतर्गत किसी व्यक्ति को जमानत पर रिहा किया है, यदि आवश्यक समझे, तो उस व्यक्ति को गिरफ्तार करने और हिरासत में लेने का निर्देश दे सकता है।
धारा 480 गैर-जमानती अपराधों में जमानत से संबंधित विस्तृत प्रावधान प्रदान करती है। यह न्यायालयों को आरोपी की पृष्ठभूमि, अपराध की गंभीरता और अन्य प्रासंगिक कारकों के आधार पर जमानत देने या इनकार करने का विवेकाधिकार देती है। साथ ही, यह आरोपी की उपस्थिति सुनिश्चित करने और साक्ष्य से छेड़छाड़ को रोकने के लिए आवश्यक शर्तें लगाने की अनुमति देती है।