अवैध सभा या दंगा होने पर भूमि के मालिक आदि की जिम्मेदारी: BNSS, 2023 की धारा 193

Himanshu Mishra

13 Sep 2024 11:52 AM GMT

  • अवैध सभा या दंगा होने पर भूमि के मालिक आदि की जिम्मेदारी: BNSS, 2023 की धारा 193

    भारतीय न्याय संहिता, 2023, जो 1 जुलाई 2024 से लागू हो गई है, ने भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) को प्रतिस्थापित कर दिया है। इसमें कई महत्वपूर्ण प्रावधान (Provisions) जोड़े गए हैं, जिनमें से एक है धारा 193, जो अवैध सभाओं और दंगों के मामले में भूमि के मालिक (Owner), कब्जाधारी (Occupier) और उन लोगों की जिम्मेदारी तय करती है जो उस भूमि में रुचि रखते हैं। यह प्रावधान सुनिश्चित करता है कि जिन लोगों का भूमि पर अधिकार (Control) है, वे ऐसी घटनाओं को रोकने और उनकी सूचना देने के लिए आवश्यक कदम उठाएं।

    भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 193 भूमि के मालिकों, कब्जाधारियों और उन लोगों की जिम्मेदारी तय करती है जो उस भूमि में रुचि रखते हैं, जहां अवैध सभा या दंगे होते हैं। यह प्रावधान सुनिश्चित करता है कि भूमि पर अधिकार रखने वाले लोग ऐसी घटनाओं को रोकने और पुलिस को सूचना देने के लिए सभी कानूनी कदम उठाएं। यदि वे ऐसा करने में विफल रहते हैं, तो उन्हें जुर्माने का सामना करना पड़ सकता है, भले ही उन्होंने सीधे तौर पर दंगे में भाग नहीं लिया हो।

    ये प्रावधान इस बात पर जोर देते हैं कि समाज में कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए भूमि पर अधिकार रखने वाले व्यक्तियों को जिम्मेदारी से काम करना चाहिए। चाहे वे मालिक, कब्जाधारी, एजेंट, या प्रबंधक हों, उन्हें अवैध सभा या दंगे को रोकने के लिए सभी कानूनी कदम उठाने होंगे, ताकि समाज में शांति और स्थिरता बनी रहे।

    धारा 193(1): अवैध सभा या दंगा रोकने या उसकी सूचना देने में विफलता के लिए जिम्मेदारी

    धारा 193(1) के अनुसार, यदि किसी की भूमि पर कोई अवैध सभा या दंगा होता है, तो उस भूमि के मालिक, कब्जाधारी या कोई अन्य व्यक्ति जो उस भूमि में रुचि रखता है, उसे उस घटना की जानकारी पुलिस स्टेशन में देने की जिम्मेदारी होती है। यह प्रावधान तब लागू होता है जब व्यक्ति या उसके एजेंट (Agent) या प्रबंधक (Manager) को पता हो कि ऐसी घटना हो रही है या होने की संभावना है। यदि वे समय पर पुलिस को सूचना नहीं देते या घटना को रोकने के लिए सभी कानूनी उपाय (Lawful Means) नहीं अपनाते हैं, तो उन्हें एक हजार रुपये तक का जुर्माना हो सकता है।

    उदाहरण (Example) धारा 193(1):

    मान लीजिए श्री शर्मा के पास एक बड़ी जमीन है, और उन्हें सुनने में आता है कि एक समूह उस पर अवैध सभा करने की योजना बना रहा है। अगर श्री शर्मा इस अफवाह को नजरअंदाज कर देते हैं और पुलिस को सूचित नहीं करते हैं, और बाद में वह सभा दंगे (Riot) में बदल जाती है, तो धारा 193(1) के तहत श्री शर्मा को जुर्माने का सामना करना पड़ सकता है। भले ही श्री शर्मा ने दंगे में भाग नहीं लिया हो, उनकी सूचना न देने और घटना को रोकने की जिम्मेदारी की विफलता उन्हें दोषी ठहराती है।

    धारा 193(2): लाभ पाने वाले मालिक या कब्जाधारी की जिम्मेदारी

    धारा 193(2) उन स्थितियों पर लागू होती है जब दंगा किसी व्यक्ति के लाभ (Benefit) या उसकी ओर से किया जाता है, जो उस भूमि का मालिक या कब्जाधारी हो। अगर उस व्यक्ति को पहले से पता था या उसे ऐसा लग रहा था कि दंगा होने वाला है, और उसने इसे रोकने के लिए कोई कानूनी उपाय (Lawful Means) नहीं अपनाया, तो उसे जुर्माने का सामना करना पड़ सकता है। यह प्रावधान सुनिश्चित करता है कि दंगे से लाभान्वित (Benefited) होने वाले व्यक्ति भी कानून के तहत जिम्मेदार ठहराए जाएं।

    उदाहरण (Example) धारा 193(2):

    मान लीजिए सुश्री वर्मा के पास एक विवादित जमीन है, और उनके समर्थक उस जमीन पर एकत्रित होकर दंगे में लिप्त हो जाते हैं। अगर सुश्री वर्मा को पहले से पता था कि उनके समर्थक हिंसक कार्य करेंगे, और उन्होंने इसे रोकने के लिए कुछ नहीं किया, तो उन्हें धारा 193(2) के तहत जुर्माना हो सकता है। भले ही सुश्री वर्मा ने सीधे तौर पर दंगे में भाग नहीं लिया हो, उनके इसे न रोकने और इससे लाभ प्राप्त करने के कारण उन्हें दोषी ठहराया जा सकता है।

    धारा 193(3): एजेंट या प्रबंधक की जिम्मेदारी

    धारा 193(3) में एजेंट (Agent) या प्रबंधक (Manager) की जिम्मेदारी तय की गई है, जब दंगा किसी व्यक्ति के लाभ के लिए किया जाता है, जो भूमि का मालिक या कब्जाधारी है। यदि एजेंट या प्रबंधक को पता था कि दंगा होने वाला है और उन्होंने इसे रोकने के लिए कानूनी उपाय (Lawful Means) नहीं अपनाए, तो उन्हें भी जुर्माने का सामना करना पड़ेगा। यह प्रावधान सुनिश्चित करता है कि भले ही मालिक सीधे तौर पर शामिल न हो, लेकिन उसके एजेंट या प्रबंधक भी जिम्मेदार होंगे।

    उदाहरण (Example) धारा 193(3):

    मान लीजिए श्री कुमार एक बड़े एस्टेट के प्रबंधक हैं, जो श्री पटेल की संपत्ति है। यदि श्री कुमार को पता चलता है कि कुछ किसान उस जमीन पर दंगा करने की योजना बना रहे हैं और उन्होंने पुलिस को इसकी सूचना नहीं दी या इसे रोकने के लिए कोई उपाय नहीं किया, तो उन्हें धारा 193(3) के तहत जुर्माना हो सकता है। भले ही श्री कुमार मालिक नहीं हैं, उनके प्रबंधक होने के कारण उन्हें इस घटना को रोकने की जिम्मेदारी निभानी चाहिए थी।

    धारा 191: दंगे (Riot) से संबंधित प्रावधान

    धारा 193 को बेहतर ढंग से समझने के लिए, धारा 191 पर भी नजर डालना जरूरी है, जो दंगा (Riot) की परिभाषा और उससे संबंधित अपराधों को स्पष्ट करती है। धारा 191 के तहत, यदि किसी अवैध सभा (Unlawful Assembly) के सदस्य बल (Force) या हिंसा (Violence) का प्रयोग करते हैं, तो वह दंगा कहलाता है। यदि उस सभा के सदस्य किसी उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए हिंसा का उपयोग करते हैं, तो सभी सदस्य दंगे के दोषी माने जाएंगे, भले ही उन्होंने व्यक्तिगत रूप से हिंसा में भाग न लिया हो।

    धारा 191 के तहत, दंगा करने के लिए अलग-अलग सज़ाएं निर्धारित की गई हैं, जो दंगे की गंभीरता और हथियारों के उपयोग पर निर्भर करती हैं:

    1. यदि दंगे में घातक हथियारों का उपयोग नहीं हुआ हो, तो दंड दो साल तक की कैद, जुर्माना, या दोनों हो सकता है।

    2. यदि दंगे में घातक हथियारों का उपयोग हुआ हो, तो सज़ा पांच साल तक की कैद, जुर्माना, या दोनों हो सकती है।

    उदाहरण (Example) धारा 191:

    मान लीजिए एक समूह किसी फैक्टरी के प्रदूषण के खिलाफ विरोध कर रहा है। अगर पांच या उससे अधिक लोग अवैध रूप से एकत्र होकर फैक्टरी पर हमला करना शुरू करते हैं, तो वह समूह धारा 191 के तहत दंगा के दोषी होंगे। अगर उनके पास बंदूकें या तीखे हथियार हों, तो सज़ा और अधिक कड़ी हो जाएगी, क्योंकि घातक हथियारों का उपयोग दंगे की गंभीरता को बढ़ाता है।

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