इलेक्ट्रॉनिक संचार और यात्रा के दौरान किए गए अपराधों के परीक्षण के नियम: भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 202 और 203
Himanshu Mishra
26 Sept 2024 5:24 PM IST
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 (Bharatiya Nagarik Suraksha Sanhita, 2023), जिसने Criminal Procedure Code की जगह ली है, 1 जुलाई 2024 से लागू हुई है। इस संहिता में कुछ अपराधों के परीक्षण के बारे में स्पष्ट दिशा-निर्देश दिए गए हैं, खासकर जब वे अपराध इलेक्ट्रॉनिक संचार (Electronic Communications) या यात्रा के दौरान किए गए हों। इस लेख में हम सेक्शन 202 और 203 को विस्तार से समझेंगे, जो इन अपराधों के परीक्षण से जुड़े हुए हैं, और उदाहरणों के साथ इसे और स्पष्ट करेंगे।
सेक्शन 202: इलेक्ट्रॉनिक संचार, पत्र आदि के माध्यम से किए गए अपराध (Offences Committed Through Electronic Communications, Letters, etc.)
सेक्शन 202 उन अपराधों से संबंधित है जो धोखाधड़ी या ठगी से जुड़े हैं, और जहाँ यह धोखा इलेक्ट्रॉनिक संचार, पत्र, या टेलीकम्युनिकेशन संदेशों (Telecommunication Messages) के माध्यम से किया गया हो। आइए इस सेक्शन के मुख्य बिंदुओं को समझते हैं:
इलेक्ट्रॉनिक संचार के माध्यम से धोखाधड़ी (Deception Through Electronic Communications)
सेक्शन 202(1) के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति किसी इलेक्ट्रॉनिक संचार (जैसे ईमेल, टेक्स्ट संदेश आदि), पत्र, या टेलीकम्युनिकेशन संदेशों के माध्यम से धोखाधड़ी करता है, तो इस मामले की जांच उस न्यायालय द्वारा की जा सकती है जिसकी स्थानीय सीमा (Local Jurisdiction) में:
• संदेश भेजा गया था, या
• संदेश प्राप्त किया गया था।
आज की डिजिटल दुनिया में, जहाँ इंटरनेट और इलेक्ट्रॉनिक संचार के माध्यम से कई धोखाधड़ी के मामले होते हैं, यह प्रावधान अत्यंत महत्वपूर्ण है।
उदाहरण: यदि A, जो दिल्ली में रहता है, मुंबई में रहने वाले B को फर्जी व्यापार अवसर के नाम पर ईमेल भेजकर धोखा देता है, तो यह अपराध दिल्ली (जहां से ईमेल भेजा गया था) या मुंबई (जहां ईमेल प्राप्त किया गया था) के किसी भी न्यायालय में परीक्षण के लिए लाया जा सकता है।
ठगी और संपत्ति देने के लिए धोखा देना (Cheating and Inducing Delivery of Property)
इसके अलावा, सेक्शन 202(1) उन मामलों को भी कवर करता है, जहाँ धोखाधड़ी के माध्यम से किसी को संपत्ति देने के लिए गलत तरीके से प्रेरित किया जाता है।
मामले की जांच उस न्यायालय द्वारा की जा सकती है जिसकी स्थानीय सीमा में:
• धोखा खाए व्यक्ति ने संपत्ति दी थी, या
• आरोपी ने संपत्ति प्राप्त की थी।
उदाहरण: मान लीजिए A, जो बेंगलुरु में रहता है, चेन्नई में रहने वाले B को फर्जी निवेश योजना में पैसे भेजने के लिए धोखा देता है। इस मामले की सुनवाई चेन्नई (जहां B ने पैसे भेजे थे) या बेंगलुरु (जहां A ने पैसे प्राप्त किए थे) में हो सकती है।
भारतीय न्याय संहिता, 2023 के सेक्शन 82 के तहत दंडनीय अपराध (Offences Under Section 82 of Bharatiya Nyaya Sanhita, 2023)
सेक्शन 202(2) उन अपराधों से संबंधित है जो भारतीय न्याय संहिता, 2023 के सेक्शन 82 के तहत दंडनीय हैं। इन अपराधों की जांच उस न्यायालय द्वारा की जा सकती है, जिसकी स्थानीय सीमा में:
• अपराध किया गया था,
• अपराधी अपनी पहली शादी से अपने जीवनसाथी के साथ आखिरी बार रहता था, या
• पहली शादी से पत्नी अपराध के बाद स्थायी रूप से रहने लगी है।
उदाहरण: यदि कोई व्यक्ति दूसरी शादी करते हुए पहली पत्नी को छोड़कर कानून तोड़ता है, और वह पुणे में अपनी पहली पत्नी के साथ रह रहा था, लेकिन पत्नी अब हैदराबाद में स्थायी रूप से रहने लगी है, तो यह मामला पुणे या हैदराबाद में सुनवाई के लिए लाया जा सकता है।
सेक्शन 203: यात्रा के दौरान किए गए अपराध (Offences Committed During a Journey or Voyage)
सेक्शन 203 उन अपराधों को कवर करता है जो किसी व्यक्ति की यात्रा (Journey) या समुद्री यात्रा (Voyage) के दौरान किए जाते हैं। इसमें प्रावधान है कि यदि किसी अपराध को यात्रा के दौरान अंजाम दिया जाता है, तो मामले की सुनवाई उस न्यायालय द्वारा की जा सकती है, जिसकी स्थानीय सीमा में यात्रा या यात्रा के दौरान वह व्यक्ति या वस्तु से होकर गुजरी थी।
यह सेक्शन उन मामलों में अत्यंत महत्वपूर्ण है जहाँ अपराध किसी चलती गाड़ी, जैसे ट्रेन, बस, या जहाज में किया गया हो, और अपराध किसी निश्चित स्थान से संबंधित न हो।
उदाहरण: मान लीजिए A, जो मुंबई से दिल्ली ट्रेन से यात्रा कर रहा है, किसी अपराध को ट्रेन में अंजाम देता है। इस अपराध की सुनवाई ट्रेन के जिस भी स्थान से गुजरते समय अपराध हुआ हो, वहाँ के न्यायालय द्वारा की जा सकती है, जैसे यदि ट्रेन राजस्थान से गुजरी हो, तो जयपुर के न्यायालय में भी मामला दर्ज हो सकता है।
पिछले सेक्शन (197-200) से महत्वपूर्ण बिंदु
इन अपराधों की सुनवाई से संबंधित पूरी जानकारी के लिए, सेक्शन 197-200 को भी देखना आवश्यक है। ये सेक्शन विभिन्न परिस्थितियों में अपराधों की सुनवाई के नियम बताते हैं, जैसे कि जब अपराध कई जगहों पर किए गए हों या अपराध के स्थान के बारे में स्पष्टता न हो। इन सेक्शन में यह स्पष्ट किया गया है कि कैसे न्यायालय उन मामलों की सुनवाई कर सकता है, जिनमें अपराध जटिल हो या कई जगहों पर फैले हों।
• सेक्शन 197: हर अपराध को सामान्यतया उस न्यायालय द्वारा सुना जाता है, जिसकी स्थानीय सीमा में अपराध किया गया हो।
• सेक्शन 198: उन अपराधों के बारे में है जहाँ अपराध का स्थान अनिश्चित हो या यह कई क्षेत्रों में हुआ हो।
• सेक्शन 199: उन अपराधों के लिए है जहाँ अपराध के परिणाम एक अलग स्थान पर होते हैं।
• सेक्शन 200: उन अपराधों को कवर करता है जो दूसरे अपराधों से जुड़े होते हैं और हो सकता है कि वे अलग-अलग स्थानों पर किए गए हों।
इन सेक्शन की विस्तार से जानकारी के लिए, Live Law Hindi के पिछले लेखों को देखें जहाँ इन्हें व्यापक रूप से समझाया गया है।
सेक्शन 202 और 203 भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 के अंतर्गत उन अपराधों के परीक्षण के बारे में स्पष्ट दिशा-निर्देश देते हैं जो इलेक्ट्रॉनिक संचार या यात्रा के दौरान किए जाते हैं। इन प्रावधानों के माध्यम से यह सुनिश्चित किया जाता है कि अपराधी सिर्फ इसलिए न्याय से बच न सकें क्योंकि उन्होंने दूरस्थ स्थान से या यात्रा के दौरान अपराध किया हो।
ये प्रावधान आधुनिक समय की आवश्यकताओं को पूरा करते हैं, जहाँ अपराध भौतिक सीमाओं तक सीमित नहीं होते और अक्सर डिजिटल माध्यमों से या यात्रा के दौरान होते हैं। इन नियमों से यह सुनिश्चित होता है कि अपराध जहां भी हुआ हो, न्याय हो सके।